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विदेश में नहीं मिला सुकून, गांव लौटकर खेती और मधुमक्खी पालन से रच दिया सफलता का इतिहास - SIKAR MAN BEEKEEPING

सीकर जिले के अशोक शर्मा ने खाड़ी से लौटकर खेती और मधुमक्खी पालन अपनाया. सालाना लाखों कमा रहे और किसानों के लिए प्रेरणा बने हैं.

अशोक शर्मा ने किया मधुमक्खी पालन
अशोक शर्मा ने किया मधुमक्खी पालन (ETV Bharat Sikar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 8, 2025 at 6:43 AM IST

5 Min Read

सीकर : जिले के सिंगरावट गांव के रहने वाले किसान अशोक कुमार शर्मा ने यह साबित कर दिया है कि यदि इंसान ठान ले तो हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, सफलता जरूर मिलती है. खाड़ी देशों में 11 साल की नौकरी, परिवार से दूर का जीवन और असफलता की टीस से जूझने के बाद अशोक निराश होकर वापस गांव लौट गए. यहां उन्होंने खेती और मधुमक्खी पालन को जीवन का आधार बनाया. आज वे सालाना 15 लाख रुपए से अधिक की आय कर रहे हैं और सैकड़ों किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं.

विदेश से लौटकर मिट्टी से जोड़ा रिश्ता: अशोक शर्मा ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2012 में खाड़ी देशों में नौकरी करने का निर्णय लिया. सपना था परिवार की स्थिति सुधारने का और लाखों कमाने का, लेकिन वहां बिताए 11 सालों में उन्होंने बहुत संघर्ष किया, तनाव, अकेलापन और आर्थिक अनिश्चितता से भरे हुए थे वो दिन. जब कोई ठोस प्रगति नहीं हो पाई, तब वे मायूस होकर वापस गांव लौट आए. वापसी के बाद बेरोजगारी और आत्मविश्वास की कमी ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया. धीरे-धीरे उन्होंने घर से निकलना तक बंद कर दिया.

मधुमक्खी पालन से किसान को हुई अच्छी आमदनी (ETV Bharat sikar)

पढे़ं. प्रगतिशील किसान की कहानी: 150 बीघा में की सुपरफूड किनोवा की खेती, कम लागत में पाया बंपर मुनाफा

इसके बाद परिवार के सहयोग से अशोक ने पारंपरिक खेती शुरू की, लेकिन सीमित संसाधनों और मौसम की अनिश्चितता के कारण मुनाफा बेहद कम था. तभी एक मित्र ने उन्हें मधुमक्खी पालन की सलाह दी. यह सलाह उनके जीवन की दिशा बदलने वाली साबित हुई. अशोक ने सरकारी वेबसाइट और कृषि पर्यवेक्षकों से जानकारी जुटाई और मधुमक्खी पालन की संभावनाओं को गहराई से समझा.

तीन दोस्तों के साथ साझेदारी: अशोक ने अपने तीन दोस्तों के साथ मिलकर उद्यान विभाग से प्रशिक्षण प्राप्त की और सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी के तहत मधुमक्खी पालन के 60 बक्से मंगवाए. खेत में ही एक छोटा केंद्र बनाया गया, जहां बक्सों को व्यवस्थित रूप से रखा गया. शुरुआती दिनों में दिन-रात मेहनत कर उन्होंने बक्सों की देखरेख की और परिणामस्वरूप शहद का अच्छा उत्पादन होने लगा.

सब्जियां और औषधीय फसलें भी उगा रहे अशोक
सब्जियां और औषधीय फसलें भी उगा रहे अशोक (ETV Bharat Sikar)

पढ़ें. घूंघट से बाहर निकलकर कौशल में हाथ आजमा रहीं महिलाएं, ट्रैक्टर चलाने से लेकर उन्नत खेती के गुर सीख बनीं आत्मनिर्भर

शहद के साथ सब्जियां और औषधीय फसलें भी: अच्छे परिणाम मिलने के बाद अशोक ने खेती में विविधता लाने का निर्णय लिया. उन्होंने अपने खेतों में पपीता, लौकी, तोरी और अन्य औषधीय पौधों की खेती शुरू की, जिससे मधुमक्खियों को पराग की नियमित आपूर्ति बनी रही. यह संयोजन इतना कारगर रहा कि शहद उत्पादन में बढ़ोतरी तो हुई ही साथ ही फसलों की उत्पादन क्षमता भी 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ गई.

कम लागत, दोहरा मुनाफा: अशोक कहते हैं कि अगर किसान के पास खेती के लिए बड़ी जमीन नहीं है, या पानी-बिजली की समस्या है, तब भी मधुमक्खी पालन एक सशक्त विकल्प है. एक मधुमक्खी बॉक्स से 8 हजार रुपए तक की आमदनी हो जाती है. यह कार्य अत्यधिक तकनीकी नहीं है. मेहनत और सही मार्गदर्शन से कोई भी किसान इसमें सफल हो सकता है.

