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शारदीय नवरात्रि: 2 शुभ मुहूर्त में होगी घट स्थापना, कलश स्थापित करते समय भूल कर भी न करें ये गलती - Shardiya Navratri 2024 - SHARDIYA NAVRATRI 2024

Shardiya Navratri Kalash sthapana Shubh Muhurat: शारदीय नवरात्रि गुरुवार 3 अक्टूबर यानी आज से शुरू हैं और 11 अक्टूबर को इसका समापन होगा. नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त है. कलश स्थापना कैसे करें और किन सी बातों का ध्यान रखें? जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Shardiya Navratri 2024
शारदीय नवरात्रि 2024 (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 2, 2024, 2:29 PM IST

Updated : Oct 3, 2024, 6:01 AM IST

शिमला: आज से माता दुर्गा तो समर्पित शारदीय नवरात्रि शुरू हैं. नवरात्रि का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. नवरात्रि के दौरान भक्त मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के विभिन्न नौ रूपों की आराधना की जाती है. इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 11 अक्टूबर तक रहेंगे.

आचार्य विजय कुमार ने बताया कि पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को शुरू होगी और इस स्थिति का समापन 4 अक्टूबर को रात 2:58 पर होगा. ऐसे में उदय तिथि के अनुसार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार 3 अक्टूबर से होगी.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

वहीं नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का भी विधान है. इसलिए आज नवरात्रि के पहले दिन ही घट स्थापना की जाएगी. इस बार घट स्थापना को लेकर 2 शुभ मुहूर्त हैं. आचार्य विजय कुमार ने बताया कि घट स्थापना का पहला मुहूर्त गुरुवार को सुबह 6:15 से लेकर सुबह 7:22 तक रहेगा. इसके अलावा अभिजीत घट स्थापना का मुहूर्त सुबह 11:46 से लेकर दोपहर 12:33 तक रहेगा. ऐसे में भक्त शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की पूजा के लिए घट यानी कलश स्थापना कर सकते हैं.

कैसे करें कलश स्थापना?

आचार्य आशीष शर्मा ने बताया कि किस तरह से नवरात्रि पर घट स्थापना की जाती है. जिससे मां दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों को सुख समृद्धि का वरदान देती हैं.

  • कलश स्थापना करने से पहले एक मिट्टी का पात्र लें.
  • साफ थाली लेकर थोड़ी सी मिट्टी कलश में डालें.
  • कलश में जौ के बीज डालकर पानी का छिड़काव करें.
  • तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और ऊपरी भाग में मौली बांधें.
  • उस लोटे में साफ जल के साथ गंगाजल दूब अक्षत सुपारी और कुछ पैसे रखें.
  • लोटे को पीपल या आम की पत्तियों से भी सजाएं.
  • तांबे के लोटे के ऊपर एक पानी वाले नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर मौली से बांध दें.
  • इस नारियल को कलश के बीच में रख दें.
  • माता दुर्गा के 9 दिनों तक मंत्रों का जाप करें.

कलश स्थापना में इन बातों का रखें ध्यान

आचार्य विजय कुमार का कहना है कि कलश स्थापना के दौरान उन्हें कुछ विशेष बातों का भी ध्यान रखना चाहिए, ताकि मां दुर्गा नाराज ना हो सके.

  • कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा घर में विराजमान हो जाती हैं.
  • कलश को भी मां दुर्गा का ही स्वरूप माना जाता है.
  • कलश में कभी भी गंदी मिट्टी और गंदे पानी का प्रयोग ना करें.
  • घर में कलश की स्थापना के बाद उसे 9 दिनों तक न हिलाएं.
  • कलश स्थापना के बाद उस स्थान की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें.

कलश स्थापना में भूल कर भी न करें ये काम

  • शौचालय या बाथरूम के आसपास न करें कलश की स्थापना.
  • गंदे और अपवित्र हाथों से कलश को न छुएं.
  • कलश स्थापना के बाद घर को अकेला न छोड़ें.
  • कलश की नियमित रूप से पूजा-अर्चना करें.
  • कलश किसी भी रूप में खंडित नहीं होना चाहिए.
  • नवरात्रि के बाद कलश में बोए गए जौ को विधिपूर्वक नदी में प्रवाहित करें.

नवरात्रि पूजा में क्या करें?

