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डेढ़ दशक से फुट ओवरब्रिज ना बनने के चलते नाले से गुजरने को मजबूर सैनिक

दिल्ली के नारायणा इलाके में फुट ओवरब्रिज ना होने से सैनिक ट्रेनिंग के लिए नाले के रास्ते से जाने को मजबूर है.

ब्रिज ना बनने के चलते नाले से गुजरने को मजबूर सैनिक
ब्रिज ना बनने के चलते नाले से गुजरने को मजबूर सैनिक (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 14, 2024, 5:15 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के नारायणा इलाके में पीडब्ल्यूडी और दिल्ली सरकार की लापरवाही से सैनिकों को ट्रेनिंग के लिए नाले के रास्ते से जाना पड़ता है. जबकि, यहां पर फुट ओवर ब्रिज की मांग पिछले डेढ़ दशक से पेंडिंग है. इसको लेकर 2010 में विधानसभा में इस इलाके के पूर्व बीजेपी विधायक ने जब सवाल पूछा था तो पीडब्ल्यूडी द्वारा उसके लिए बजट स्वीकृत होने की भी बात कही गई थी, लेकिन अब तक फुट ओवर ब्रिज नहीं बना.

डेढ़ दशक से फुट ओवर ब्रिज की हो रही मांग: देश की सुरक्षा में तैनात राजपूताना राइफल्स के जवानों को राजधानी दिल्ली में ही एक ऐसी समस्या पिछले डेढ़ दशक से झेलनी पड़ रही है जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे. दरअसल, दिल्ली कैंट इलाके में राजपूताना राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर है. जहां लगभग 2000 सैनिक प्रतिदिन रिंग रोड पारकर रिज एरिया में ट्रेनिंग के लिए जाते हैं, लेकिन उनके सुरक्षित सड़क पार करने को लेकर यहां कोई फुट ओवर ब्रिज नहीं है. इस मजबूरी में इन्हें सड़क के नीचे बने नाले से होकर गुजरना पड़ता है. नाले का रास्ता अंधेरे भरा है और बरसात के दिनों में तो यहां इतना पानी भर जाता है कि यहां से सैनिकों को पानी से होकर ही जाना पड़ता है.

ब्रिज ना बनने के चलते नाले से गुजरने को मजबूर सैनिक (ETV BHARAT)

2010 में बजट स्वीकृत होने के बाद भी नहीं बना ब्रिज: इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात है कि लगभग यहां डेढ़ दशक पूर्व फुट ओवर ब्रिज बनाने को लेकर पीडब्ल्यूडी ने सारी प्रक्रिया पूरी कर ली थी. तब इलाके के भाजपा विधायक करण सिंह तंवर ने इस मुद्दे को जोर शोर से विधानसभा में उठाया था. लेकिन तब से अब तक फुट ओवर ब्रिज बनाने का काम शुरू नहीं हो पाया. इसकी वजह से राजपूताना राइफल्स के जवानों को रोज इस गंदे नाले से होकर गुजरना पड़ता है.

नीरज चोपड़ा भी प्रैक्टिस के लिए इसी रास्ते जाने को मजबूर: स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार, आज देश के लिए गोल्ड मेडल लाकर देश का नाम ऊंचा करनेवाले नीरज चोपड़ा भी इसी रास्ते से जाकर प्रैक्टिस करते थे. क्योंकि यहां से ट्रेनिंग पर जाने के लिए और कोई दूसरा रास्ता है ही नहीं. यहां डेढ़ दशक से अधिक समय से फुट ओवर ब्रिज की मांग की जा रही, लेकिन सरकार इस तरफ ध्यान ही नहीं दे रही और उसका खामियाजा इन सैनिकों को उठाना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें : ग्रेटर नोएडा को पहले फुटओवर ब्रिज की सौगात, पैदल चलने वालों को होगी सहूलियत

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नई दिल्ली: दिल्ली के नारायणा इलाके में पीडब्ल्यूडी और दिल्ली सरकार की लापरवाही से सैनिकों को ट्रेनिंग के लिए नाले के रास्ते से जाना पड़ता है. जबकि, यहां पर फुट ओवर ब्रिज की मांग पिछले डेढ़ दशक से पेंडिंग है. इसको लेकर 2010 में विधानसभा में इस इलाके के पूर्व बीजेपी विधायक ने जब सवाल पूछा था तो पीडब्ल्यूडी द्वारा उसके लिए बजट स्वीकृत होने की भी बात कही गई थी, लेकिन अब तक फुट ओवर ब्रिज नहीं बना.

डेढ़ दशक से फुट ओवर ब्रिज की हो रही मांग: देश की सुरक्षा में तैनात राजपूताना राइफल्स के जवानों को राजधानी दिल्ली में ही एक ऐसी समस्या पिछले डेढ़ दशक से झेलनी पड़ रही है जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे. दरअसल, दिल्ली कैंट इलाके में राजपूताना राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर है. जहां लगभग 2000 सैनिक प्रतिदिन रिंग रोड पारकर रिज एरिया में ट्रेनिंग के लिए जाते हैं, लेकिन उनके सुरक्षित सड़क पार करने को लेकर यहां कोई फुट ओवर ब्रिज नहीं है. इस मजबूरी में इन्हें सड़क के नीचे बने नाले से होकर गुजरना पड़ता है. नाले का रास्ता अंधेरे भरा है और बरसात के दिनों में तो यहां इतना पानी भर जाता है कि यहां से सैनिकों को पानी से होकर ही जाना पड़ता है.

ब्रिज ना बनने के चलते नाले से गुजरने को मजबूर सैनिक (ETV BHARAT)

2010 में बजट स्वीकृत होने के बाद भी नहीं बना ब्रिज: इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात है कि लगभग यहां डेढ़ दशक पूर्व फुट ओवर ब्रिज बनाने को लेकर पीडब्ल्यूडी ने सारी प्रक्रिया पूरी कर ली थी. तब इलाके के भाजपा विधायक करण सिंह तंवर ने इस मुद्दे को जोर शोर से विधानसभा में उठाया था. लेकिन तब से अब तक फुट ओवर ब्रिज बनाने का काम शुरू नहीं हो पाया. इसकी वजह से राजपूताना राइफल्स के जवानों को रोज इस गंदे नाले से होकर गुजरना पड़ता है.

नीरज चोपड़ा भी प्रैक्टिस के लिए इसी रास्ते जाने को मजबूर: स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार, आज देश के लिए गोल्ड मेडल लाकर देश का नाम ऊंचा करनेवाले नीरज चोपड़ा भी इसी रास्ते से जाकर प्रैक्टिस करते थे. क्योंकि यहां से ट्रेनिंग पर जाने के लिए और कोई दूसरा रास्ता है ही नहीं. यहां डेढ़ दशक से अधिक समय से फुट ओवर ब्रिज की मांग की जा रही, लेकिन सरकार इस तरफ ध्यान ही नहीं दे रही और उसका खामियाजा इन सैनिकों को उठाना पड़ रहा है.

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