शिमला: शहर में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. आईजीएमसी (IGMC) में रोजाना 3 से 5 लोग कुत्तों के काटने के मामले में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. डॉक्टर का कहना है कि कुत्ते के काटने को हल्के में लेना जानलेवा साबित हो सकता है. ऐसे मामलों में तत्काल अस्पताल पहुंचकर रेबीज का टीका लगवाना बेहद जरूरी है.
IGMC के डिप्टी एमएस डॉ. प्रवीन भाटिया ने बताया, “अभी भी कई लोग रेबीज को गंभीरता से नहीं लेते. हल्के से काटने पर भी यदि समय रहते वैक्सीन नहीं ली गई, तो यह बीमारी जान भी ले सकती है. हम लोगों को लगातार जागरूक कर रहे हैं कि किसी भी जानवर के काटने पर प्राथमिक इलाज लें और तुरंत अस्पताल आएं.”
शहर में भय का माहौल
शहर में आवारा कुत्तों के हमलों को लेकर लोगों में भारी नाराजगी है. खासतौर पर बच्चों पर कुत्तों के हमले की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. कई बार कुत्ते बच्चों को देखते ही उन पर झपट पड़ते हैं. यही नहीं, बंदरों का आतंक भी कम नहीं है. बच्चों के हाथ से खाने की चीजें छीनने और काटने की घटनाएं भी आए दिन सामने आ रही हैं.
स्थानीय निवासी अनीता ठाकुर ने बताया, “बच्चों को अकेले बाहर भेजने में डर लगता है. न तो नगर निगम कुछ कर रहा है और न ही कोई ठोस नीति दिख रही है. हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं.”
डॉक्टरों की सलाह: इन बातों को न करें नजरअंदाज
- घाव को 10–15 मिनट तक साबुन और साफ पानी से धोएं
- गहरा घाव हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
- रेबीज की वैक्सीन की पूरी डोज (0, 3, 7, 14, 28 दिन) जरूर लें
- घरेलू नुस्खों पर भरोसा न करें, इलाज में देरी जानलेवा हो सकती है
IGMC में बेहतर सुविधाएं, अब कम इंजेक्शन में इलाज
डॉ. भाटिया ने बताया कि पहले रेबीज के लिए 10–12 इंजेक्शन लगाने पड़ते थे, लेकिन अब आधुनिक वैक्सीन के जरिए सीमित डोज़ में ही इलाज संभव है. अस्पताल में रेबीज की पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध है और पूरी तरह इलाज की सुविधा मौजूद है.
नगर निगम की कार्यवाही और सवालों के घेरे में जिम्मेदारी
महापौर सुरेंद्र चौहान ने बताया कि नगर निगम ने कुत्तों की नसबंदी (स्टरलाइजेशन) के लिए एक एनजीओ से कोटेशन मांगी है. इसके अलावा डॉक्टरों की भर्ती को लेकर सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. जल्द ही आउटसोर्स कंपनी के माध्यम से कुत्तों की स्टरलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. दवाइयां नगर निगम मुहैया कराएगा.
हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम की लापरवाही की वजह से ही समस्या विकराल होती जा रही है. निवासी राजेश मेहता ने कहा, “नगर निगम के ढीले रवैये के कारण अब सड़क पर चलना भी मुश्किल हो गया है. तुरंत प्रभाव से ठोस कदम न उठाए गए तो हालात और बिगड़ सकते हैं.”