शिमला: जिला सेशन कोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाते हुए शिमला की संजौली मस्जिद को गिराने के शिमला नगर निगम आयुक्त के फैसले पर रोक लगा दी है. बता दें कि वक्फ बोर्ड ने शिमला नगर निगम आयुक्त के मस्जिद गिराने के आदेशों को चुनौती दी थी, जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष की ओर शिमला नगर निगम आयुक्त के फैसले पर रोक लगाने के लिए दी गई याचिका पर आज सुनवाई हुई है. आज कोर्ट ने निगम आयुक्त के आदेशों पर स्टे लगाया है. अब यह मामला 29 मई को फिर से सुना जाएगा.
संजौली मस्जिद मामले में आज सेशन कोर्ट में केस लगा है. हिंदू संगठन के वकील जगत पाल ने पक्ष रखा कि जब एमसी कोर्ट ने अवैध घोषित कर दिया है तो उसे गिराया जाना चाहिए और बिजली पानी का कनेक्शन अभी तक नहीं काटी गई है.
वहीं, जब मुस्लिम पक्ष के वकील वीएस ठाकुर ने कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए कहा, तब कोर्ट ने उन्हें 3 दिन का समय दिया और कहा 29 मई को दोनों पक्ष से बहस होगी. उसके बाद ही फैसला सुनाया जाएगा
बता दें कि 29 मई को शिमला नगर निगम को इस मामले पर हुई कार्यवाही पर जवाब फाइल करना है. यह मामला एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज युजुविंदर सिंह की कोर्ट में लगा है. कोर्ट ने माना की इस मामले में निगम कोर्ट देवभूमि संघर्ष समिति की कैविएट को डिसमिस कर रहा था. इसे देखते हुए समिति ने अपनी कैविएट को वापस ले लिया. अब सबकी नजरें अगली सुनवाई पर टिक गई है.
गौरतलब है कि निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने 3 मई को पूरी मस्जिद को गैर कानूनी बताते हुए इसकी निचली दो मंजिल भी गिराने के आदेश दिए थे. मस्जिद की ऊपर की तीन मंजिल को गिराने के आदेश बीते साल 5 अक्टूबर को दिए जा चुके हैं. निगम आयुक्त ने इसे गिराने के आदेश देने से पहले वक्फ बोर्ड को कई बार मस्जिद की जमीन पर मालिकाना हक के कागज देने और मस्जिद का नक्शा देने का मौका दिया, लेकिन वक्फ बोर्ड इसके कागज पेश नहीं कर पाया. अब इस फैसले को वक्फ बोर्ड ने सेशन कोर्ट में चुनौती दी है. वक्फ बोर्ड को राहत मिल पाएगी या नहीं, यह अदालत पर निर्भर करेगा.
3 मई को शिमला आयुक्त कोर्ट ने मस्जिद गिराने के दिए थे आदेश
बता दें कि 3 मई को संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण मामले में आयुक्त अदालत ने अपना फाइनल ऑर्डर दिया था. कोर्ट ने मस्जिद की निचली दो मंजिलों को भी अवैध मानते हुए गिराने के आदेश दिए थे. नगर निगम आयुक्त ने अपने आदेश में कहा था कि, "संजौली में पुराना ढांचा गिराने के बाद नया निर्माण किया गया, लेकिन पुराना ढांचा गिराने और नए निर्माण के लिए नगर निगम से अनुमति नहीं ली गई. ऐसे में संजौली मस्जिद निर्माण में एमसी एक्ट का वायलेशन हुआ है. ऐसे में मस्जिद के निचली दो मंजिलें भी अवैध हैं, जिसे गिराया जाना चाहिए".
गौरतलब है कि संजौली मस्जिद के अवैध निर्माण का मामला पिछले साल सुर्खियों में छाया रहा और ये मामला सड़क से लेकर हिमाचल प्रदेश की विधानसभा तक गूंजता रहा. हिंदू संगठनों के साथ-साथ स्थानीय लोगों ने राजधानी शिमला के साथ-साथ प्रदेश के अन्य जिलों में भी अवैध निर्माण को गिराने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया था. शिमला में हुए प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शन कर रहे लोगों और पुलिस के बीच झड़प भी हो गई थी.
विवाद की कैसे हुई थी शुरुआत?
दरअसल, इस विवाद की शुरुआत शिमला के मल्याणा से हुई. अगस्त महीने के अंत में मल्याणा क्षेत्र में विक्रम सिंह नामक व्यक्ति के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की. झगड़े में विक्रम सिंह के सिर में गंभीर चोटें आई और 14 टांके लगे. ढली पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की और आरोपियों को दबोच लिया. आरोपियों में दो तो नाबालिग थे. विक्रम सिंह की तरफ से ढली थाना में दर्ज की गई रिपोर्ट में बताया गया कि वो 30 अगस्त की रात साढ़े आठ बजे अपना लोक मित्र केंद्र बंद कर घर जा रहा था कि वहां एक लड़का शोर मचा रहा था. विक्रम ने उसे रोका तो वहां मोहम्मद गुलनवाज अपने अन्य साथियों के साथ आया और विक्रम को घेर कर मारपीट करने लगे. एक लड़के ने डंडे से सिर पर प्रहार किया. विक्रम ने शिकायत में कहा कि गुलनवाज और उसके साथियों ने जयपाल व राजीव शर्मा नामक लोगों से भी मारपीट की.
