लक्सर: तहसील में एक बड़ी टायर फैक्ट्री के सामने से कर्मचारियों द्वारा दिये रहे धरने को प्रशासन द्वारा हाइकोर्ट के आदेश का हवाला देकर हटवा दिया गया. इसके बाद आंदोलित कर्मचारियों ने तहसील मुख्यालय पर धरना शुरू कर दिया. किसान यूनियन पटेल गुट के अध्यक्ष कीरत सिंह और पथिक जन शक्ति पार्टी के अध्यक्ष चौधरी वीरेंद्र सिंह ने भी धरना स्थल पर पहुंचकर कर्मचारियों को समर्थन दिया. मांग पूरी नहीं होने पर 7 अप्रैल को महापंचायत का ऐलान किया गया है. कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि फैक्ट्री अधिकारियों को बाहर निकाल कर वो स्वयं टायर फैक्ट्री का संचालन करेंगे.
लक्सर में टायर फैक्ट्री कर्मियों का धरना जारी: बता दें कि अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे एक राष्ट्रीय टायर फैक्ट्री के कर्मचारी धरनास्थल से हटाए जाने पर तहसील पहुंच गए. कर्मचारी इसके बाद तहसील परिसर में ही धरने पर बैठ गए. 500 से ज्यादा लोगों का गुरुवार को भी धरना जारी रहा. एग्रीमेंट में वेतन वृद्धि की मांग को लेकर लक्सर स्थित टायर फैक्ट्री के कर्मचारी 17 मार्च से आंदोलन कर रहे हैं.
17 मार्च से जारी है आंदोलन: कर्मचारी पहले फैक्ट्री गेट के निकट धरने पर बैठे थे. लेकिन प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उन्हें वहां से हटा दिया था. इसके बाद कर्मचारियां ने सड़क की दूसरी तरफ अपना धरना शुरू कर दिया था. इस बीच एसडीएम सौरभ असवाल पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और कर्मचारियों को हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए फैक्ट्री गेट से 200 मीटर की दूरी के बाहर धरने पर बैठने को कहा.
जगह नहीं मिली तो तहसील परिसर में धरना: इस दौरान कर्मचारियों ने प्रशासन से धरने के लिए जगह देने की मांग की. लेकिन कोई खाली स्थान नहीं मिल पायी. इस पर कर्मचारी लक्सर तहसील पहुंच गए और तहसील परिसर में धरने पर बैठ गए. कर्मचारियों ने मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है. वहीं, एसडीएम सौरभ असवाल ने बताया कि-
दोनों पक्षों से वार्ता की जा रही है. उम्मीद है कि वार्ता से मामला सुलझाया जाएगा. -सौरभ असवाल, एसडीएम-
7 अप्रैल को कर्मचारियों की महापंचायत: आंदोलित कर्मचारियों और समर्थन देने वाले नेताओं ने प्रशासन पर फैक्ट्री प्रबंधन के साथ मिलीभगत के आरोप लगाए हैं. दोनों यूनियन अध्यक्षों और कर्मचारियों ने कहा कि यदि नियमानुसार तीन वर्षीय वेतन वद्धि और टर्मिनेट किए गए तीनों कर्मचारियों को बहाल नहीं किया गया, तो 7 अप्रैल को महापंचायत आयोजित की जाएगी. यदि फिर भी बात नहीं मानी जाती तो फैक्ट्री के अंदर घुसकर अधिकारियों को बाहर निकलकर कर्मचारी खुद फैक्ट्री का संचालन करेंगे.
कर्मचारियों का कहना है कि हर 3 साल में कर्मचारियों का इंक्रीमेंट होता है, अभी तक नहीं किया गया. यही वार्ता करने के बाद मामला बिगड़ गया और कर्मचारी 17 मार्च से धरने पर बैठ गए. इस दौरान फिर वार्ता की गई लेकिन वो विफल रही. 27 मार्च को पहले 20 लोगों का निलंबन किया गया. उसके बाद 28 मार्च को फिर 20 लोगों का निलंबन किया गया. इसके बाद वार्ता होने पर फिर मामला बिगड़ा और फिर तीन लोगों को बर्खास्त कर दिया गया. मामले ने तूल पकड़ लिया और कर्मचारी धरने पर बैठ गए. अब 7 अप्रैल को महापंचायत का ऐलान किया गया है. फैक्ट्री प्रबंधन से जब उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया.
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