शिमला: हिमाचल की धरा को हरा भरा रखने के लिए मुख्यमंत्री ने अपने बजट अनुमान भाषण ने बड़ा ऐलान किया है. ग्रीन हिमाचल का सपना साकार करने के लिए वर्ष 2025-26 में 5 हजार हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है. जिसके तहत बंदरों सहित अन्य जीवों को आबादी में आने से रोकने के लिए खाली भूमि पर जंगली फलों के पौधे लगाए जाएंगे. जिसके लिए राजीव गांधी वन संवर्धन योजना शुरू की जा रही है. इसके तहत युवक मंडलों, महिला मंडलों और स्वयं सहायता समूहों को बंजर भूमि पर फलदार एवं अन्य उपयोगी पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. जिसके लिए इन्हें एक हेक्टेयर से 5 हेक्टेयर तक पौधरोपण क्षेत्र प्रबंधन के लिए दिए जाएंगे.
हर समूह को मिलेंगे इतने लाख रुपए
इसमें 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पहले वर्ष में इन समूहों को 2 लाख 40 हजार रुपये फलदार और अन्य पौधे लगाने के लिए दिए जाएंगे. इसके बाद भी पांच साल तक सर्वाइवल प्रतिशतता 50 प्रतिशत या अधिक होने पर दूसरे, तीसरे, चौथे व पांचवें वर्ष तक सालाना एक लाख रुपये दिए जाएंगे. ऐसे में कुल 6 लाख 40 हजार की राशि प्रत्येक समूह को दी जाएगी. वहीं, इन वन क्षेत्रों को जियो टैग किया जाएगा. योजना पर 100 करोड़ खर्च किए जाएंगे. कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी योजना के तहत बंजर भूमि पर पौधरोपण किया जाएगा. विश्व बैंक और जाइका की सहायता से चल रही तीन परियोजनाओं के तहत अगले वर्ष के दौरान लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
इको-टूरिज्म नीति में संशोधन
हिमाचल में आक्रामक प्रजातियों जैसे लैंटाना, चीड़ की सूखी सुइयों और कृषि-अवशेषों से जंगल की आग, जैव विविधता की हानि, जल संकट, आवास और पारंपरिक आजीविका के नुकसान, जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिमों की चुनौतियों के मद्देनजर इन्हें बायोचार, बायो-एनर्जी, बायो-फर्टिलाइजर, बायो-पेस्टीसाइड, ग्रीन एनर्जी और कार्बन-क्रेडिट में परिवर्तित किया जाएगा. इससे कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी. वहीं, सरकार ने इको-टूरिज्म नीति में संशोधन किया है. प्रदेश में 78 नई इको-टूरिज्म साइट्स आवंटित की जाएगी. अगले 5 सालों में इको-टूरिज्म से 200 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा.