लखनऊ : बुंदेलखंड क्षेत्र में 'हर घर नल से जल' योजना की खामियों पर जल जीवन मिशन मुख्यालय ने संज्ञान लिया है. झांसी, हमीरपुर और बांदा के अधिशासी अभियंताओं से रिपोर्ट तलब की है. गौरतलब है कि जल जीवन मिशन की जमीनी हकीकत दिखाने के लिए ईटीवी भारत की ओर से सीरीज में कई खबरें प्रकाशित की गईं थीं. ये खबरें 7 अप्रैल को हमीरपुर से, 8 अप्रैल को बांदा से जबकि 10 अप्रैल को झांसी से पब्लिश की गईं थीं. इसका अब सरकार के स्तर पर नोटिस लिया गया है.
मुख्यालय ने मांगी संबंधित जिलों की रिपोर्ट : जल जीवन मिशन मुख्यालय ने इसे लेकर सख्त रुख अख्तियार किया है. मुख्यालय ने तीनों जिलों के अधिशासी अभियंताओं से तस्वीरें और वीडियो के अलावा संबंधित रिपोर्ट मांगी है. वहीं दूसरी ओर मिशन के अधिकारियों ने दावा किया है कि बुंदेलखंड के अधिकांश गांवों में नल से जल पहुंच चुका है, कुछ जगहों पर जहां कमियां सामने आईं हैं, वहां भी बहुत जल्द समाधान करा दिया जाएगा.
हमीरपुर-बांदा-झांसी के कई गांवों में नहीं पहुंचा जल : हमीरपुर, बांदा और झांसी जिले में अनेक ऐसे गांव हैं, जहां अभी नल से जल नहीं पहुंचा है. अधिकारियों का दावा है कि अभी वाटर सप्लाई की टेस्टिंग चल रही है. बुंदेलखंड क्षेत्र में सबसे पहले जल जीवन मिशन की शुरुआत हुई थी. ऐसे में इतना समय बीतने के बावजूद टेस्टिंग ही क्यों चल रही है?, यह बड़ा सवाल है. फिलहाल मुख्यालय ने जांच शुरू कर दी है.
लखनऊ में जल जीवन मिशन के अधिशासी निदेशक बृजराज यादव ने बताया कि हमने ईटीवी भारत की तीनों खबरों का संज्ञान लिया है. मौके पर जो कमियां बताई गईं हैं, उनकी जांच के लिए हमने तीनों जिलों के अधिशासी अभियंता को रिपोर्ट देने के लिए कहा है. मौके से तस्वीर और वीडियो भी मांगे गए हैं. उन्होंने बताया कि हमने अधिकांश जगह योजना को शत प्रतिशत पूरा किया है.
सभी समस्याओं का होगा निस्तारण : अधिशासी निदेशक ने बताया कि कुछ जगहों पर समस्याएं हो सकती हैं, आगामी समय में हम इसका निदान कराएंगे. जितनी भी कमी इन रिपोर्ट के जरिए उजागर की गईं हैं, उन सबका निस्तारण किया जाएगा. उन्होंने बताया कि कई जगह हमारी योजना परीक्षण के दौर में हैं. इस दौरान घरों में नल से जल नहीं पहुंच पाता है. परीक्षण पूरा होने के बाद हम संबंधित गांवों को हर घर नल से जल का प्रमाण पत्र देते हैं.
अधिशासी निदेशक बृजराज यादव ने बताया कि यह प्रमाण पत्र पंचायत की खुली बैठक में दिया जाता है. वहां ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में बैठक होती है. इस बैठक के बाद जब सभी लोग हाथ उठाकर नल से पानी मिलने की सहमति देते हैं, तब गांव को प्रमाण पत्र मिलता है.
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