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हाथों से नहीं पैरों से लिख रही अपनी किस्मत, इस दिव्यांग बच्ची के हौसले को सभी कर रहे सलाम - SPECIAL CHILD STRUGGLE STORY

आप को एक ऐसी बच्ची से मिलवाते हैं जो हाथों से दिव्यांग हैं लेकिन उसके हौंसलों को देखकर आप खुद दांतों तले उंगली दबा लेंगे.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : March 6, 2025 at 6:46 AM IST

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नई दिल्ली: क्या आपने कभी सोचा होगा कि एक दिव्यांग बच्ची अपने पैरों से वो सारे काम कर सकती है, जो एक सामान्य इंसान अपने हाथों से करता है. ये कहानी है 9 साल की मानसी की है, जो दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद अपने हौसले व मेहनत से हर चुनौती का सामना कर रही है. पैरों से लिखने, पढ़ाई करने, बैग उठाने, खाना खाने व रोजमर्रा के कामों को कर मानसी ने यह साबित कर दिया है कि दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं.

मानसी वर्तमान में दिल्ली से सटे गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित एक सरकारी स्कूल में चौथी कक्षा की छात्रा है और मूलतः बिहार के नवादा जिले के बागीबडीहा गांव की रहने वाली है. मानसी का भी जन्म एक सामान्य बच्ची के रूप में हुआ था, लेकिन बचपन में ही दोनों हाथों का विकास रुक गया, जिससे वह शारीरिक रूप से दिव्यांग हो गई. हालांकि मानसी ने कभी अपने हालात को अपने सपनों के बीच आड़े नहीं आने दिया. वह पैर से हर काम करती है जो आम इंसान हाथ से करता है.

दोनों हाथों से दिव्यांग मानसी का संघर्ष (ETV Bharat)

मानसी की मां मंजू जो घरों में काम करती हैं. उन्होंने कभी भी अपनी बेटी मानसी को किसी प्रकार की कमी महसूस नहीं होने दी. मंजू का कहना है कि उनकी बेटी को बचपन से ही समस्या है. उन्होंने एम्स जैसे बड़े अस्पताल में इलाज कराया लेकिन उनकी बेटी का हाथ ठीक नहीं हुआ. चिकित्सकों ने कहा कि उनकी बेटी का हाथ ठीक नहीं हो सका है. वह बेटी की पढ़ाई पर ध्यान दें. मुझे लगा कि अगर मैंने अपनी बेटी को शिक्षा दी और सही दिशा में मार्गदर्शन किया तो वह अपनी जिंदगी को अच्छे से जी सकेगी.

पिता की हो चुकी है मौतः मानसी के पिता की 2021 में ट्रेन से गिरने के कारण मौत हो गई थी. अकेले मंजू अपने बच्चों को पालती हैं. हालांकि तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद भी मंजू ने हार नहीं मानी और अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा देने के लिए हर संभव काम किया. मंजू ने बताया कि पहले उन्होंने मानसी को निजी स्कूल में पढ़ाने की कोशिश की, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसे सरकारी स्कूल में दाखिला दिलवाना पड़ा.

9 साल की मानसी चाय पीते हुए
9 साल की मानसी चाय पीते हुए (ETV Bharat)

मानसी की मेहनत से सभी होते हैं प्रभावितः मानसी की कड़ी मेहनत व लगन को देखकर उसकी शिक्षक भी बेहद प्रभावित हैं. इंदिरापुरम स्थित कंपोजिट विद्यालय की प्रधानाचार्या भारती रावत का कहना है कि हम मानसी की पूरी मदद करते हैं. वह पैरों से लिखती है जबकि स्कूल में बहुत से बच्चे हाथ से भी उसके जितना अच्छा नहीं लिख पाते हैं. उसकी पढ़ाई में भी कोई कमी नहीं है. हमें पूरा विश्वास है कि मानसी एक दिन बहुत आगे जाएगी. हालांकि परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है. यदि कहीं से मदद मिले तो मानसी के सपनों को उड़ान मिल जाए.

