नई दिल्ली: 2016 में नाबालिग रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने के मामले में राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने दिल्ली की राऊज ऐवन्यू कोर्ट में बेल बांड भरा. एडिशनल चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने मामले में जांच अधिकारी को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई पर कोर्ट में पेश होने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी.
बता दें कि 13 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वाति मालीवाल के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग को खारिज कर दिया था. पहले ये मामला तीस हजारी कोर्ट में चल रहा था. स्वाति मालीवाल के संसद सदस्य होने के नाते तीस हजारी कोर्ट ने 18 मार्च को इस मामले का ट्रायल राऊज एवेन्यू कोर्ट में करने के लिए भेज दिया था.

2016 में दर्ज हुई थी FIR: इस मामले में 2016 में दिल्ली के बुराड़ी थाने की पुलिस ने स्वाति मालीवाल और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 228ए और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 74 और 86 के तहत एफआईआर दर्ज किया था. इस मामले में 14 वर्षीया रेप पीड़िता और उसकी मां ने अपहरण और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. 5 जनवरी 2016 को मजिस्ट्रेट के समक्ष अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत पीड़िता ने अपना बयान दर्ज कराया था. मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान में पीड़िता का बयान एफआईआर से अलग था. इस आधार पर रेप के आरोपी को 12 जनवरी 2016 को जमानत मिल गई.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक रेप के आरोपी के जमानत मिलने के बाद स्वाति मालीवाल ने दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि रेप पीड़िता ने डर कर अपना बयान बदल दिया लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. स्वाति मालीवाल का बयान दिल्ली महिला आयोग के तत्कालीन पब्लिक रिलेशंस अफसर भूपेंद्र सिंह ने व्हाट्स ऐप ग्रुप के जरिये सभी न्यूज चैनल्स में प्रसारित कर दिया. व्हाट्स ऐप ग्रुप की सूचना में पीड़िता की पहचान उजागर की गई थी. इसी के आधार पर दिल्ली पुलिस ने स्वाति मालीवाल और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था.
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