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क्या है इनका कसूर और रिश्ते क्यों हो गये इतने मजबूर! जानें, वृद्धाश्रम के बुजुर्गों की दर्द भरी दास्तां - OLD AGE HOME

मां जब बूढ़ी और लाचार हो जाती है तो उनकी तमाम शिकवे और शिकायतें डबडबाई आंखों से बयां होती है.

story about condition of elderly in old age home of Deoghar
देवघर के वृद्धाश्रम में रह रहीं बुजुर्ग महिला की तस्वीर (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 13, 2025 at 6:18 PM IST

Updated : April 13, 2025 at 11:06 PM IST

5 Min Read

देवघरः बधाई गीत गाओ कि आपके यहां बच्चे का जन्म हुआ है, खुशियां मनाओ कि आपके घर के चिराग ने जन्म लिया है. समय बदला सावन और भादो बीतते चले गये बच्चे अपने पांव पर खड़े हो गये. मां की कमर भी उमर की ढलान के साथ झुक गयी, समय की रेखा अब झुरियां बनकर चेहरे पर नजर आने लगीं. अब बच्चों को अपनी मां के चेहरे पर लाचारी नजर आ रही है.

अब छांव देने वाला मां का आंचल बच्चों के लिए पैसे देकर खरीदे जाने वाली महज एक साड़ी नजर आ रही है. ममता की कीमत अब दया से चुकाई गयी और दया भी ऐसी कि जिस बच्चे को मां ने अपने सीने से चिपकाकर बड़ा किया. जब बच्चों के कंधे ऊंचे हुए तो उन्होंने ममता के बोझ को उतारकर वृद्धाश्रम में जाकर रख दिया.

जानकारी देते संवाददाता हितेष (ईटीवी भारत)

ये कोई फलसफा या कोई कहानी का लब्बोलुआब नहीं बल्कि आज के जमाने की एक कड़वी सच्चाई है. जो यहां रह रहीं माताओं की आंखों से बयां हो रही हैं. इन आंखों से उन्होंने रिश्तों का वो तमाशा देखा है, जिसे लफ्जों में नहीं बताया जा सकता है. इनके तमाम शिकवे और शिकायतें डबडबाई आंखों से बयां होती हैं. ईटीवी भारत की देवघर टीम ने इन माताओं की आंखों में झांकने और उस दर्द को महसूस कर सबके सामने लाने का एक प्रयास किया है.

Condition of elderly in old age home of Deoghar
वृद्धाश्रम में रह रहीं बुजुर्ग (ETV Bharat)

भारतीय संस्कृति में माता-पिता को भगवान की तरह पूजा जाता है. फिर भी भारत जैसे देश में वृद्धाश्रम है और यहां उम्र के आखिरी पड़ाव में बुजुर्ग यहां पर रहने के लिए भेज दिए जाते हैं. झारखंड के देवघर के चांदडीह में बना वृद्धा आश्रम भी एक ऐसा ही आश्रम है. यहां ऐसी तस्वीर देखने को मिली जो कहीं ना कहीं यह बताने के लिए काफी है कि आज भागम-भाग के इस दौर में रिश्तों का प्यार कमजोर होता जा रहा है.

Condition of elderly in old age home of Deoghar
देवघर का वृद्धाश्रम (ETV Bharat)

ईटीवी भारत की टीम ने देवघर में बने वृद्धाश्रम का जायजा लिया. यहां हमने देखा कि वहां पर ज्यादातर ऐसे वृद्धि लोग रह रहे हैं जो पारिवारिक कलह के कारण अपने घर को छोड़कर बाहर रहने को मजबूर हैं. ऐसे तो वृद्ध आश्रम में वैसे बुजुर्गों को रखा जाता है जिनका कोई अपना ना हो या फिर किसी कारणवश उनका केयर करने वाला कोई ना हो. लेकिन देवघर में सरकारी वृद्धाश्रम में ज्यादातर वैसी वृद्ध महिलाएं हैं जो अपने बेटे और बहू के द्वारा दुत्कार कर घर से निकाल दी गई हैं.