9 साल की मानसी पैरों से लिखते हुए
9 साल की मानसी पैरों से लिखते हुए (ETV Bharat)

खुद पैर से अपना सारा काम करती हैं मानसीः मानसी के जज़्बे को देखकर हर कोई प्रेरित होता है. वह दिनभर स्कूल में अपने दोस्तों के साथ पढ़ाई करती है. शाम को घर पर अपने पैरों से बाकी कामों में मदद करती है. मानसी खुद से अपना बैग उठाती है, सूई से सिलाई करती है, सूई में खुद से धागा भी डालती है. पेंटिंग बनाती है और यहां तक कि कागज से फूल व अन्य सजावटी सामान भी बनाती है. मानसी की मां के मुताबिक उनकी बेटी सभी काम करती है. बालों में कंघी करने समेत चंद कामों को छोड़कर उनकी बेटी सभी कार्य अपने पैरों से काम करती है. मानसी का सपना है कि वह बड़ी होकर अपनी मां की मदद करे, जिससे उनकी मां को परेशानियों का सामना न करना पड़े. उसकी मां मंजू भी चाहती हैं कि उनकी बेटी आत्मनिर्भर बने, जिससे जीवन में कभी किसी का सहारे पर निर्भर न हो. नम आंखों में मंजू ने कहा कि जब तक मैं जिंदा हूं, मैं अपनी बेटी को काबिल बनाने के लिए पूरी कोशिश करूंगी.

9 साल की मानसी अपनी मां के साथ
9 साल की मानसी अपनी मां के साथ (ETV Bharat)

लोगों के लिए प्रेरणा है मानसी का संघर्षः दोनों हाथों से दिव्यांग मानसी का संघर्ष उन लाखों बच्चों व वयस्कों के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने हालात को अपनी तकदीर मानकर बैठ जाते हैं. छोटी सी बच्ची का यह जज्बा बताता है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, यदि मेहनत व लगन से काम किया जाए तो कोई भी सपना साकार हो सकता है. तकदीर किसी के हाथ में नहीं, बल्कि हौसले व मेहनत में होती है. मानसी का संघर्ष यह सिखाता है कि जो इंसान खुद पर विश्वास रखता है, वह किसी भी मुश्किल से पार पा सकता है और अपने सपनों को हकीकत में तब्दील कर सकता है.

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नई दिल्ली: क्या आपने कभी सोचा होगा कि एक दिव्यांग बच्ची अपने पैरों से वो सारे काम कर सकती है, जो एक सामान्य इंसान अपने हाथों से करता है. ये कहानी है 9 साल की मानसी की है, जो दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद अपने हौसले व मेहनत से हर चुनौती का सामना कर रही है. पैरों से लिखने, पढ़ाई करने, बैग उठाने, खाना खाने व रोजमर्रा के कामों को कर मानसी ने यह साबित कर दिया है कि दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं.

मानसी वर्तमान में दिल्ली से सटे गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित एक सरकारी स्कूल में चौथी कक्षा की छात्रा है और मूलतः बिहार के नवादा जिले के बागीबडीहा गांव की रहने वाली है. मानसी का भी जन्म एक सामान्य बच्ची के रूप में हुआ था, लेकिन बचपन में ही दोनों हाथों का विकास रुक गया, जिससे वह शारीरिक रूप से दिव्यांग हो गई. हालांकि मानसी ने कभी अपने हालात को अपने सपनों के बीच आड़े नहीं आने दिया. वह पैर से हर काम करती है जो आम इंसान हाथ से करता है.

दोनों हाथों से दिव्यांग मानसी का संघर्ष (ETV Bharat)

मानसी की मां मंजू जो घरों में काम करती हैं. उन्होंने कभी भी अपनी बेटी मानसी को किसी प्रकार की कमी महसूस नहीं होने दी. मंजू का कहना है कि उनकी बेटी को बचपन से ही समस्या है. उन्होंने एम्स जैसे बड़े अस्पताल में इलाज कराया लेकिन उनकी बेटी का हाथ ठीक नहीं हुआ. चिकित्सकों ने कहा कि उनकी बेटी का हाथ ठीक नहीं हो सका है. वह बेटी की पढ़ाई पर ध्यान दें. मुझे लगा कि अगर मैंने अपनी बेटी को शिक्षा दी और सही दिशा में मार्गदर्शन किया तो वह अपनी जिंदगी को अच्छे से जी सकेगी.

