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8 साल पहले एक नवाचार से 'चमकी' सोनाराम की किस्मत, खीरे की खेती से सालाना कमा रहे लाखों रुपये - CUCUMBER FARMING

सीकर के किसान सोनाराम उन्नत तकनीक अपनाकर खीरे की खेती कर रहे हैं. इससे वे सालाना 20 लाख रुपये से अधिक कमा रहे हैं...

सीकर में खीरे की खेती
सीकर में खीरे की खेती (ETV Bharat Sikar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 11, 2025 at 6:48 AM IST

Updated : April 11, 2025 at 10:30 AM IST

6 Min Read

सीकर : राजस्थान के अनेकों किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक खेती को अपना रहे हैं. किसान यह खेती करके लाखों रुपये का मुनाफा भी कमा रहे हैं. कुछ ऐसा ही काम सीकर में रहने वाले सोनाराम कर रहे हैं. इन्होंने, 2017 में पारंपरिक खेती को छोड़कर पॉलीहाउस में खीरे की खेती शुरू की थी. पानी की समस्या के समाधान के लिए इन्होंने पूरे खेत में ड्रिप सिस्टम लगवाया. ऐसे में उन्नत तकनीक का उपयोग कर सोनाराम बिना किसी मेहनत के पॉलीहाउस में खीरे की खेती कर सालाना 20 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. खेती में नवाचार को लेकर इन्हें उपखंड स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है.

सीकर जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर लामिया गांव में रहने वाले सोनाराम क्षेत्र के सबसे उन्नत किसानों में से एक हैं. सोनाराम के पास 14 बीघा जमीन है, जिसमें वे खेती करते हैं. वे गेहूं, जौ, चना और सरसों की पारंपरिक फसल के साथ आधुनिक तरीके से पॉलीहाउस में खीरे की खेती करते हैं. उनके पास 4000 वर्ग मीटर का पॉलीहाउस है. 2017 में 32 लाख रुपये खर्च करके इन्होंने पॉलीहाउस बनवाया था. हालांकि, सरकार की सहायता से सब्सिडी के तहत इनके केवल 10 लाख रुपये ही खर्च हुए, बाकी 22 लाख रुपये इनके खाते में वापस आ गए.

एक नवाचार से 'चमकी' सोनाराम की किस्मत (ETV Bharat Sikar)

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पहली फसल में 2 लाख का हुआ मुनाफा : किसान सोनाराम ने 8 साल पहले 2017 में 2 लाख रुपये खर्च कर खीरे की खेती शुरू की, जिसमें उन्हें पहली बार में ही करीब 2 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा हुआ. इसके बाद धीरे-धीरे मुनाफा बढ़ता गया. साल 2023 में सोनाराम को खीरे और परंपरागत खेती से 12 लाख रुपये से भी अधिक का मुनाफा हुआ था. वहीं, साल 2024 में 16 लाख रुपये का मुनाफा हुआ. इसके अलावा 2025 के पहले सीजन में ही सोनाराम को खीरे और परंपरागत खेती से 7 लाख रुपये का मुनाफा हो चुका है. अभी खीरे का सीजन चालू है तो अनुमान के अनुसार इस बार एक सीजन में ही सोनाराम को 10 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा होगा.

उन्नत तकनीक से खीरे की खेती
किसान का उन्नत सफर... (ETV Bharat GFX)

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एक सीजन में 45 टन खीरे का उत्पादन : उन्होंने बताया कि वे 4000 वर्ग मीटर में फैले पॉलीहाउस में करीब 7000 खीरे के पौधे लगाते हैं. पॉलीहाउस में अनुकूल वातावरण रहने के कारण 40 दिन में ही खीरे का पौधा फल देना शुरू कर देता है. खीरे का एक पौधा एक सीजन में 60 किलो खीरे का उत्पादन देता है. ऐसे में सोनाराम अपने खेत में एक सीजन के अंदर 40 से 45 टन खीरे का उत्पादन कर रहे हैं. 1 साल में दो बार खीरे की फसल लगाई जाती है. सोनाराम ने बताया कि सीजन के अनुसार साल में चार-चार महीने में दो बार खीरे की खेती होती है. पहले सीजन में फरवरी के अंदर पौधे लगाए जाते हैं और मई के अंदर हटा दिए जाते हैं. वहीं, दूसरे सीजन में जुलाई के अंदर पौधे लगाए जाते हैं और अक्टूबर के अंदर हटा दिए जाते हैं.

पॉलीहाउस में खीरे की खेती
पॉलीहाउस में खीरे की खेती (ETV Bharat Sikar)

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प्राकृतिक खाद का करते हैं उपयोग : उन्होंने बताया कि वह खीरे की खेती में किसी तरीके की रासायनिक दवाइयां का उपयोग नहीं करते हैं. अच्छे उत्पादन व लंबे समय तक खीरे की फसल रहे, इसके लिए वह प्राकृतिक खाद खुद अपने खेत में बनाते हैं. इसके लिए इन्होंने दुर्गापुरा अनुसंधान केंद्र पर जाकर प्राकृतिक खाद बनाने की ट्रेनिंग भी ली है. वे अपने खेत पर ही गोमूत्र, गोबर, आक, धतूरा, खींप आदि से खाद तैयार करते हैं. वे इनको एक ड्रम में डालकर तीन से चार महीने के लिए सड़ने के लिए छोड़ देते हैं. इसके बाद जब खीरे की फसल शुरू होती है तो 4 महीने तक इस प्राकृतिक खाद का उपयोग करते हैं.

उन्नत तकनीक से खीरे की खेती
उन्नत तकनीक से खीरे की खेती (ETV Bharat Sikar)

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खेती में नई तकनीक से बढ़ रही है आमदनी : उन्होंने बताया कि वे अपने गांव के पहले किसान हैं, जिन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती को अपनाया है. इन्होंने, 1980 में ही अपने खेतों में फव्वारा सिस्टम को लगा लिया था. इसके बाद जब बूंद-बूंद सिंचाई तकनीक आई तो तब भी गांव में सबसे पहले अपने खेतों में ड्रिप सिस्टम लगवाया है. इसके अलावा सोनाराम ने अपने खेत में क्षेत्र का सबसे बड़ा पॉन्ड भी बना रखा है, जिसमें बारिश का पानी इकट्ठा होता है. खेती में बिजली की समस्या के निजात पाने के लिए सोलर सिस्टम भी लगा रखा है. उन्नत तकनीक का उपयोग कर किसान सोनाराम खेती को व्यवसाय की तरह कर रहे हैं.

सीकर के किसान सोनाराम
सीकर के किसान सोनाराम (ETV Bharat Sikar)

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पॉलीहाउस योजना में सरकार दे रही है सब्सिडी : उन्होंने बताया कि किसानों को सरकार की पॉलीहाउस योजना के तहत अच्छा लाभ मिल रहा है. इस प्रोजेक्ट के जरिए किसान कोई भी सब्जी, फल और फूल की खेती 12 महीने खेती कर सकते हैं. इससे उनकी आय दोगुनी तक हो जाती है. पॉलीहाउस पर किसानों को 50 से 70 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा सकता है. पॉलीहाउस को अपने खेत में लगाने से पहले किसानों को आवेदन करना पड़ता है. इस योजना का फायदा उठाने के लिए किसान अपने नजदीकी ई मित्र पर जाकर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं.

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सीकर : राजस्थान के अनेकों किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक खेती को अपना रहे हैं. किसान यह खेती करके लाखों रुपये का मुनाफा भी कमा रहे हैं. कुछ ऐसा ही काम सीकर में रहने वाले सोनाराम कर रहे हैं. इन्होंने, 2017 में पारंपरिक खेती को छोड़कर पॉलीहाउस में खीरे की खेती शुरू की थी. पानी की समस्या के समाधान के लिए इन्होंने पूरे खेत में ड्रिप सिस्टम लगवाया. ऐसे में उन्नत तकनीक का उपयोग कर सोनाराम बिना किसी मेहनत के पॉलीहाउस में खीरे की खेती कर सालाना 20 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. खेती में नवाचार को लेकर इन्हें उपखंड स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है.

सीकर जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर लामिया गांव में रहने वाले सोनाराम क्षेत्र के सबसे उन्नत किसानों में से एक हैं. सोनाराम के पास 14 बीघा जमीन है, जिसमें वे खेती करते हैं. वे गेहूं, जौ, चना और सरसों की पारंपरिक फसल के साथ आधुनिक तरीके से पॉलीहाउस में खीरे की खेती करते हैं. उनके पास 4000 वर्ग मीटर का पॉलीहाउस है. 2017 में 32 लाख रुपये खर्च करके इन्होंने पॉलीहाउस बनवाया था. हालांकि, सरकार की सहायता से सब्सिडी के तहत इनके केवल 10 लाख रुपये ही खर्च हुए, बाकी 22 लाख रुपये इनके खाते में वापस आ गए.

एक नवाचार से 'चमकी' सोनाराम की किस्मत (ETV Bharat Sikar)

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पहली फसल में 2 लाख का हुआ मुनाफा : किसान सोनाराम ने 8 साल पहले 2017 में 2 लाख रुपये खर्च कर खीरे की खेती शुरू की, जिसमें उन्हें पहली बार में ही करीब 2 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा हुआ. इसके बाद धीरे-धीरे मुनाफा बढ़ता गया. साल 2023 में सोनाराम को खीरे और परंपरागत खेती से 12 लाख रुपये से भी अधिक का मुनाफा हुआ था. वहीं, साल 2024 में 16 लाख रुपये का मुनाफा हुआ. इसके अलावा 2025 के पहले सीजन में ही सोनाराम को खीरे और परंपरागत खेती से 7 लाख रुपये का मुनाफा हो चुका है. अभी खीरे का सीजन चालू है तो अनुमान के अनुसार इस बार एक सीजन में ही सोनाराम को 10 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा होगा.

