जयपुरः राज्य मानवाधिकार आयोग ने झुंझुनू और प्रतापगढ़ जिले में पुलिस अभिरक्षा में मौत के मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया है. इसके साथ ही आयोग ने दोनों जिलों के मजिस्ट्रेट को कहा है कि मामले में जांच के लिए एसडीएम, डिप्टी सीएमएचओ, पुलिस निरीक्षक और चिकित्सक की टीम बनाकर दोषियों के खिलाफ जांच कराएं. वहीं, आयोग ने डीजीपी को कहा है कि वे अपने स्तर पर दोनों स्थानों के सीसीटीवी फुटेज की हार्ड-डिस्क अपने कब्जे में लें. आयोग अध्यक्ष जस्टिस जीआर मूलचंदानी ने यह आदेश मामले में प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए दिए.
आयोग ने गृह सचिव, डीजीपी और वित्त सचिव को कहा है कि वे अपने स्तर पर आदेश जारी करें कि हर सीसीटीवी फुटेज की रिकॉर्डिंग को प्रत्येक वर्ष प्रति माह के लिए आरक्षित रखा जाए. इसके लिए तीन टीबी तक क्षमता वाली हार्ड डिस्क का उपयोग किया जाए. इसके अलावा थाने में लगे सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग हर माह डीवाईएसपी देखकर रजिस्टर में एंट्री करें कि थाने में कोई उत्पीड़न की घटना नहीं हुई है. आयोग ने हर जिला पुलिस अधीक्षक को कहा है कि वे थाने में सीसीटीवी का संचालन सुनिश्चित करें.
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वहीं, आयोग ने संबंधित अधिकारियों से तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने को कहा है. आयोग ने कहा कि देश में विधि का शासन है और कानून को अपने हाथ में लेने की अनुमति विधि किसी को नहीं देती. कल्याणकारी राज्य का कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों को पूर्ण सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करे. आयोग ने इस संबंध में प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि झुंझुनू के खेतड़ी थाने में ग्वार चोरी के मामले में युवक हिरासत में मौत हो गई. इसी तरह प्रतापगढ़ के जिला जेल में भी एक कैदी की मौत हो गई, जिसके परिजनों ने मारपीट का आरोप लगाया है.