ढली पुलिस थाने में केस हुआ था दर्ज
ढली पुलिस ने घायल लोगों का मेडिकल करवा लीगल केस बनाकर इलाज करवाया. पुलिस के अनुसार मामले में छह आरोपियों की पहचान की गई. उनमें से दो नाबालिग हैं. पुलिस के अनुसार आरोपियों में गुलनवाज आयु 32 साल, सारिक आयु 20 साल, सैफ अली आयु 23 साल, रोहित आयु 23 साल और दो नाबालिग शामिल हैं. इनमें रिहान उत्तराखंड का और बाकी सभी यूपी मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं. नाबालिगों को उनके अभिभावकों के सुपुर्द कर दिया गया था.
मानसून सत्र में उठा मुद्दा
आरोप है कि हमला करने वाले छह मुस्लिम युवाओं में से कुछ ने बाद में मस्जिद में आकर शरण ली. उसके बाद कांग्रेस के पार्षद नीटू ठाकुर सहित सैकड़ों लोगों ने संजौली की मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया. उसके बाद खुलासा हुआ कि संजौली की मस्जिद में ऊपर की कुछ मंजिलों का निर्माण अवैध रूप से किया गया है. इस दौरान विधानसभा का मानसून सेशन भी चल रहा था और वहां कांग्रेस सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सदन में कागजात रखते हुए दावा किया कि सरकारी जमीन पर मस्जिद बनी हुई है. कैबिनेट मंत्री ने सदन में खुलासा किया कि चौदह साल में मामले में 44 पेशियां हो गई, लेकिन कोई निर्णय नहीं आया. अनिरुद्ध सिंह ने मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने की मांग भरे सदन में कर दी. उसके बाद मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया.
अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में उठाया मुद्दा
गौरतलब है कि साल 2024 में हिमाचल विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने संजौली में बने अवैध मस्जिद का मुद्दा उठाया. अनिरुद्ध सिंह ने कहा, "ये कैसी परिस्थिति उत्पन्न हो रही है प्रदेश में, जो रोज नए जमात वाले आ रहे हैं, जिनका कोई अता पता ही नहीं है. क्या ये रोहिंग्या मुसलमान हैं, मैं खुद एक दो लोगों को जानता हूं, जो बांग्लादेश से आए हैं, उनकी वेरिफिकेशन होनी चाहिए. यहां पर 190 लोगों हैं, जो रजिस्टर्ड हैं तो 1900 कैसे हो गए? आज आप किसी भी बाजार में चले जाइए. चाहे आप संजौली या ढली चले जाइए, लोगों के चलने के लिए जगह नहीं है. आज संजौली बाजार में औरतों का चलना मुश्किल हो गया है. मैं इस बात का व्यक्तिगत गवाह हूं. यहां नशे का कारोबार और क्राइम बढ़ रहा है. इसके पीछे कौन है, इसकी जांच होनी चाहिए. मैं मांग करता हूं कि 190 लोगों की वेरिफिकेशन की जाए और बाकी लोगों का साफ किया जाए".
11 सितंबर 2024 को हिंदू संगठनों का प्रदर्शन
बीते साल संजौली मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर 11 सितंबर को हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने भी पुलिस पर पथराव किया. इसमें कई प्रदर्शनकारी और पुलिस जवान घायल हुए. पुलिस ने इस मामले में कई दर्जन लोगों पर एफआईआर दर्ज की है. जिसके बाद 12 सितंबर को मस्जिद कमेटी ने नगर निगम कोर्ट में खुद मस्जिद के अवैध ढांचे को गिराने का आवेदन किया. मस्जिद कमेटी के सदस्यों ने कहा कि वो लोगों के साथ शांतिपूर्वक माहौल में रहना चाहते हैं.
लोकल रेजिडडेंट ने लगाए कई आरोप
5 अक्टूबर 2024 को संजौली मस्जिद विवाद को लेकर हुई सुनवाई में निगम कोर्ट ने संजौली मस्जिद की 3 अवैध मंजिलों को गिराने की अनुमति दे दी है. वहीं, इसी दिन निगम कोर्ट में सुनवाई के दौरान स्थानीय लोगों ने अपना पक्ष रखने के लिए आवेदन किया था, लेकिन निगम कोर्ट ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया. लोकल रेजिडेंट की तरफ से पेश वकील जगतपाल ठाकुर ने कहा कि, एमसी एक्ट में 254 (1) में छह महीने में अवैध निर्माण पर एक्शन का प्रावधान है. एक्ट के तहत सबसे पहले नोटिस 31 मार्च 2010 को जारी हो गया था. यह नोटिस ग्राउंड फ्लोर के अवैध निर्माण के लिए दिया गया था. इस नोटिस का प्रावधान बिना अनुमति किए जा रहे काम को रोकने के लिए था. नियमों के तहत इस तरह के काम को नोटिस मिलने के बाद फिर से शुरू नहीं किया जा सकता.
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