मधुमक्खी पालन
मधुमक्खी पालन (ETV Bharat Sikar)

सरकारी योजनाओं से मिला बल: सरकार की ओर से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं. अशोक बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर उद्यान विभाग की ओर से ट्रेनिंग सेमिनार आयोजित किए जाते हैं, जहां मधुमक्खी पालन की तकनीकी जानकारी दी जाती है. साथ ही, मधुमक्खी बक्सों की खरीद पर सब्सिडी भी दी जाती है, जिससे नए किसान इस व्यवसाय को कम लागत में शुरू कर सकते हैं.

पढ़ें. सरकारी स्कूल की अनूठी पहल: पढ़ाई के साथ पोषण भी, बच्चे सीख रहे जैविक खेती, स्कूल में उग रही सब्जियां

साल भर शहद उत्पादन के लिए फसल चक्र : अशोक ने अपनी खेती को इस तरह व्यवस्थित किया है कि हर मौसम में मधुमक्खियों को पराग उपलब्ध हो सके. उन्होंने खेतों में सरसों, लौकी, तोरी और बागवानी फसलें इस ढंग से लगाई हैं कि परागण की प्रक्रिया निर्बाध रूप से जारी रहती है. इसका सीधा असर शहद उत्पादन पर पड़ता है और वे साल भर 40 से 50 बक्सों से नियमित रूप से शहद निकालते हैं.

सीकर जिले के अशोक शर्मा
सीकर जिले के अशोक शर्मा (ETV Bharat Sikar)

दूसरों को भी जोड़ रहे हैं साथ : अब अशोक न केवल खुद अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि अपने गांव और आसपास के क्षेत्रों में भी कई किसानों को इस व्यवसाय से जोड़ चुके हैं. वे उन्हें प्रशिक्षण दिलाने में मदद करते हैं और सरकारी योजनाओं की जानकारी भी साझा करते हैं. उनका मानना है कि अगर हर किसान खेती के साथ मधुमक्खी पालन को अपनाए तो खेती न केवल लाभकारी होगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी साकार किया जा सकेगा.

अशोक कुमार शर्मा जैसे किसान यह साबित कर रहे हैं कि सही योजना, मेहनत और नवाचार से यही खेती करोड़ों की कमाई का जरिया बन सकती है. मधुमक्खी पालन के जरिए उन्होंने सिर्फ खुद को नहीं बदला, बल्कि समाज में एक नई सोच का संचार किया है.

सीकर : जिले के सिंगरावट गांव के रहने वाले किसान अशोक कुमार शर्मा ने यह साबित कर दिया है कि यदि इंसान ठान ले तो हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, सफलता जरूर मिलती है. खाड़ी देशों में 11 साल की नौकरी, परिवार से दूर का जीवन और असफलता की टीस से जूझने के बाद अशोक निराश होकर वापस गांव लौट गए. यहां उन्होंने खेती और मधुमक्खी पालन को जीवन का आधार बनाया. आज वे सालाना 15 लाख रुपए से अधिक की आय कर रहे हैं और सैकड़ों किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं.

विदेश से लौटकर मिट्टी से जोड़ा रिश्ता: अशोक शर्मा ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2012 में खाड़ी देशों में नौकरी करने का निर्णय लिया. सपना था परिवार की स्थिति सुधारने का और लाखों कमाने का, लेकिन वहां बिताए 11 सालों में उन्होंने बहुत संघर्ष किया, तनाव, अकेलापन और आर्थिक अनिश्चितता से भरे हुए थे वो दिन. जब कोई ठोस प्रगति नहीं हो पाई, तब वे मायूस होकर वापस गांव लौट आए. वापसी के बाद बेरोजगारी और आत्मविश्वास की कमी ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया. धीरे-धीरे उन्होंने घर से निकलना तक बंद कर दिया.

मधुमक्खी पालन से किसान को हुई अच्छी आमदनी (ETV Bharat sikar)

पढे़ं. प्रगतिशील किसान की कहानी: 150 बीघा में की सुपरफूड किनोवा की खेती, कम लागत में पाया बंपर मुनाफा

इसके बाद परिवार के सहयोग से अशोक ने पारंपरिक खेती शुरू की, लेकिन सीमित संसाधनों और मौसम की अनिश्चितता के कारण मुनाफा बेहद कम था. तभी एक मित्र ने उन्हें मधुमक्खी पालन की सलाह दी. यह सलाह उनके जीवन की दिशा बदलने वाली साबित हुई. अशोक ने सरकारी वेबसाइट और कृषि पर्यवेक्षकों से जानकारी जुटाई और मधुमक्खी पालन की संभावनाओं को गहराई से समझा.

