राजगढ़: मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के एक शासकीय शिक्षक ने अपने खेत में अनोखा गेहूं उगाना शुरू किया है. इस गेहूं का नाम है खपली गेहूं. दावा किया जाता है कि खपली गेहूं का आटा खाने से बीपी और शुगर की समस्या में राहत मिलती है. इसके साथ ही उन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए ये नवाचार किया है.
आमतौर पर किसान रासायनिक खाद का उपयोग कर ज्यादा फसल उगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन कुछ महीने बाद रिटायर होने जा रहे शिक्षक सालिगराम पालीवाल ने समाजहित में कुछ अलग करके दिखाया है.
5 बीघा में उगाई खपली गेहूं की फसल
दअरसल, जिले के नरसिंहगढ़ डिवीजन के अंतर्गत आने वाले पिपल्या रसोड़ा गांव में शिक्षक सालिगराम रहते हैं. वे वर्तमान में एक शासकीय शिक्षक हैं और कुछ महीने के बाद रिटायर होने वाले हैं. ऐसे में उन्होंने रिटायरमेंट से पहले जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए अपने खेत के 5 बीघा हिस्से में खपली गेहूं की फसल उगाई है. वे दावा करते हैं कि इसके आटे की रोटी मधुमेह और ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है.

क्या होता है खपली गेहूं?
कृषि वैज्ञानिक कहते हैं, '' खपली गेहूं एक हाइब्रिड गेहूं की किस्म है, जिसे 'एम्मर लॉन्ग वीट' भी कहा जाता है. ये गेहूं की एक प्राचीन किस्म है, जिसे हजारों साल पहले से उगाया जा रहा है. ये गेहूं सूक्ष्म पोषक तत्वों, खनिज और विटामिन से भरपूर होता है. इस प्राचीन अनाज के बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ हैं. इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है.''
लोगों की सेवा के लिए उगा रहे खपली गेहूं
शिक्षक सालिगराम कहते हैं, '' 5 बीघा जमीन में खपली गेहूं बोया था जिसमें केवल जैविक खाद का ही उपयोग किया. इसमें लगभग 25 क्विंटल के आसपास पास पैदावार नजर आ रही है. रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते तो इसकी पैदावार डबल हो जाती लेकिन इस कार्य से पैसे नहीं कमाने है बल्कि एक तरह से मरीजों की सेवा करनी है.''

ऑनलाइन बेचेंगे खपली गेहूं
सालिगराम आगे कहते हैं, '' ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाकर खपली गेहूं बेचने की तैयारी है, क्योंकि ये गेहूं सीधे मंडी में नहीं बिकता. जिसको इसकी जरूरत लगती है वही इसे खरीदता है. क्योंकि ये मधुमेह और ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंद है.''
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