'बेटे और बहू ने घर से निकाला'

वृद्ध आश्रम में रह रहीं शीला देवी बताती हैं कि उनके बेटे और बहू ने उन्हें घर से निकाल दिया है. बेटी के परिवार वाले उसे रखने के लिए तैयार नहीं है. इसीलिए वह मजबूरी में वृद्धाश्रम में रह रही हैं. वहीं देवघर के काशीडीह की रहने वाली कौशल्या देवी ने बताया कि पिछले 9 वर्षों से वह वृद्ध आश्रम में अपना समय बीता रही हैं. पति की मौत के बाद बेटे और बहू ने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी. जिस कारण वह अपना जीवन बचाने के लिए वृद्ध आश्रम में समय व्यतीत कर रही हैं.

'एक बेटा है वो भी नहीं देखता'

वहीं वृद्धा आश्रम में रह रहीं मालती देवी से जब ईटीवी भारत की टीम ने बात की तो वह अपने आंसू रोक नहीं सकीं. नम आंखों से उन्होंने अपने बेटे को याद करते हुए कहा कि उvका सिर्फ एक ही बेटा है लेकिन वह कभी उनकी सुध नहीं लेता. वह हाई डायबिटीज से ग्रसित हैं कभी-भी उनकी जान जा सकती है. उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से रोते रोते यह कहा कि यदि उसके बेटे को उसका संदेश मिलता है तो एक बार मिलने जरूर आए.

कुछ ऐसे ही कहानी सुशीला देवी, मीना राज सहित कई ऐसी बुजुर्ग महिलाओं की है जो देवघर के वृद्ध आश्रम में रह रही हैं. देवघर के चांदडीह में बना यह सरकारी वृद्धा आश्रम लाचार एवं विवश बुजुर्गों के लिए आश्रय स्थल रहा है. बुजुर्गों ने कहा अगर सरकार की तरफ से यह व्यवस्था नहीं रहती तो आज उन्हें शायद सड़क पर रहना पड़ता. अपनों से दूर रह रहीं सभी वृद्ध महिलाओं ने अपने दर्द को बयां करते हुए कहा कि जब एक बेटा अपने बुजुर्ग मां-बाप को घर से बाहर निकाल देता है तो उससे बेहतर किसी भी बुजुर्ग के लिए मौत होती है.

इसे भी पढ़ें- खून का रिश्ता तार-तार! बेटे ने पिता को घर से निकाला, बुजुर्ग ने प्रशासन से लगाई न्याय की गुहार

इसे भी पढ़ें- आंखों में बेबसी और कमरों में गहरी खामोशी! वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों की दर्द भरी दास्तान

इसे भी पढ़ें- International Day of Older Person: लोहरदगा में बुजुर्गों के सहारा दे रही वृद्ध आश्रम, खाना के साथ उनके सेहत का भी रखा जा रहा ख्याल

इसे भी पढ़ें- भला चाहती हो तो भाग जाओ, भूलकर भी मत आना वरना... कहकर, होमगार्ड जवान ने पत्नी को घर से निकाला - home guard jawan

देवघरः बधाई गीत गाओ कि आपके यहां बच्चे का जन्म हुआ है, खुशियां मनाओ कि आपके घर के चिराग ने जन्म लिया है. समय बदला सावन और भादो बीतते चले गये बच्चे अपने पांव पर खड़े हो गये. मां की कमर भी उमर की ढलान के साथ झुक गयी, समय की रेखा अब झुरियां बनकर चेहरे पर नजर आने लगीं. अब बच्चों को अपनी मां के चेहरे पर लाचारी नजर आ रही है.

अब छांव देने वाला मां का आंचल बच्चों के लिए पैसे देकर खरीदे जाने वाली महज एक साड़ी नजर आ रही है. ममता की कीमत अब दया से चुकाई गयी और दया भी ऐसी कि जिस बच्चे को मां ने अपने सीने से चिपकाकर बड़ा किया. जब बच्चों के कंधे ऊंचे हुए तो उन्होंने ममता के बोझ को उतारकर वृद्धाश्रम में जाकर रख दिया.

जानकारी देते संवाददाता हितेष (ईटीवी भारत)

ये कोई फलसफा या कोई कहानी का लब्बोलुआब नहीं बल्कि आज के जमाने की एक कड़वी सच्चाई है. जो यहां रह रहीं माताओं की आंखों से बयां हो रही हैं. इन आंखों से उन्होंने रिश्तों का वो तमाशा देखा है, जिसे लफ्जों में नहीं बताया जा सकता है. इनके तमाम शिकवे और शिकायतें डबडबाई आंखों से बयां होती हैं. ईटीवी भारत की देवघर टीम ने इन माताओं की आंखों में झांकने और उस दर्द को महसूस कर सबके सामने लाने का एक प्रयास किया है.

