जयपुर: शिक्षा विभाग में ट्रांसफर को लेकर शिक्षकों का इंतजार बढ़ता जा रहा है. इस बीच एक फॉर्मेट सामने आया है, जिसमें विधायकों से स्थानांतरण प्रस्ताव मांगे गए हैं. प्रत्येक विधायक से फर्स्ट ग्रेड और सेकंड ग्रेड के शिक्षक - कर्मचारियों के 70-70 नाम मांगे गए हैं. शिक्षक संगठनों ने इस पर एतराज जताते हुए सवाल किया है कि जिस कर्मचारी या शिक्षक का विधायक से संपर्क नहीं है, तो क्या उसका ट्रांसफर ही नहीं होगा? ऐसे में उन्होंने स्पष्ट ट्रांसफर पॉलिसी बनाने की मांग उठाई है.
शिक्षा विभाग की ओर से बीजेपी विधायकों को एक फॉर्मेट ईमेल किया गया है और कहा गया है कि इसी फॉर्मेट में नाम भरकर के भेजें. इस फॉर्मेट में शिक्षक या कर्मचारी का नाम, एम्पलाई आईडी, पद, विषय, वर्तमान में पदस्थापन स्थान, जिले का नाम, वांछित पदस्थापन स्थान, संबंधित विद्यालय का कोड, जिले और विधानसभा का नाम मांगा गया है. हालांकि इसी तरह एक बार पहले भी विधायकों से नाम मांगे गए थे, लेकिन तबादलों से प्रतिबंध नहीं हटने की वजह से वह लिस्ट ठंडे बस्ते में चली गई थी. अब एक बार फिर ये सूची मांगी जा रही है. इसकी डैडलाइन 15 जून निर्धारित की गई है.
शिक्षक नेताओं की आपत्ति: उधर, शिक्षक संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई है. राजस्थान शिक्षक एवं कर्मचारी संघ के सदस्य बिहारी लाल मिश्रा ने कहा कि शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर चल रही व्यवस्थाओं के अंतर्गत शिक्षकों तक ये संदेश पहुंच रहा है कि शिक्षा विभाग में तृतीय श्रेणी शिक्षकों को छोड़कर के अन्य स्थानांतरण विधायकों के माध्यम से होंगे. ऐसी जानकारी मिल रही है कि विधायकों से 70-70 नाम की सूची मांगी गई है. इस व्यवस्था के अंतर्गत स्थानांतरण व्यवस्था पर कई तरह के प्रश्न उठते हैं. प्रश्न ये है कि जिन कर्मचारी और शिक्षकों का विधायकों से संपर्क नहीं है, उनके स्थानांतरण का क्या होगा? यदि विधायकों के द्वारा ही स्थानांतरण किए जाने हैं, तो राजनीतिक क्षेत्र में मंडल अध्यक्ष, प्रधान, सरपंच उनका कोटा कितना होगा? उन्होंने कहा कि इस स्थानांतरण प्रक्रिया में कितनी पारदर्शिता होगी. इस तरह की व्यवस्था को लेकर कई तरह के प्रश्न उठ रहे हैं. राजस्थान शिक्षक एवं कर्मचारी संघ इस व्यवस्था का विरोध करता है. पहले भी संगठन ने सरकार से स्थानांतरण नीति बनाकर स्थानांतरण करने की अपील की थी. इस तरह की व्यवस्था से स्थानांतरण किए जाएंगे तो शिक्षा और शिक्षक के मन में तरह-तरह के प्रश्न उत्पन्न होंगे. ऐसे में उन्हीने एक बार फिर शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री से स्थानांतरण प्रक्रिया में पारदर्शिता रखने की अपील की, ताकि शिक्षा और शिक्षक का मान, अभिमान और स्वाभिमान बच सके.
अभी नहीं बनी ट्रांसफर पॉलिसी: विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार जिस तरह हाल ही में एक शिक्षक की ओर से शिक्षा मंत्री को रिश्वत देने की कोशिश करने का मामला सामने आया है. इससे फिलहाल ट्रांसफर से प्रतिबंध हटाने की संभावना कम ही नजर आ रही है, लेकिन ये भी तय माना जा रहा है कि फिलहाल जो भी ट्रांसफर होंगे, वे ट्रांसफर पॉलिसी के बिना ही होंगे. क्योंकि अभी ट्रांसफर पॉलिसी का काम पूरा नहीं हो पाया है.