तीन दोस्तों के साथ साझेदारी: अशोक ने अपने तीन दोस्तों के साथ मिलकर उद्यान विभाग से प्रशिक्षण प्राप्त की और सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी के तहत मधुमक्खी पालन के 60 बक्से मंगवाए. खेत में ही एक छोटा केंद्र बनाया गया, जहां बक्सों को व्यवस्थित रूप से रखा गया. शुरुआती दिनों में दिन-रात मेहनत कर उन्होंने बक्सों की देखरेख की और परिणामस्वरूप शहद का अच्छा उत्पादन होने लगा.

सब्जियां और औषधीय फसलें भी उगा रहे अशोक
सब्जियां और औषधीय फसलें भी उगा रहे अशोक (ETV Bharat Sikar)

पढ़ें. घूंघट से बाहर निकलकर कौशल में हाथ आजमा रहीं महिलाएं, ट्रैक्टर चलाने से लेकर उन्नत खेती के गुर सीख बनीं आत्मनिर्भर

शहद के साथ सब्जियां और औषधीय फसलें भी: अच्छे परिणाम मिलने के बाद अशोक ने खेती में विविधता लाने का निर्णय लिया. उन्होंने अपने खेतों में पपीता, लौकी, तोरी और अन्य औषधीय पौधों की खेती शुरू की, जिससे मधुमक्खियों को पराग की नियमित आपूर्ति बनी रही. यह संयोजन इतना कारगर रहा कि शहद उत्पादन में बढ़ोतरी तो हुई ही साथ ही फसलों की उत्पादन क्षमता भी 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ गई.

कम लागत, दोहरा मुनाफा: अशोक कहते हैं कि अगर किसान के पास खेती के लिए बड़ी जमीन नहीं है, या पानी-बिजली की समस्या है, तब भी मधुमक्खी पालन एक सशक्त विकल्प है. एक मधुमक्खी बॉक्स से 8 हजार रुपए तक की आमदनी हो जाती है. यह कार्य अत्यधिक तकनीकी नहीं है. मेहनत और सही मार्गदर्शन से कोई भी किसान इसमें सफल हो सकता है.

मधुमक्खी पालन
मधुमक्खी पालन (ETV Bharat Sikar)

सरकारी योजनाओं से मिला बल: सरकार की ओर से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं. अशोक बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर उद्यान विभाग की ओर से ट्रेनिंग सेमिनार आयोजित किए जाते हैं, जहां मधुमक्खी पालन की तकनीकी जानकारी दी जाती है. साथ ही, मधुमक्खी बक्सों की खरीद पर सब्सिडी भी दी जाती है, जिससे नए किसान इस व्यवसाय को कम लागत में शुरू कर सकते हैं.

पढ़ें. सरकारी स्कूल की अनूठी पहल: पढ़ाई के साथ पोषण भी, बच्चे सीख रहे जैविक खेती, स्कूल में उग रही सब्जियां

साल भर शहद उत्पादन के लिए फसल चक्र : अशोक ने अपनी खेती को इस तरह व्यवस्थित किया है कि हर मौसम में मधुमक्खियों को पराग उपलब्ध हो सके. उन्होंने खेतों में सरसों, लौकी, तोरी और बागवानी फसलें इस ढंग से लगाई हैं कि परागण की प्रक्रिया निर्बाध रूप से जारी रहती है. इसका सीधा असर शहद उत्पादन पर पड़ता है और वे साल भर 40 से 50 बक्सों से नियमित रूप से शहद निकालते हैं.

सीकर जिले के अशोक शर्मा
सीकर जिले के अशोक शर्मा (ETV Bharat Sikar)

दूसरों को भी जोड़ रहे हैं साथ : अब अशोक न केवल खुद अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि अपने गांव और आसपास के क्षेत्रों में भी कई किसानों को इस व्यवसाय से जोड़ चुके हैं. वे उन्हें प्रशिक्षण दिलाने में मदद करते हैं और सरकारी योजनाओं की जानकारी भी साझा करते हैं. उनका मानना है कि अगर हर किसान खेती के साथ मधुमक्खी पालन को अपनाए तो खेती न केवल लाभकारी होगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी साकार किया जा सकेगा.

अशोक कुमार शर्मा जैसे किसान यह साबित कर रहे हैं कि सही योजना, मेहनत और नवाचार से यही खेती करोड़ों की कमाई का जरिया बन सकती है. मधुमक्खी पालन के जरिए उन्होंने सिर्फ खुद को नहीं बदला, बल्कि समाज में एक नई सोच का संचार किया है.

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