जयपुरः प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों को लेकर राज्य सरकार की ओर से संबंधित लोक अभियोजकों को बेवजह तारीख नहीं लेने की हिदायत दी गई है. राज्य सरकार की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में यह जानकारी दी गई. इस पर अदालत ने इस संबंध में जारी आदेश की कॉपी पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 12 मई तक टाल दी है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने अदालत को बताया कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए सभी लोक अभियोजकों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. लोक अभियोजकों को मामले में संबंधित अदालतों को पूर्ण सहयोग करने और बेवजह सुनवाई टालने का आग्रह नहीं करने की हिदायत दी गई है. दूसरी ओर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से लंबित मामलों की तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने की जानकारी दी गई, हालांकि रिपोर्ट राज्य सरकार को अभी तक उपलब्ध नहीं हुई.
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सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे निर्देशः इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई टालते हुए राज्य सरकार को संबंधित आदेश पेश करने को कहा है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में एमपी-एमएलए से जुड़े आपराधिक केसों के मामले में दिशा-निर्देश जारी कर हाईकोर्ट को इन केसों की निगरानी के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को कहा था कि वे इन केसों के संबंध में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर इसे दर्ज करें और इन केसों में ट्रायल कर रहे जिला जज या स्पेशल कोर्ट की मॉनिटरिंग करें. हाईकोर्ट इन केसों में सुनवाई कर रही कोर्ट से समय-समय पर इन केसों की ट्रायल की रिपोर्ट मांगें और जरूरत हो तो इन केसों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनाएं.