कांकेर : छत्तीसगढ़ का बस्तर पिछले 4 दशकों को नक्सल समस्या से पीड़ित है.लेकिन पहली बार किसी सरकार ने इसके खात्मे के लिए डेडलाइन तय की है.ये डेडलाइन मार्च 2026 की है.यानी अब से 11 महीने बाद प्रदेश नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा.इसका दावा किया जा रहा है.इस दावे को हकीकत का अमलीजामा पहनाने के लिए नक्सलियों के मांद में घुसकर फोर्स कार्रवाई कर रही है.इस ऑपरेशन में कई इनामी नक्सली ढेर हो रहे हैं.तो कई खुद ब खुद फोर्स के सामने घुटने टेक रहे हैं.लेकिन इसी बीच कई ऐसे दृश्य भी सामने आए हैं,जहां मारे गए नक्सलियों का शव लेने उनके परिजन नहीं पहुंच रहे.ऐसे में प्रशासन के सामने उनके अंतिम संस्कार की चुनौती थी.इस चुनौती को भी प्रशासन बखूबी स्वीकार कर रहा है.
नक्सलियों के शवों का किया अंतिम संस्कार : ईटीवी भारत आज आपको ऐसे ही शख्स से मिलवाने जा रहा है जिसने एक दो नहीं बल्कि 20 अज्ञात नक्सलियों का अंतिम संस्कार किया है.इस शख्स का नाम है अजय पप्पू मोटवानी.अजय उन नक्सलियों का अंतिम संस्कार करते हैं,जिनके परिजन उनकी मौत के बाद शव लेने नहीं आए. अजय पप्पू मोटवानी ने बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने 20 नक्सलियों का अब तक अंतिम संस्कार किया है.
किसी घटना में जब किसी की मौत हो जाती है और वह व्यक्ति अज्ञात होता है.तो पुलिस मुझसे संपर्क करती है अंतिम संस्कार के लिए मैं जन सहयोग से उस अज्ञात शव का अंतिम संस्कार करता हूं.मैंने अब तक 155 अज्ञात शव का अंतिम संस्कार किया है..जिसमें से 20 अज्ञात नक्सलियों के भी शव हैं. अभी जब एंटी नक्सल ऑपरेशन तेज हुए हैं. साय सरकार आने के बाद 10 अज्ञात नक्सलियों के शव का अंतिम संस्कार किया है- अजय पप्पू मोटवानी, समाज सेवी
अजय पप्पू मोटवानी की माने तो पिछले 10 साल से वो ऐसे लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है या किन्हीं कारणों से उनके परिजन उनकी अंत्येष्टि करना नहीं चाहते. साथ ही नक्सल घटना में या हादसे में मारे गए लोगों की शिनाख्त नहीं हो पाने से अंतिम संस्कार के लिए उनके परिवार के लोग नहीं मिल पाते. अजय पप्पू ऐसे लोगों और निराश्रित बुजुर्गों का अंतिम संस्कार करते हैं. मोटवानी की माने तो इन शवों के बारे में उनसे पुलिस और अस्पताल से सूचना मिलती है. इसके बाद टीम के सदस्यों के साथ मिलकर अंतिम संस्कार किया जाता है.
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