शिमला: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इस समय हिमाचल दौरे पर हैं. वे शिमला स्थित राजभवन में ठहरे हैं. उपराष्ट्रपति के दौरे और उनके राजभवन में ठहरने से ब्रिटिश कालीन इस इमारत के बारे में जिज्ञासा पैदा होती है. वैसे तो ये इमारत भारत-पाक के बीच शिमला समझौते की गवाह रही है, लेकिन पहलगाम अटैक के बाद भारत की करारी जवाबी कार्रवाई से सकपकाए पाकिस्तान ने शिमला समझौते को खत्म कर दिया है. ठीक इसी समय पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का समझौता खत्म करने वाला बयान सुर्खियां बटोर रहा है.
बानर्स कोर्ट में ही हुआ था शिमला समझौता
ऐसे में शिमला की इस ऐतिहासिक इमारत के बारे में जिज्ञासा पैदा होना जाहिर सी बात है. बानर्स कोर्ट इमारत ब्रिटिशकालीन है और इस समय ये हिमाचल के राजभवन के तौर पर चर्चित है. यहीं पर 2 जुलाई 1972 की रात को शिमला समझौता हुआ था. रोचक बात ये है कि इमारत पहले सिंगल स्टोरी थी और इसका मौजूदा स्वरूप ब्रिटिश काल में 3 लाख रुपए से कुछ अधिक की लागत से बना था. निर्माण का ये समय वर्ष 1879 से 1886 के बीच का है. इमारत का निर्माण ट्यूडर शैली में हुआ है.

ट्यूडर शैली में बना है राजभवन
इंग्लैंड का ट्यूडर राजवंश का इतिहास 1485 ईस्वी से मिलता है. उस समय जो निर्माण शैली प्रचलित थी, उसे ट्यूडर शैली के नाम से जाना जाता था. हिमाचल का राजभवन उसी शैली में बना है. इसमें टीक की लकड़ी का प्रयोग हुआ है. इतिहास में झांक कर देखें तो इस इमारत में सबसे पहले वर्ष 1832 में तत्कालीन भारतीय सेना के ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ सर एडवर्ड बानर्स ने रिहाइश आरंभ की थी. उनके ही नाम पर इस इमारत को पहचान मिली. बाद में यह कई ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ का निवास स्थान था. एक समय ये इमारत मेजर एबी गोड के पास आई, जिन्होंने इसे 15 मई 1875 को मेजर जनरल पीटर लम्सडेन को 23 हजार रुपए में बेच दिया.

1878 में पंजाब सरकार ने खरीदने की थी पेशकश
ब्रिटिश समय में ही तत्कालीन पंजाब सरकार ने 11 अप्रैल 1878 को इसे खरीदने की पेशकश की अनुमति मांगी. पंजाब सरकार इसे तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर सर रॉबर्ट एगर्टन के सरकारी आवास के तौर पर लेना चाहती थी. बाद में वर्ष 1879 से 1886 के बीच मौजूदा स्वरूप वाली इमारत तैयार हुई, जिस पर कुल खर्च 3 लाख, 2 हजार, 257 रुपए आया. आजादी के बाद वर्ष 1966 तक ये इमारत पंजाब सरकार के समर राजभवन के तौर पर रही.
भारत-पाक समझौता का गवाह बना ये भवन
पंजाब पुनर्गठन के बाद वर्ष 1970 के दशक में ये भवन स्टेट गेस्ट हाउस कम टूरिस्ट बंगलो के रूप में रही. बाद में यहां भारत-पाक समझौता हुआ. ये वर्ष 1972 के जुलाई माह की बात है. शिमला समझौता तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के मध्य हस्ताक्षरित हुआ था. उस समय भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो भी उनके साथ शिमला आई थी. बेनजीर भुट्टो ने अपनी किताब डॉटर ऑफ ईस्ट में शिमला समझौते के कई पहलुओं का जिक्र किया है.
Hon’ble Vice-President, Shri Jagdeep Dhankhar was welcomed by Shri Shiv Pratap Shukla Ji, Hon’ble Governor of Himachal Pradesh, Shri Sukhvinder Singh Sukhu Ji, Hon’ble Chief Minister of Himachal Pradesh, Shri Mukesh Agnihotri Ji, Hon’ble Deputy Chief Minister of Himachal Pradesh,… pic.twitter.com/N3CeiEvSV2
— Vice-President of India (@VPIndia) June 6, 2025
शिमला दौरे पर आने वाले नेता करते हैं विजिट
शिमला में भारत के राष्ट्रपति का ग्रीष्मकालीन आवास है. शिमला के समीप मशोबरा के रिट्रीट में राष्ट्रपति निवास है. भारत के राष्ट्रपति यहां ठहरते आए हैं. शिमला प्रवास के दौरान राष्ट्रपति राजभवन में राज्यपाल की तरफ से रात्रिकालीन भोज के लिए आमंत्रित किए जाते हैं. उस दौरान भारत-पाक समझौते के गवाह टेबल को लेकर सभी जिज्ञासा प्रकट करते हैं. अब भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शिमला आए हैं और राजभवन में ठहरे हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राजभवन में उपराष्ट्रपति का स्वागत किया है. इससे पहले राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व अन्य गणमान्य नेताओं ने उपराष्ट्रपति का शिमला पहुंचने पर स्वागत किया है. उपराष्ट्रपति कल सोलन के दौरे पर जाएंगे.