Condition of elderly in old age home of Deoghar
वृद्धाश्रम में रह रहीं बुजुर्ग (ETV Bharat)

भारतीय संस्कृति में माता-पिता को भगवान की तरह पूजा जाता है. फिर भी भारत जैसे देश में वृद्धाश्रम है और यहां उम्र के आखिरी पड़ाव में बुजुर्ग यहां पर रहने के लिए भेज दिए जाते हैं. झारखंड के देवघर के चांदडीह में बना वृद्धा आश्रम भी एक ऐसा ही आश्रम है. यहां ऐसी तस्वीर देखने को मिली जो कहीं ना कहीं यह बताने के लिए काफी है कि आज भागम-भाग के इस दौर में रिश्तों का प्यार कमजोर होता जा रहा है.

Condition of elderly in old age home of Deoghar
देवघर का वृद्धाश्रम (ETV Bharat)

ईटीवी भारत की टीम ने देवघर में बने वृद्धाश्रम का जायजा लिया. यहां हमने देखा कि वहां पर ज्यादातर ऐसे वृद्धि लोग रह रहे हैं जो पारिवारिक कलह के कारण अपने घर को छोड़कर बाहर रहने को मजबूर हैं. ऐसे तो वृद्ध आश्रम में वैसे बुजुर्गों को रखा जाता है जिनका कोई अपना ना हो या फिर किसी कारणवश उनका केयर करने वाला कोई ना हो. लेकिन देवघर में सरकारी वृद्धाश्रम में ज्यादातर वैसी वृद्ध महिलाएं हैं जो अपने बेटे और बहू के द्वारा दुत्कार कर घर से निकाल दी गई हैं.

'बेटे और बहू ने घर से निकाला'

वृद्ध आश्रम में रह रहीं शीला देवी बताती हैं कि उनके बेटे और बहू ने उन्हें घर से निकाल दिया है. बेटी के परिवार वाले उसे रखने के लिए तैयार नहीं है. इसीलिए वह मजबूरी में वृद्धाश्रम में रह रही हैं. वहीं देवघर के काशीडीह की रहने वाली कौशल्या देवी ने बताया कि पिछले 9 वर्षों से वह वृद्ध आश्रम में अपना समय बीता रही हैं. पति की मौत के बाद बेटे और बहू ने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी. जिस कारण वह अपना जीवन बचाने के लिए वृद्ध आश्रम में समय व्यतीत कर रही हैं.

'एक बेटा है वो भी नहीं देखता'

वहीं वृद्धा आश्रम में रह रहीं मालती देवी से जब ईटीवी भारत की टीम ने बात की तो वह अपने आंसू रोक नहीं सकीं. नम आंखों से उन्होंने अपने बेटे को याद करते हुए कहा कि उvका सिर्फ एक ही बेटा है लेकिन वह कभी उनकी सुध नहीं लेता. वह हाई डायबिटीज से ग्रसित हैं कभी-भी उनकी जान जा सकती है. उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से रोते रोते यह कहा कि यदि उसके बेटे को उसका संदेश मिलता है तो एक बार मिलने जरूर आए.

कुछ ऐसे ही कहानी सुशीला देवी, मीना राज सहित कई ऐसी बुजुर्ग महिलाओं की है जो देवघर के वृद्ध आश्रम में रह रही हैं. देवघर के चांदडीह में बना यह सरकारी वृद्धा आश्रम लाचार एवं विवश बुजुर्गों के लिए आश्रय स्थल रहा है. बुजुर्गों ने कहा अगर सरकार की तरफ से यह व्यवस्था नहीं रहती तो आज उन्हें शायद सड़क पर रहना पड़ता. अपनों से दूर रह रहीं सभी वृद्ध महिलाओं ने अपने दर्द को बयां करते हुए कहा कि जब एक बेटा अपने बुजुर्ग मां-बाप को घर से बाहर निकाल देता है तो उससे बेहतर किसी भी बुजुर्ग के लिए मौत होती है.

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Last Updated : April 13, 2025 at 11:06 PM IST
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