रायपुर(रितेश तंबोली, संवाददाता): छत्तीसगढ़ के रायपुर की रहने वाली टिकेश्वरी साहू ने 23 मई से 1 जून तक टर्की के अंटालिया में म्यूथाई इंटरनेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर छत्तीसगढ़ के साथ ही देश का नाम गौरवान्वित किया है. अंटालिया में हुए इंटरनेशनल चैंपियनशिप में टिकेश्वरी को इंटरनेशनल कोच का सर्टिफिकेट भी मिला है. अब टिकेश्वरी साहू म्यूथाई के खिलाड़ियों को देश के साथ विदेश भी ले जा सकती हैं. टिकेश्वरी साहू टर्की के अंटालिया में हुए म्यूथाई इंटरनेशनल चैंपियनशिप को मिलाकर अब तक चार बार इंटरनेशनल गेम में हिस्सा ले चुकी हैं. वह 2 जून को अंटालिया से लौटकर रायपुर पहुंची हैं. ईटीवी भारत ने खिलाड़ी टिकेश्वरी साहू से खास बातचीत की.
सवाल: आपने म्यूथाई गेम में देश और विदेश में परचम लहराया है. इस ख्याति को आप कैसे देखते हैं?
जवाब: यह मेरे लिए बड़े गर्व की बात है कि मैंने अपने प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है. इसका पूरा श्रेय कुछ समाज सेवियों और कोच को जाता है, जिनके सहयोग से मैं वहां तक पहुंच पाई और अपने प्रदेश का नाम रोशन कर पाई. वैसे तो यह मेरा चौथा इंटरनेशनल कंपटीशन था. समाजसेवियों और कोच की बदौलत ही मैं कांस्य से पदक हासिल कर पाई.
सवाल: अब तक आप नेशनल कोच के रूप में काम कर रही थी, लेकिन अब आपको इंटरनेशनल कोच का सर्टिफिकेट भी मिल गया है. दोनों में क्या फर्क है?
जवाब: इंटरनेशनल और नेशनल कोच में काफी कुछ फर्क है. अबतक मैं छत्तीसगढ़ की टीम लेकर दूसरे राज्यों में जाती थी, लेकिन अब इंडिया से टीम लेकर विदेश जाऊंगी. मैं एक खिलाड़ी के साथ साथ अब इंटरनेशनल कोच भी हूं.
सवाल: आप कई तरह की कठिनाई और चुनौतियों का सामना करते हुए इस मुकाम तक पहुंची हैं. ऐसे कई खिलाड़ी हैं, जो संघर्ष कर रहे हैं, उनको क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब: ऐसे खिलाड़ियों को मैं संदेश देना चाहूंगी कि अपनी कठिनाइयों को सहकर भी ऐसे खिलाड़ी आगे बढ़ सकते हैं. अपनी कठिनाई और परेशानी को देखकर खिलाड़ी को कहीं भी रुकना नहीं चाहिए. जैसे कि मैं खुद भी एक मजदूर परिवार से हूं. मजदूर परिवार से होते हुए भी बिना किसी शासन की मदद के आगे बढ़ी हूं. ऐसे में दूसरे खिलाड़ियों को किसी तरह की मदद की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए और ना ही लेकर चलनी चाहिए. ऐसे खिलाड़ी को लगातार अपने गेम पर फोकस करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए.
सवाल: म्यूथाई का छत्तीसगढ़ में क्या भविष्य है, क्या शासन प्रशासन इसको लेकर गंभीर है?
जवाब: वैसे तो म्यूथाई वर्ल्ड लेवल पर काफी फेमस और प्रचलित है, लेकिन अगर हम भारत की बात करें या फिर छत्तीसगढ़ की बात करें तो साल 2016 और 17 तक म्यूथाई के खिलाड़ियों को शासन प्रशासन से सहयोग मिल रहा था. लेकिन उसके बाद बंद हो गया. इसके बावजूद जो संस्था के पदाधिकारी हैं, निरंतर उनके द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि मान्यता मिल जाए. इसके बाद भी अगर हम भविष्य की देखें तो जो हमारा म्यूथाई गेम है, वह एशियन गेम में है. IOC से मान्यता प्राप्त है. इसके साथ ही पैरा ओलंपिक में भी है. ऐसे में म्यूथाई के खिलाड़ी का भविष्य बेहतर ही है. म्यूथाई खिलाड़ी को लगातार अभ्यास करने के साथ ही मेडल अर्जित करते रहना चाहिए.
सवाल: छत्तीसगढ़ में खेल और खिलाड़ियों का क्या भविष्य है. क्या यहां की सुविधाओं से खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर परफॉर्म कर पाएंगे?
जवाब: सुविधाओं की बात करें तो मैं खुद एक मजदूर परिवार से आती हूं. मेरे पास ऐसी कोई सुविधा नहीं है. मेरे पास जो कुछ सुविधाएं हैं, जिसमें किट और मेरे पास जो जगह है, उसी में मैं प्रेक्टिस करके इंटरनेशनल लेवल पर मेडल लेकर आई हूं. ऐसे में खिलाड़ियों को किसी से मदद की उम्मीद लगाकर नहीं रखनी चाहिए. उनके पास जो सुविधाएं हैं, उसी में खिलाड़ियों को बेहतर करना चाहिए.
सवाल: खेल और खिलाड़ियों के लिए किस तरह की सुविधा होनी चाहिए?
जवाब: जैसे हम शासन की बात करें तो उनकी अपनी एक केटेगरी है, सुविधाएं देने की तो हम बिल्कुल भी शासन को यह नहीं बोल सकते कि हमको यह सुविधा चाहिए. लेकिन देना या नहीं देना शासन के ऊपर है. ऐसे में खिलाड़ियों को शासन के भरोसे बिल्कुल भी नहीं रहना चाहिए. अगर खेलना है, मुकाम हासिल करना है तो अपने दम पर खिलाड़ियों को आगे बढ़ना होगा. अपनी मेहनत पर ध्यान दो, निरंतर मेहनत करते रहो और अपने गोल पर ध्यान दो.
मैं बार-बार बोलती हूं कि मैं एक मजदूर परिवार से हूं. मैं अपना सेल्फ प्रेक्टिस करके ही आज इंटरनेशनल लेवल पर अपना मुकाम बना पाई. मेरे पास किसी तरह की कोई सुविधा नहीं थी. बावजूद इसके मैं अपने रूम में प्रेक्टिस करती थी और दिन भर काम करने के बाद मैं अपने रूम में अकेले प्रैक्टिस करती थी. उसके बाद मैं उतनी दूर गई और मैं वहां से मेडल लेकर आई हूं. ऐसे में खिलाड़ियों से कहना चाहूंगी कि शासन से क्या मिल रहा है या नहीं मिल रहा है. इसे फेडरेशन पर छोड़ दें. इसका देर सवेर हमको लाभ जरूर मिलेगा.
