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जिससे बनता है पुलिस का डंडा, अब उससे बन रहे डिजाइनर बैग और पर्स, लोगों को आ रहे बेहद पसंद

मंडी के पड्डल मैदान में आयोजित गांधी शिल्प बाजार में शीतलपाटी से बने कई प्रकार के उत्पाद आकर्षण का मुख्य केंद्र बने हुए हैं.

Sitalpati Products
शीतलपाटी के उत्पाद (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 13, 2024, 2:27 PM IST

Updated : Oct 13, 2024, 4:24 PM IST

मंडी: पुलिस द्वारा इस्तेमाल में लाया जाने वाला लकड़ी का डंडा, जो की बेंत से बनता है, उससे अब तरह-तरह के डिजाईनर उत्पाद भी बनाए जाने लगे हैं. मंडी के पड्डल मैदान में भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा लगाए गए गांधी शिल्प बाजार में इस प्रकार के उत्पाद लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले से आए कुछ लोग यहां इन उत्पादों को लेकर आए हैं, जिन्हें शीतलपाटी का जाता है.

मूर्ता के पौधे से बनता है शीतलपाटी

शीतलपाटी मूर्ता के पौधे से प्राप्त होने वाली सामग्री को कहा जाता है. इस पौधे से जो सामग्री प्राप्त होती है, उसे कई बार अलग-अलग माध्यमों से प्रोसेस करने के बाद छिलके निकाले जाते हैं. जिससे चटाई, बैग और डिजाइनर पर्स सहित अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं. उत्पादों को बेचने आए शिव शंकर चक्रवर्ती ने बताया कि अभी वे यहां पर सिर्फ कुछ ही उत्पाद लेकर आए हैं. जबकि इससे बहुत से उत्पाद बनाए और बेचे जा रहे हैं. मंडी में वो पहली बार आए हैं और यहां के लोग इन उत्पादों को काफी ज्यादा पसंद भी कर रहे हैं.

शीतलपाटी से बनाए जा रहे बैग और पर्स (ETV Bharat)

प्रोडक्ट्स बनाने में कई लोगों की मेहनत शामिल

पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के के रहने वाले शिव शंकर चक्रवर्ती ने बताया कि शीतलपाटी के यह उत्पाद जहां देखने में इतने आकर्षक लगते हैं. वहीं, इन्हें बनाने में भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. शिव शंकर चक्रवर्ती ने बताया कि एक चटाई, पर्स और बैग को बनाने के लिए कई लोगों की सामूहिक मेहनत लगी होती है और इसे बनाने में काफी दिनों का समय लग जाता है. एक बेंत को 6 महीनों तक कई बार प्रोसेस करने के बाद उसकी सामग्री उत्पाद बनाने के लिए तैयार की जाती है और इसमें काफी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है.

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मूर्ता के पौधे से बनता है शीतलपाटी

शीतलपाटी मूर्ता के पौधे से प्राप्त होने वाली सामग्री को कहा जाता है. इस पौधे से जो सामग्री प्राप्त होती है, उसे कई बार अलग-अलग माध्यमों से प्रोसेस करने के बाद छिलके निकाले जाते हैं. जिससे चटाई, बैग और डिजाइनर पर्स सहित अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं. उत्पादों को बेचने आए शिव शंकर चक्रवर्ती ने बताया कि अभी वे यहां पर सिर्फ कुछ ही उत्पाद लेकर आए हैं. जबकि इससे बहुत से उत्पाद बनाए और बेचे जा रहे हैं. मंडी में वो पहली बार आए हैं और यहां के लोग इन उत्पादों को काफी ज्यादा पसंद भी कर रहे हैं.

शीतलपाटी से बनाए जा रहे बैग और पर्स (ETV Bharat)

प्रोडक्ट्स बनाने में कई लोगों की मेहनत शामिल

पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के के रहने वाले शिव शंकर चक्रवर्ती ने बताया कि शीतलपाटी के यह उत्पाद जहां देखने में इतने आकर्षक लगते हैं. वहीं, इन्हें बनाने में भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. शिव शंकर चक्रवर्ती ने बताया कि एक चटाई, पर्स और बैग को बनाने के लिए कई लोगों की सामूहिक मेहनत लगी होती है और इसे बनाने में काफी दिनों का समय लग जाता है. एक बेंत को 6 महीनों तक कई बार प्रोसेस करने के बाद उसकी सामग्री उत्पाद बनाने के लिए तैयार की जाती है और इसमें काफी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है.

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Last Updated : Oct 13, 2024, 4:24 PM IST
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