सीतामढ़ी: झोपड़पट्टी से निकलकर प्रदेश और देश में अपनी पहचान बनाना आसान नहीं होता. गिरते और संभलते हुए सफलता पाने की ये कहानी बिहार के सीतामढ़ी की बेटी सुंदर कुमारी की है. सुंदर कुमारी ने घोर संसाधनों की कमी के बीच खेलना शुरू किया. पिता हजामत का काम करते हैं इसलिए आर्थिक तंगी में उनका पूरा बचपन गुजरा है. फिर भी इस बेटी ने हार नहीं मानी और पिता का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया.
झोपड़ी में रहता है सुंदर का परिवार: जिला मुख्यालय से सटे नारायणपुर गांव निवासी संजय ठाकुर की बेटी सुंदर कुमारी की चर्चा आज पूरे इलाके में होती है. पांच बार नेशनल गेम खेल चुकी सुंदर कुमारी ने अपने पूरे परिवार के साथ ही अपने गांव वालों को भी गौरवान्वित किया है. सुंदर का पूरा परिवार एक झोपड़ी में रहने को मजबूर है.
हजामत का काम करते हैं पिता: गांव के लोग कहते हैं सुंदर जैसी बेटी हर घर में हो. पिता संजय ठाकुर अपने झोपड़ी के घर के पास ही नाई की दुकान चलाते हैं और इसी दुकान से अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. संजय को गर्व है कि उनकी बेटी कुछ अच्छा कर रही है और उनका मान बढ़ा रही है. संजय कहते हैं कि आने वाले दिनों में सुंदर कुछ बड़ा करेगी.
"मेरी बेटी बहुत मेहनत करती है. संसाधन के अभाव के बावजूद मेरी बेटी अच्छा कर रही है. सरकार हमारी मदद करे. बेटी को नौकरी दे."- संजय ठाकुर, सुंदर कुमारी के पिता

बीए पार्ट 1 की स्टूडेंट: साधारण से परिवार में जन्मी सुंदर की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई. सुंदर अभी बीए फर्स्ट पार्ट की स्टूडेंट हैं. 2018 में जिला स्तर पर सभी सरकारी स्कूलों के द्वारा कबड्डी खेल का आयोजन किया गया तो वह अपने स्कूल की तरफ से डुमरा के हवाई अड्डा मैदान में कबड्डी खेलने आई थी.
दर्शकों ने जब खूब बजाई थी तालियां: इस दौरान सुंदर के गेम पर दर्शकों ने खूब ताली बजाई थी. यही खेल उसके जीवन का टर्निंग पॉइंट बना. उसी दिन सुंदर ने कबड्डी खेलने और कबड्डी में देश का प्रतिनिधित्व करने की ठान ली. आलम ये है कि उसकी प्रतिभा की गूंज भारत सरकार के द्वारा संचालित गुजरात के गांधीनगर के साई सेंटर तक पहुंची थीं.
गुजरात के ट्रायल में सुंदर पास: 27 फरवरी से 5 मार्च तक होने वाले ट्रायल को लेकर सुंदर भी गांधीनगर पहुंची थीं. यहां भी सुंदर का जलवा बरकरार रहा और ट्रायल में सुंदर पास हो गई हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में सुंदर बताती हैं कि उन्हें मिडिल स्कूल में 2019 में खेलने की प्रेरणा मिली थी. झारखंड सब जूनियर नेशनल, मध्य प्रदेश में खेलो इंडिया, राजस्थान और चेन्नई में नेशनल गेम खेल चुकी हूं. हालांकि सुंदर को मलाल है कि उत्तराखंड में हुए गेम में उन्हें कोई पोजिशन नहीं मिला था.

"सरकारी सहायता नहीं मिल रही है. मेरी सरकार से मांग है कि हमें घर दें और थोड़ा सपोर्ट करें, ताकि मैं अपना खेल जारी रख सकूं."- सुंदर कुमारी, कबड्डी खिलाड़ी
पांच बार खेल चुकी हैं नेशनल गेम : वर्ष 2020 में सुंदर का चयन एकलव्य राज्य आवासीय खेल प्रशिक्षण केंद्र डुमरा में हो गया था. वर्ष 2020 से अब तक सुंदर पांच बार नेशनल गेम खेल चुकी हैं. वर्ष 2020 में बिहार टीम से सुंदर सब जूनियर नेशनल गेम खेलने झारखंड गई थी.
बिहार सरकार ने किया सम्मानित: इसी तरह 2022 में खेलो इंडिया की ओर से मध्य प्रदेश में आयोजित नेशनल गेम में सुंदर भाग ले चुकी हैं. उस गेम में बिहार की टीम तीसरे स्थान पर थी. बिहार सरकार ने अच्छे प्रदर्शन को लेकर सुंदर समेत टीम की सभी खिलाड़ियों को 20-20 हजार रुपए देकर पुरस्कृत किया था.

2024 में रेट स्कोर सबसे अधिक: वहीं 2023 में राजस्थान में आयोजित स्कूली नेशनल गेम में सुंदर बिहार टीम की कप्तान बनी थी. इसी प्रकार चेन्नई में आयोजित नेशनल गेम में भी सुंदर का चयन बिहार टीम में हुआ था. सुंदर का सबसे रोमांचक वर्ष 2024 रहा. इस वर्ष पटना में आयोजित सीनियर महिला कबड्डी लीग में सुंदर का रेट स्कोर सबसे अधिक 107 रहा, इसके लिए बिहार सरकार के खेल मंत्री ने सुंदर को प्रथम पुरस्कार दिया.
सरकार से मदद की अपील: 2025 में सुंदर उत्तराखंड में आयोजित जूनियर नेशनल गेम में भाग लेकर लौटी हैं. वहीं सुंदर को अब तक बिहार सरकार या जिला प्रशासन से जो खेल को लेकर सहयोग मिलना चाहिए, वह नहीं मिला है. इसको लेकर कहीं ना कहीं सुंदर के मन में कसक है. हालांकि सुंदर के जज्बे को देखकर गांव के लोग कहते हैं आने वाले दिनों में सुंदर कुछ बड़ा करेगी.
ये भी पढ़ें
क्यों दूसरे राज्यों से खेलने को मजबूर हैं बिहार के खिलाड़ी? पॉलिटिक्स ने बना दी है लाचारी
हर लड़की के सपनों को उड़ान देती ये Sports Academy, यहां हर आंख में पल रहे नेशनल खेलने के सपने