गया: बिहार के गया जी शहर की गलियों में एक वकील हैं, जिनका शौक आम नहीं, बेहद खास और ऐतिहासिक है. जहां लोग कानून की किताबों में व्यस्त रहते हैं, वहीं अधिवक्ता सैयद मोहम्मद जावेद यूसुफ कला की एक दुर्लभ विरासत को सहेज रहे हैं. उनके पास विलियम होगार्थ जैसे विश्वविख्यात ब्रिटिश कलाकार की 300 साल पुरानी स्केचिंग बुक मौजूद है. हैरत की बात यह है कि यह बेशकीमती किताब उनके परिवार द्वारा 1880 से संजो कर रखी गई है.
300 साल पुरानी स्केचिंग बुक: इंग्लैंड के जीनियस माने जाने वाले विलियम होगार्थ की 300 साल पुरानी स्केचिंग गया में मौजूद है. यह स्केचिंग 1723 ईस्वी से लेकर 1760 के आसपास की बताई जाती है. हालांकि, विलियम होगार्थ के स्केचिंग को एकत्रित कर किताब के रूप में इसका प्रकाशन इंग्लैंड में हुआ था और उसकी ओरिजिनल प्रतियों में से एक प्रति सैयद मोहम्मद यूसुफ के पास है.
सैयद यूसुफ परिवार की मिसाल: विलियम होगार्थ की यह स्केचिंग वाली किताब दुर्लभ और नायाब है. दुर्लभ इसलिए, क्योंकि इस तरह की ओरिजिनल प्रति विश्व भर में गिने चुने ही मिल सकते हैं. 300 साल पुरानी स्केचिंग की उपलब्धता दुर्लभ है. बताया जाता है कि विलियम होगार्थ की स्केचिंग जीवंत होती थी. उनके बनाए स्केच बोल उठाते थे. उन्होंने विविध स्केचिंग कर विश्व भर में प्रसिद्धि पाई.

कला से नाता पीढ़ियों का: जावेद यूसुफ का परिवार 1880 से इस अनूठी नायाब किताब को पूरी तरह से सहेज कर रख रहा है. फिलहाल उसकी देखभाल जावेद युसूफ कर रहे हैं. इससे पहले उनके पिता एसएस अली नजीर ने संभाल रखा था. उनके जाने के बाद जावेद यूसुफ किताब को सहेज रहे हैं. आज भी यह किताब देखकर यह प्रतीत होता है कि यह बिल्कुल नई है.

किताब के पन्नों में डालते है पाउडर: किताब के पन्ने नये दिखे इसके लिए जावेद यूसुफ का परिवार किताब के पन्नों में वह एक समय के अंतराल पर पाउडर डालते हैं, ताकि उसके पन्नों में मजबूती बनी रहे और उसमें कीड़े न लगे. जावेद यूसुफ अपना कीमती समय इस तरह की पुरानी चीजों को बचाने में लगाते हैं और सहेज कर रखते हैं.

युसुफ के नाना अंग्रेजों के जमाने में थे डीएसपी: जावेद यूसुफ का शौक अनूठा है. यह पुरानी चीजों को ऐसे रखते हैं कि आज भी वह नई दिखती है. उनकी लगन कमाल की है और वह पुरानी से पुरानी चीजों को नई बना कर रखे हुए हैं. इसमें एक विलियम होगार्थ की किताब भी है. गौरतलब हो, कि जावेद यूसुफ के पिता का नाम एसएस अली नजीर था. वहीं उनके दादा सैयद शाह अली जहीर जमींदार थे. उनके नाना मोहम्मद फारूक अंग्रेजों के जमाने में गया में डीएसपी हुआ करते थे.

35 इंच लंबी और 3 इंच मोटी है किताब: विलियम होगार्थ की स्केचिंग वाली किताब एकदम से नायाब है. आज भी यह नई दिखती है. इस किताब के बारे में जावेद यूसुफ बताते हैं, कि यह 35 इंच लंबी है, 20 इंच चौड़ी और 3 इंच मोटी है. इसकी देखरेख फिलहाल में कर वह कर रहे हैं. पहले पिताजी इस किताब की देखरेख करते थे. 1880 से यह किताब हमारे परिवार के पास है. इसे ठीक बनाए रखने के लिए बुक में हमेशा पाउडर डालते हैं, ताकि यह पूरी तरह से सुरक्षित रहे और पेज में ताजगी बनी रहे.

पेंसिल की लकीरों में बसी है 300 साल की कहानी: सिविल कोर्ट में अधिवक्ता सैय्यद शाह जावेद यूसुफ बताते हैं कि उनके परिवार ने 1880 से यह बुक संभाल कर रखी है. इस बुक में 1723 ईसवी में बनाई गई स्केचिंग मौजूद है जो कि इंग्लैंड के जीनियस विलियम होगार्थ ने बनाई थी. यूसुफ बताते हैं कि इंग्लैंड में दो जीनियस हुए थे. 1723 से पेंसिल से विलियम होगार्थ ने स्केचिंग शुरू किया था. उस जमाने में कल्चर, सोसायटी, लोगों की जिंदगी, शासन के साथ-साथ विविध पहलुओं पर स्केचिंग बनाते थे.

"1880 से हमारे परिवार के लोगों ने संभाल रखी है. अब उसकी देखभाल मेरे द्वारा की जाती है. हमारे पास यह विलियम होगार्थ की स्केचिंग की दुर्लभ किताब है और यह ओरिजिनल प्रति है. इसे आज भी हमने काफी सहेज कर रखा है. हमारे द्वारा ऐसे कई दुर्लभ पुस्तकें और कई ऐसे चीजें हैं, जिसे संभाल कर रखा गया है." - सैय्यद शाह जावेद यूसुफ, अधिवक्ता, गया सिविल कोर्ट

कौन है विलियम होगार्थ: विलियम होगार्थ एक प्रभावशाली अंग्रेजी चित्रकार थे. वे 1697 से 1764 तक जीवित रहे. उन्हें विदेशों में महत्वपूर्ण ख्याति प्राप्त करने वाले पहले प्रमुख अंग्रेजी चित्रकार के रूप में जाना जाता है. विलियम होगार्थ ने 1723 में पेंसिल से स्केचिंग की शुरुआत की थी. उनकी स्केचिंग जीवंत होती थी.
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