लखनऊ: यूपी के बेसिक और माध्यमिक स्कूलों की कक्षाएं अब स्मार्ट बनेंगी. कलॉस में डिजिटल बोर्ड, प्रोजेक्टर के साथ ही अन्य सभी तकनीकी सेटअप तैयार किया जाएगा. यह शिक्षा प्रणाली को भविष्य की जरूरतों के अनुसार विकसित करने के लिए उठाया गया कदम है. बेसिक व माध्यमिक स्कूलों में कक्षाओं को नया स्वरूप देने के लिए तैयार कार्ययोजना में एक टेक्निकल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट का गठन जल्द किया जाएगा. सरकार की तरफ से जारी सूचना के अनुसार इस काम को पूरा करने का जिम्मा उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीएलसी) को सौंपा गया है.
ऐसे बनेगी स्मार्ट क्लास : सूबे के बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों को स्मार्ट क्लास व ई-लर्निंग से युक्त करने के लिए कई तरह की सुविधाएं विकसित की जाएंगी. इसमें इंटरैक्टिव बोर्ड, इंटरैक्टिव डिस्प्ले तथा ऑडियो-विजुअल सेटअप प्रमुख हैं. इस कार्य को पूरा करने के लिए टेक्निकल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (टीपीएमयू) का गठन किया जाएगा. इसके लिए एजेंसी को जिम्मा सौंपा जाएगा. इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. एजेंसी के निर्धारण के बाद टीपीएमयू का गठन होगा, जो यूपीएलसी, बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभागों से समन्वय व संवाद स्थापित करते हुए स्कूलों को स्मार्ट क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराएगी.
डीटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट होगी तैयार, होगी रेगुलर मॉनिटरिंग : टीपीएमयू स्कूलों में क्लॉस को स्मार्ट के लिए सबसे पहले डीटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करेगी. इस काम को यूपीएलसी व शिक्षा विभाग से समन्वय बनाते हुए किया जाएगा. स्मार्ट क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर्स की स्थापना व विकास के लिए विभिन्न चरणों में डीपीआर के अनुसार कार्यों को कराया जाएगा. टीपीएमयू द्वारा तीन वर्षों की कार्यावधि के हिसाब से कार्य किया जाएगा. इस दौरान परियोजना के अंतर्गत जारी कार्यों की अद्यतन स्थिति की रेगुलर मॉनिटरिंग व प्रोग्रेस रिपोर्ट फॉर्मुलेशन जैसे कार्यों को पूरा किया जाएगा. इसके साथ ही, डाटा एनालिटिक्स, रिसोर्स मैनेजमेंट व रिपोर्टिंग, स्टेकहोल्डर एंगेजमेंट, डॉक्यूमेंटेशन सपोर्ट व रिस्क मैनेजमेंट व मिटिगेशन जैसी प्रक्रियाओं को भी पूरा किया जाएगा.
प्रदेश में कितने बेसिक-माध्यमिक स्कूल : बता दें कि इस वक्त यूपी में करीब 144000 बेसिक स्कूल हैं, जिसमें 1 करोड़ 90 लाख बच्चे पढ़ते हैं. इसी तरह 11 हजार सरकारी और एडेड माध्यमिक स्कूल हैं. स्मार्ट कलॉस की व्यवस्था सभी सरकारी स्कूलों के लिए होगी. इसमें सेल्फ फाइनेंस वाले करीब 28000 स्कूल शामिल नहीं किए गए हैं. नई व्यवस्था से बच्चे न सिर्फ टेक्नोलॉजी से रूबरू होंगे बल्कि शिक्षा प्रणाली भी गुणवत्तापूर्ण और रोचक हो जाएगी.