रोहतास: बिहार की महिला रीता देवी अपने परिवार का लालन-पालन करने के लिए ऑटो चलाती हैं. अपने दम पर अबतक उन्होंने अपनी दो बेटियों की शादी की है. वहीं दिव्यांग बेटे का भी ख्याल रखती हैं. रीता देवी की कहानी सुनकर कोई भी भावुक हो जाता है, लेकिन उनके हौसले और हिम्मत को सलाम भी करता है.
शराबी पति के कारण थामी ऑटो की स्टीयरिंग: दरअसल रोहतास जिले के डेहरी इलाके के तार बंगला के रहने वाली महिला रीता देवी के पति को शराब की लत लग गई तो उन्होंने खुद घर परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर संभाल ली.ऑटो की स्टेरिंग थाम आत्मनिर्भर बन आज दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन चुकी हैं.
रात को भी चलाती हैं ऑटो: ऑटो चालक महिला रीता देवी दिन तो दिन आधी रात में भी सड़कों और गलियों में ऑटो चलाते देखी जा सकती हैं. बता दें कि रीता देवी जिले की इकलौती ऐसी महिला चालक हैं जो ऑटो चला रही हैं. कड़ा संघर्ष करते हुए घर की दहलीज लांघ अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं.

रीता देवी के संघर्ष की कहानी: रीता देवी बताती हैं कि उनके पति मिथिलेश चौधरी को शराब की लत लग गई. वह घर परिवार की जिम्मेदारी संभालना तो दूर उल्टे परिवार के साथ मारपीट करने लगा था और परिवार आर्थिक संकट से जूझने लगा. पति कमाते नहीं थे. घर में आए दिन लड़ाई झगड़ा हो रहा था. शराब पीकर पति बच्चों के साथ गाली गलौज और मारपीट करता था. इसलिए मैंने अलग रहकर काम करने का फैसला लिया.

"ऑटो चलाकर अपना परिवार चलाती हूं. पति 24 घंटा शराब पीते रहते हैं. पहले बहुत गरीबी थी. सास ससुर ही खिलाते थे. बाद में उन लोगों ने अगल कर दिया. फिर मैंने मजदूरी की दूसरों के घरों में खाना बनाया. आज ऑटो चलाती हूं. मेरी स्थिति पहले से काफी बेहतर है. गरीबी के कारण ही मैं अपने बेटे का इलाज नहीं करवा पाई."- रीता देवी, ऑटो चालक
अलग किराए के मकान में रहती है रीता: रीता देवी बताती हैं कि सास-ससुर व पति के साथ वह पहले तारबंगला में रहती थी, लेकिन पति के साथ रोज-रोज क्लेश से वह तंग आकर अनुमंडल के पीछे एक किराए के मकान में शिफ्ट हो गई. रीता यहीं पर अपने बच्चों के साथ रहती है.

'दिव्यांग बेटे के लिया ऑटो लेकिन..': वह बताती हैं कि ऑटो उन्होंने किस्त पर बेटे के लिए लिया था. उनका दिव्यांग पुत्र ही भाड़े पर ऑटो चलाता था, लेकिन जब वह कहीं ऑटो लेकर निकलता पैसे कमाकर लौटता तो पति उसे परेशान करता था. वाहन की चाबी रुपए छीन लेता और सारे पैसों की शराब पी जाता था. इतना ही नहीं दिव्यांग बेटे के साथ मारपीट भी करता था.
इस कारण से रीता ने हाथों में थामी स्टीयरिंग: नम आंखों से रीता कहती हैं कि बेटा दिव्यांग होने के कारण कुछ कर नहीं कर पाता था. फिर रीता देवी ने खुद बेटे से ही ऑटो चलाना सीखा. फिर ऑटो की कमाई से ही आज परिवार का और खुद का खर्चा चला रही है.

