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डबल टॉयलेट सीट वाले अनोखे शौचालय, गरीबों की मदद या मजाक, सचिव और BSO को नोटिस - CORRUPTION IN TOILET CONSTRUCTION

सरगुजा में अजीबो गरीब शौचालयों का निर्माण किया गया है.डबल टॉयलेट सीट वाले शौचालय अब आकर्षण का केंद्र बन गए हैं.

corruption in toilet construction
डबल टॉयलेट सीट वाले अनोखे शौचालय (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : June 6, 2025 at 5:14 PM IST

4 Min Read

सरगुजा : आपने सरकारी शौचालय तो काफी देखे होंगे.लेकिन आज हम आपको ऐसा शौचालय दिखाने जा रहे हैं,जो अपने आप में अनोखा है.इस शौचालय का इस्तेमाल किस तरह से होता होगा,ये तो आप इसे देखने के बाद ही समझ जाएंगे.साथ ही साथ आपके मन में ये सवाल जरुर पैदा होगा कि यदि यही करना था तो गांव में खुले में शौच करना क्या गलत है.आईए सबसे पहले देखिए इस सुविधाओं से लैस इस शौचालय को.

corruption in toilet construction
एक ही शौचालय में लगा दिए दो सीट (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

कहां बने अनोखे शौचालय ?: लखनपुर विकासखंड क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन के तहत कराए जा रहे शौचालयों के निर्माण को लेकर अधिकारी किस कदर गंभीर है इसका अंदाजा इस तस्वीर को देखकर लगाया जा सकता है. अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता का आलम यह है कि ठेकेदार जमकर मनमानी कर रहे है. ठेकेदार की मनमानी का ही नमूना यह शौचालय है.

डबल टॉयलेट सीट वाले अनोखे शौचालय (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

हितग्राही एक टॉयलेट सीट दो : एक हितग्राही के शौचालय में ठेकेदार ने दो-दो सीट बैठा दिया. इसके साथ ही क्षेत्र में सैकड़ों शौचालय ऐसे है जो आज भी आधे अधूरे हैं. ठेकेदारों ने हितग्राहियों के लिए स्वीकृत राशि ले ली लेकिन निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुए. ऐसे में ओडीएफ घोषित ग्राम पंचायत के लोगों को आज भी शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है. इस मामले जिला पंचायत सीईओ विनय अग्रवाल ने सचिव और खंड स्वच्छता अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, संतोषजनक जवाब ना मिलने पर निलंबन की कार्रवाई भी की जा सकती है.


ठेकेदार का कारनामा : विकासखंड के ग्राम बेलदगी के आश्रित ग्राम अलगा, बेंदोपानी में शौचालय निर्माण के कार्य को लेकर अधिकारियों की लापरवाही और मनमानी खुलकर सामने आई है. यहां ठेकेदार एक ही स्थान पर दो-दो शौचालय सीट बैठा दिए हैं. ये शौचालय रवि कोरवा और कुंती कोरवा के नाम पर स्वीकृत हुए थे. लेकिन काम पूरा होने के बाद विभाग खुद ही हंसी का पात्र बन गया है. बताया जा रहा है शौचालय निर्माण में 24 हजार रुपए की राशि खर्च की गई है. लेकिन एक ही स्थान पर दो शौचालय सीट बैठाने के बाद इसकी उपयोगिता ही खत्म हो गई है. इस तरह के शौचालय निर्माण को लेकर लोगों में नाराजगी भी है.

शौचालय निर्माण की राशि सीधे हितग्राहियों के खाते में डाली जाती है.शौचालय का निर्माण उन्हें खुद कराना होता है, हितग्राही ठेकेदार के माध्यम से भी शौचालय बनवाते हैं, शिकायत प्राप्त हुई है की इस तरह के शौचालय बनाये गये है. इसके लिये हमने फील्ड प्रभारी और सचिव को निर्देशित किया है कि कार्य में सुधार कराया जाए -विनय अग्रवाल, सीईओ

किन गांवों में हुआ घटिया निर्माण : क्षेत्र के ग्राम बेदोपानी, आमपानी सहित अन्य स्थानों पर ग्रामीणों के लिए शौचालय निर्माण की स्वीकृति मिली थी. लेकिन ठेका प्रथा में कराए जा रहे कार्यों में अधिकारियों ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई. आलम ये है कि बड़े पैमाने पर आहता खड़ा कर शौचालय का निर्माण कराया गया. लेकिन उस पर शेड नहीं लगाए गए है. कहीं शौचालय बनाने के बाद गेट नहीं लगाए गए है तो कहीं पानी की समस्या है. ऐसे में ये शौचालय भी उपयोगहीन साबित हो रहे हैं. कई जगहों पर ठेकेदारों ने शौचालय निर्माण के लिए गड्ढा खोदकर छोड़ दिया. तो कहीं सिर्फ सेप्टिक टैंक का ही निर्माण हुआ है. निर्माण कार्य पूरा किए बगैर ही राशि का आहरण भी कर लिया गया.