  • नवरात्रि पर वह दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
  • अपने घर पर अखंड ज्योति अवश्य जलाएं.
  • पूजा के दौरान मां दुर्गा की आरती करें.
  • नवरात्रि पर कन्या पूजन भी जरूर करें.

ये भी पढ़ें: शारदीय नवरात्रि: पालकी में सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानें क्या है महत्व

ये भी पढ़ें: नवरात्रि के पहले दिन 2 शुभ मुहूर्त में हो सकेगी कलश की स्थापना, इन बातों का रखें ख्याल

ये भी पढ़ें: 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ, माता की भक्तों पर बरसेगी कृपा!

शिमला: आज से माता दुर्गा तो समर्पित शारदीय नवरात्रि शुरू हैं. नवरात्रि का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. नवरात्रि के दौरान भक्त मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के विभिन्न नौ रूपों की आराधना की जाती है. इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 11 अक्टूबर तक रहेंगे.

आचार्य विजय कुमार ने बताया कि पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को शुरू होगी और इस स्थिति का समापन 4 अक्टूबर को रात 2:58 पर होगा. ऐसे में उदय तिथि के अनुसार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार 3 अक्टूबर से होगी.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

वहीं नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का भी विधान है. इसलिए आज नवरात्रि के पहले दिन ही घट स्थापना की जाएगी. इस बार घट स्थापना को लेकर 2 शुभ मुहूर्त हैं. आचार्य विजय कुमार ने बताया कि घट स्थापना का पहला मुहूर्त गुरुवार को सुबह 6:15 से लेकर सुबह 7:22 तक रहेगा. इसके अलावा अभिजीत घट स्थापना का मुहूर्त सुबह 11:46 से लेकर दोपहर 12:33 तक रहेगा. ऐसे में भक्त शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की पूजा के लिए घट यानी कलश स्थापना कर सकते हैं.

कैसे करें कलश स्थापना?

आचार्य आशीष शर्मा ने बताया कि किस तरह से नवरात्रि पर घट स्थापना की जाती है. जिससे मां दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों को सुख समृद्धि का वरदान देती हैं.

  • कलश स्थापना करने से पहले एक मिट्टी का पात्र लें.
  • साफ थाली लेकर थोड़ी सी मिट्टी कलश में डालें.
  • कलश में जौ के बीज डालकर पानी का छिड़काव करें.
  • तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और ऊपरी भाग में मौली बांधें.
  • उस लोटे में साफ जल के साथ गंगाजल दूब अक्षत सुपारी और कुछ पैसे रखें.
  • लोटे को पीपल या आम की पत्तियों से भी सजाएं.
  • तांबे के लोटे के ऊपर एक पानी वाले नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर मौली से बांध दें.
  • इस नारियल को कलश के बीच में रख दें.
  • माता दुर्गा के 9 दिनों तक मंत्रों का जाप करें.

कलश स्थापना में इन बातों का रखें ध्यान

आचार्य विजय कुमार का कहना है कि कलश स्थापना के दौरान उन्हें कुछ विशेष बातों का भी ध्यान रखना चाहिए, ताकि मां दुर्गा नाराज ना हो सके.

  • कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा घर में विराजमान हो जाती हैं.
  • कलश को भी मां दुर्गा का ही स्वरूप माना जाता है.
  • कलश में कभी भी गंदी मिट्टी और गंदे पानी का प्रयोग ना करें.
  • घर में कलश की स्थापना के बाद उसे 9 दिनों तक न हिलाएं.
  • कलश स्थापना के बाद उस स्थान की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें.

कलश स्थापना में भूल कर भी न करें ये काम

  • शौचालय या बाथरूम के आसपास न करें कलश की स्थापना.
  • गंदे और अपवित्र हाथों से कलश को न छुएं.
  • कलश स्थापना के बाद घर को अकेला न छोड़ें.
  • कलश की नियमित रूप से पूजा-अर्चना करें.
  • कलश किसी भी रूप में खंडित नहीं होना चाहिए.
  • नवरात्रि के बाद कलश में बोए गए जौ को विधिपूर्वक नदी में प्रवाहित करें.

नवरात्रि पूजा में क्या करें?

  • नवरात्रि पर वह दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
  • अपने घर पर अखंड ज्योति अवश्य जलाएं.
  • पूजा के दौरान मां दुर्गा की आरती करें.
  • नवरात्रि पर कन्या पूजन भी जरूर करें.

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Last Updated : Oct 3, 2024, 6:01 AM IST
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