दिव्यांग पुत्र और बेटी की जिम्मेदारी: काफी गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली तीन बेटी व दोनों पैरो से दिव्यांग पुत्र की मां रीता देवी अपनी कहानी बताते बताते भावुक हो जाती हैं. वह बताती है कि दो बेटियों की तो शादी किसी तरह कर दी है. अब बस एक छोटी बेटी की शादी का सपना है. एक दिव्यांग पुत्र की जिम्मेदारी मजबूत मां बनकर निभा रही हूं.
करना पड़ा विरोध का सामना: रीता देवी बताती है कि ऑटो ड्राइविंग हालांकि पुरुष का पेशा है. शुरुआती दौर में कई पुरुष चालकों ने विरोध भी किया. ऑटो स्टैंड पर पार्किंग नहीं करने देते थे. जिस रूट की सवारी उठाती तो वह लोग लड़ने लगते थे. कहते थे कि यह औरतों का काम नहीं है.

कभी कभी लफंगे भी करते हैं परेशान: बावजूद इसके रीता ने हार नहीं मानी और अपना काम शांति से करती रही. रीता बताती हैं कि मेरे ऑटो रिक्शा में बैठकर महिलाएं तो खुद को सुरक्षित समझती ही हैं, पुरुष भी मुझ पर गर्व करते हैं. वहीं कभी-कभी लफंगे भी आकर बैठ जाते हैं लेकिन मैं उन्हें बैठने नहीं देती उतार देती हूं. कोशिश करती हूं कि परिवार वाले व ज्यादा रिजर्व सवारी को ही ऑटो में जगह दूं.
दिन रात मेहनत करती है तब होती है कमाई: रीता देवी बताती हैं कि रात में 11 बजे से सुबह के 6 बजे तक ऑटो चलाती हूं. फिर घर आती हूं. घर आकर खाना खाकर आराम करती हूं. जिसके बाद 10 बजे दिन से ऑटो ले कर निकलती हूं तो शाम के 6 तक घर आना होता है.
"पति को शराब की लत लग गई थी. वह कामकाज नहीं करता है. ऐसे में परिवार के सामने आर्थिक संकट आन पड़ी और फिर मैने ठान लिया कि खुद की बदौलत आत्मनिर्भर बनूंगी. आज ऑटो चलाकर अपनी मेहनत से घर परिवार का खर्च चलाते हुए बच्चों की परवरिश कर रही हूं."- रीता देवी, ऑटो चालक
'छोटे शहर में महिला का ऑटो चलाना बड़ी बात': ऑटो पर सवार महिला यात्री प्रीति देवी कहती हैं कि "आज के दौर में महिलाएं कुछ भी कर सकती हैं. आज पति के कारण ही यह दिन रात मेहनत कर ऑटो चला कर परिवार का गुजारा कर रही है. दूसरी जगहों पर पुरुष ऑटो चलाते हैं पर इस छोटे से शहर में अपनी मजबूरी के कारण ही ऑटो चलाती है, ताकि घर का खर्च चलाया जा सके. किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़े और दिव्यांग बेटे और बेटी की शादी कर सके."
"जिस तरीके से ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं, यह महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल है. अन्य महिलाओं को भी इनका अनुसरण करना चाहिए, जिस तरह से पति के कार्यों से लाचार हो कर यह कार्य कर रही हैं, यह किसी चुनौती से कम नहीं है. रीता देवी आत्मनिर्भर बन आदर्श महिला के रूप में खुद को प्रस्तुत कर रही हैं."- मनोज अज्ञानी, स्थानीय निवासी
महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत: बहरहाल समय के साथ-साथ समाज और लोगों की सोच में बदलाव आया है और महिलाएं अब तेजी साथ आत्मनिर्भर बन रही हैं. इसी कड़ी में रीता देवी भी अब जिले में पहली ऑटो महिला चालक बनकर अपनी पहचान स्थापित कर चुकी हैं. वहीं अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं जो कि यह समाज के लिए एक सुखद संदेश है.
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