शौचालय होने के बाद भी खुले में शौच : यहां रहने वाले पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों का साल 24 - 25 में स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत शौचालय स्वीकृत हुआ. हितग्राहियों से 12-12 हजार रुपए खाते से निकलवा लिए गए.लेकिन किसी का भी शौचालय पूरा नहीं हुआ. ऐसे में ओडीएफ ग्राम पंचायत घोषित होने के बाद भी लोग खुले में शौच के लिए मजबूर है.


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corruption in toilet construction
एक ही शौचालय में लगा दिए दो सीट (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

कहां बने अनोखे शौचालय ?: लखनपुर विकासखंड क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन के तहत कराए जा रहे शौचालयों के निर्माण को लेकर अधिकारी किस कदर गंभीर है इसका अंदाजा इस तस्वीर को देखकर लगाया जा सकता है. अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता का आलम यह है कि ठेकेदार जमकर मनमानी कर रहे है. ठेकेदार की मनमानी का ही नमूना यह शौचालय है.

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हितग्राही एक टॉयलेट सीट दो : एक हितग्राही के शौचालय में ठेकेदार ने दो-दो सीट बैठा दिया. इसके साथ ही क्षेत्र में सैकड़ों शौचालय ऐसे है जो आज भी आधे अधूरे हैं. ठेकेदारों ने हितग्राहियों के लिए स्वीकृत राशि ले ली लेकिन निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुए. ऐसे में ओडीएफ घोषित ग्राम पंचायत के लोगों को आज भी शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है. इस मामले जिला पंचायत सीईओ विनय अग्रवाल ने सचिव और खंड स्वच्छता अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, संतोषजनक जवाब ना मिलने पर निलंबन की कार्रवाई भी की जा सकती है.


ठेकेदार का कारनामा : विकासखंड के ग्राम बेलदगी के आश्रित ग्राम अलगा, बेंदोपानी में शौचालय निर्माण के कार्य को लेकर अधिकारियों की लापरवाही और मनमानी खुलकर सामने आई है. यहां ठेकेदार एक ही स्थान पर दो-दो शौचालय सीट बैठा दिए हैं. ये शौचालय रवि कोरवा और कुंती कोरवा के नाम पर स्वीकृत हुए थे. लेकिन काम पूरा होने के बाद विभाग खुद ही हंसी का पात्र बन गया है. बताया जा रहा है शौचालय निर्माण में 24 हजार रुपए की राशि खर्च की गई है. लेकिन एक ही स्थान पर दो शौचालय सीट बैठाने के बाद इसकी उपयोगिता ही खत्म हो गई है. इस तरह के शौचालय निर्माण को लेकर लोगों में नाराजगी भी है.

शौचालय निर्माण की राशि सीधे हितग्राहियों के खाते में डाली जाती है.शौचालय का निर्माण उन्हें खुद कराना होता है, हितग्राही ठेकेदार के माध्यम से भी शौचालय बनवाते हैं, शिकायत प्राप्त हुई है की इस तरह के शौचालय बनाये गये है. इसके लिये हमने फील्ड प्रभारी और सचिव को निर्देशित किया है कि कार्य में सुधार कराया जाए -विनय अग्रवाल, सीईओ

किन गांवों में हुआ घटिया निर्माण : क्षेत्र के ग्राम बेदोपानी, आमपानी सहित अन्य स्थानों पर ग्रामीणों के लिए शौचालय निर्माण की स्वीकृति मिली थी. लेकिन ठेका प्रथा में कराए जा रहे कार्यों में अधिकारियों ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई. आलम ये है कि बड़े पैमाने पर आहता खड़ा कर शौचालय का निर्माण कराया गया. लेकिन उस पर शेड नहीं लगाए गए है. कहीं शौचालय बनाने के बाद गेट नहीं लगाए गए है तो कहीं पानी की समस्या है. ऐसे में ये शौचालय भी उपयोगहीन साबित हो रहे हैं. कई जगहों पर ठेकेदारों ने शौचालय निर्माण के लिए गड्ढा खोदकर छोड़ दिया. तो कहीं सिर्फ सेप्टिक टैंक का ही निर्माण हुआ है. निर्माण कार्य पूरा किए बगैर ही राशि का आहरण भी कर लिया गया.

शौचालय होने के बाद भी खुले में शौच : यहां रहने वाले पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों का साल 24 - 25 में स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत शौचालय स्वीकृत हुआ. हितग्राहियों से 12-12 हजार रुपए खाते से निकलवा लिए गए.लेकिन किसी का भी शौचालय पूरा नहीं हुआ. ऐसे में ओडीएफ ग्राम पंचायत घोषित होने के बाद भी लोग खुले में शौच के लिए मजबूर है.


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