पिता की हो चुकी है मौतः मानसी के पिता की 2021 में ट्रेन से गिरने के कारण मौत हो गई थी. अकेले मंजू अपने बच्चों को पालती हैं. हालांकि तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद भी मंजू ने हार नहीं मानी और अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा देने के लिए हर संभव काम किया. मंजू ने बताया कि पहले उन्होंने मानसी को निजी स्कूल में पढ़ाने की कोशिश की, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसे सरकारी स्कूल में दाखिला दिलवाना पड़ा.

9 साल की मानसी चाय पीते हुए
9 साल की मानसी चाय पीते हुए (ETV Bharat)

मानसी की मेहनत से सभी होते हैं प्रभावितः मानसी की कड़ी मेहनत व लगन को देखकर उसकी शिक्षक भी बेहद प्रभावित हैं. इंदिरापुरम स्थित कंपोजिट विद्यालय की प्रधानाचार्या भारती रावत का कहना है कि हम मानसी की पूरी मदद करते हैं. वह पैरों से लिखती है जबकि स्कूल में बहुत से बच्चे हाथ से भी उसके जितना अच्छा नहीं लिख पाते हैं. उसकी पढ़ाई में भी कोई कमी नहीं है. हमें पूरा विश्वास है कि मानसी एक दिन बहुत आगे जाएगी. हालांकि परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है. यदि कहीं से मदद मिले तो मानसी के सपनों को उड़ान मिल जाए.

9 साल की मानसी पैरों से लिखते हुए
9 साल की मानसी पैरों से लिखते हुए (ETV Bharat)

खुद पैर से अपना सारा काम करती हैं मानसीः मानसी के जज़्बे को देखकर हर कोई प्रेरित होता है. वह दिनभर स्कूल में अपने दोस्तों के साथ पढ़ाई करती है. शाम को घर पर अपने पैरों से बाकी कामों में मदद करती है. मानसी खुद से अपना बैग उठाती है, सूई से सिलाई करती है, सूई में खुद से धागा भी डालती है. पेंटिंग बनाती है और यहां तक कि कागज से फूल व अन्य सजावटी सामान भी बनाती है. मानसी की मां के मुताबिक उनकी बेटी सभी काम करती है. बालों में कंघी करने समेत चंद कामों को छोड़कर उनकी बेटी सभी कार्य अपने पैरों से काम करती है. मानसी का सपना है कि वह बड़ी होकर अपनी मां की मदद करे, जिससे उनकी मां को परेशानियों का सामना न करना पड़े. उसकी मां मंजू भी चाहती हैं कि उनकी बेटी आत्मनिर्भर बने, जिससे जीवन में कभी किसी का सहारे पर निर्भर न हो. नम आंखों में मंजू ने कहा कि जब तक मैं जिंदा हूं, मैं अपनी बेटी को काबिल बनाने के लिए पूरी कोशिश करूंगी.

9 साल की मानसी अपनी मां के साथ
9 साल की मानसी अपनी मां के साथ (ETV Bharat)

लोगों के लिए प्रेरणा है मानसी का संघर्षः दोनों हाथों से दिव्यांग मानसी का संघर्ष उन लाखों बच्चों व वयस्कों के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने हालात को अपनी तकदीर मानकर बैठ जाते हैं. छोटी सी बच्ची का यह जज्बा बताता है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, यदि मेहनत व लगन से काम किया जाए तो कोई भी सपना साकार हो सकता है. तकदीर किसी के हाथ में नहीं, बल्कि हौसले व मेहनत में होती है. मानसी का संघर्ष यह सिखाता है कि जो इंसान खुद पर विश्वास रखता है, वह किसी भी मुश्किल से पार पा सकता है और अपने सपनों को हकीकत में तब्दील कर सकता है.

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