उन्नत तकनीक से खीरे की खेती
किसान का उन्नत सफर... (ETV Bharat GFX)

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एक सीजन में 45 टन खीरे का उत्पादन : उन्होंने बताया कि वे 4000 वर्ग मीटर में फैले पॉलीहाउस में करीब 7000 खीरे के पौधे लगाते हैं. पॉलीहाउस में अनुकूल वातावरण रहने के कारण 40 दिन में ही खीरे का पौधा फल देना शुरू कर देता है. खीरे का एक पौधा एक सीजन में 60 किलो खीरे का उत्पादन देता है. ऐसे में सोनाराम अपने खेत में एक सीजन के अंदर 40 से 45 टन खीरे का उत्पादन कर रहे हैं. 1 साल में दो बार खीरे की फसल लगाई जाती है. सोनाराम ने बताया कि सीजन के अनुसार साल में चार-चार महीने में दो बार खीरे की खेती होती है. पहले सीजन में फरवरी के अंदर पौधे लगाए जाते हैं और मई के अंदर हटा दिए जाते हैं. वहीं, दूसरे सीजन में जुलाई के अंदर पौधे लगाए जाते हैं और अक्टूबर के अंदर हटा दिए जाते हैं.

पॉलीहाउस में खीरे की खेती
पॉलीहाउस में खीरे की खेती (ETV Bharat Sikar)

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प्राकृतिक खाद का करते हैं उपयोग : उन्होंने बताया कि वह खीरे की खेती में किसी तरीके की रासायनिक दवाइयां का उपयोग नहीं करते हैं. अच्छे उत्पादन व लंबे समय तक खीरे की फसल रहे, इसके लिए वह प्राकृतिक खाद खुद अपने खेत में बनाते हैं. इसके लिए इन्होंने दुर्गापुरा अनुसंधान केंद्र पर जाकर प्राकृतिक खाद बनाने की ट्रेनिंग भी ली है. वे अपने खेत पर ही गोमूत्र, गोबर, आक, धतूरा, खींप आदि से खाद तैयार करते हैं. वे इनको एक ड्रम में डालकर तीन से चार महीने के लिए सड़ने के लिए छोड़ देते हैं. इसके बाद जब खीरे की फसल शुरू होती है तो 4 महीने तक इस प्राकृतिक खाद का उपयोग करते हैं.

उन्नत तकनीक से खीरे की खेती
उन्नत तकनीक से खीरे की खेती (ETV Bharat Sikar)

इसे भी पढे़ं. प्रगतिशील किसान की कहानी: 150 बीघा में की सुपरफूड किनोवा की खेती, कम लागत में पाया बंपर मुनाफा

खेती में नई तकनीक से बढ़ रही है आमदनी : उन्होंने बताया कि वे अपने गांव के पहले किसान हैं, जिन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती को अपनाया है. इन्होंने, 1980 में ही अपने खेतों में फव्वारा सिस्टम को लगा लिया था. इसके बाद जब बूंद-बूंद सिंचाई तकनीक आई तो तब भी गांव में सबसे पहले अपने खेतों में ड्रिप सिस्टम लगवाया है. इसके अलावा सोनाराम ने अपने खेत में क्षेत्र का सबसे बड़ा पॉन्ड भी बना रखा है, जिसमें बारिश का पानी इकट्ठा होता है. खेती में बिजली की समस्या के निजात पाने के लिए सोलर सिस्टम भी लगा रखा है. उन्नत तकनीक का उपयोग कर किसान सोनाराम खेती को व्यवसाय की तरह कर रहे हैं.

सीकर के किसान सोनाराम
सीकर के किसान सोनाराम (ETV Bharat Sikar)

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पॉलीहाउस योजना में सरकार दे रही है सब्सिडी : उन्होंने बताया कि किसानों को सरकार की पॉलीहाउस योजना के तहत अच्छा लाभ मिल रहा है. इस प्रोजेक्ट के जरिए किसान कोई भी सब्जी, फल और फूल की खेती 12 महीने खेती कर सकते हैं. इससे उनकी आय दोगुनी तक हो जाती है. पॉलीहाउस पर किसानों को 50 से 70 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा सकता है. पॉलीहाउस को अपने खेत में लगाने से पहले किसानों को आवेदन करना पड़ता है. इस योजना का फायदा उठाने के लिए किसान अपने नजदीकी ई मित्र पर जाकर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं.

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Last Updated : April 11, 2025 at 10:30 AM IST
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