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करणी माता मंदिर में भरा लक्खी मेला, दूर दराज से दर्शन के लिए आते हैं लोग, माता की स्थापना की है रोचक कथा - Shardiya Navratri 2024 - SHARDIYA NAVRATRI 2024

Alwar Karni Mata Mandir : अलवर जिले में मां दुर्गा के अनेक मंदिर हैं, लेकिन ऐतिहासिक करणी माता के प्रति लोगों में गहरी आस्था है. यहां साल में दो बार नवरात्र के मौके पर लक्खी मेला भरता है. ऐसे में आज से शारदीय नवरात्रि शुरू होने के साथ ही लक्खी मेला भी शुरू हो गया है.

करणी माता मंदिर पर लक्खी मेला
करणी माता मंदिर पर लक्खी मेला (ETV Bharat Alwar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 3, 2024, 10:16 AM IST

अलवर : शारदीय नवरात्र गुरुवार से प्रारंभ हो गए हैं. नवरात्र पर अलवर के पहाड़ियों में स्थित ऐतिहासिक करणी माता मंदिर पर लक्खी मेला शुरू हो गया. यह मेला शारदीय नवरात्र पूर्ण होने पर ही खत्म होगा. साथ ही अलवर के अन्य देवी मंदिरों में भी अनुष्ठान शुरू हो गए. मंदिरों के अलावा घरों में भी सुबह घट स्थापना कर नवरात्र की शुरुआत की गई. नवरात्र को लेकर बाजार भी खरीदारी के लिए सजकर पूरी तरह तैयार है. अलवर शहर ही नहीं, बल्कि प्रदेश के अन्य शहरों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं.

रियासतकालीन है करणी माता मंदिर : पूर्व राजपरिवार से जुड़े हुए नरेंद्र सिंह राठौड़ करणी माता मंदिर की स्थापना अलवर पूर्व रियासत के द्वितीय शासक बख्तावर सिंह ने 1792 से 1815 के मध्य अपनी मन्नत पूरी होने पर कराई. करणी माता मंदिर बाला किला पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है. स्थापना के समय से ही मंदिर में करणी माता प्रतिमा की पूजा अर्चना होती रही है. अलवर पूर्व रियासत से जुड़े नरेन्द्रसिंह राठौड़ का कहना है कि पूर्व शासक बख्तावर सिंह अपनी पत्नी रूपकंवर के साथ बाला किला में रहते थे. एक दिन पूर्व शासक बख्तावर सिंह के पेट में अचानक असहनीय दर्द हुआ.

करणी माता मंदिर में भरा लक्खी मेला (वीडियो ईटीवी भारत अलवर)

पढ़ें. जीण माता का लक्खी मेला आज से शुरू, पशु बलि व मदिरा चढ़ाने पर रहेगी पाबंदी - Jhinmata Lakkhi Fair

वैद्यों की ओर से पूर्व शासक का इलाज करने के बाद भी उन्हें राहत नहीं मिली, तो पूर्व रियासत के रक्षक बारैठ ने बख्तावर सिंह को मां करणी का मन में ध्यान करने का सुझाव दिया. रक्षक का सुझाव मानकर बख्तावर सिंह ने मां करणी का ध्यान किया. इसके बाद बख्तावर सिंह का पेट दर्द ठीक हो गया. इसी उपलक्ष्य में पूर्व शासक ने बाला किला परिसर में करणी माता की स्थापना की. सन 1982 में मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क बनने के बाद वहां नवरात्र में मेला भरने लगा.

अरावली की वादियों में स्थित करणी माता मंदिर : करणी माता मंदिर सरिस्का टाइगर रिजर्व के अलवर बफर रेंज में बना है. यह स्थान अलवर शहर के समीप अरावली की वादियों के बीच स्थित है. अरावली की पहाड़ियों की हरियाली इस स्थल को और भी मनमोहक बनाती है. सरिस्का टाइगर रिजर्व का हिस्सा होने के कारण यहां बाघ, पैंथर एवं अन्य वन्यजीव विचरण करते रहते हैं. करणी माता मंदिर के रास्ते में कई बार दर्शनार्थियों को बाघ के भी दर्शन हो चुके हैं. अभी अलवर बफर रेंज में सात बाघ हैं.

सुबह 5 से शाम 6 बजे जा सकेंगे दर्शनार्थी : प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार करणी माता मेले में सुबह 5 से शाम 6 बजे तक दर्शनार्थियों को प्रवेश दिया जाएगा. मेले को देखते हुए प्रशासन ने यहां तैयारियां पूरी कर ली हैं. लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. पहाड़ी क्षेत्र में मेले के दौरान कोई हादसा नहीं हो, इसके लिए प्रशासन ने प्रतापबंध से करणी माता मंदिर तक रोड एवं सुरक्षा दीवार की मरम्मत कराई है. वहीं, सरिस्का प्रशासन की ओर से लोगों की सुरक्षा के लिए वनकर्मियों की तैनाती की गई है.

अलवर : शारदीय नवरात्र गुरुवार से प्रारंभ हो गए हैं. नवरात्र पर अलवर के पहाड़ियों में स्थित ऐतिहासिक करणी माता मंदिर पर लक्खी मेला शुरू हो गया. यह मेला शारदीय नवरात्र पूर्ण होने पर ही खत्म होगा. साथ ही अलवर के अन्य देवी मंदिरों में भी अनुष्ठान शुरू हो गए. मंदिरों के अलावा घरों में भी सुबह घट स्थापना कर नवरात्र की शुरुआत की गई. नवरात्र को लेकर बाजार भी खरीदारी के लिए सजकर पूरी तरह तैयार है. अलवर शहर ही नहीं, बल्कि प्रदेश के अन्य शहरों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं.

रियासतकालीन है करणी माता मंदिर : पूर्व राजपरिवार से जुड़े हुए नरेंद्र सिंह राठौड़ करणी माता मंदिर की स्थापना अलवर पूर्व रियासत के द्वितीय शासक बख्तावर सिंह ने 1792 से 1815 के मध्य अपनी मन्नत पूरी होने पर कराई. करणी माता मंदिर बाला किला पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है. स्थापना के समय से ही मंदिर में करणी माता प्रतिमा की पूजा अर्चना होती रही है. अलवर पूर्व रियासत से जुड़े नरेन्द्रसिंह राठौड़ का कहना है कि पूर्व शासक बख्तावर सिंह अपनी पत्नी रूपकंवर के साथ बाला किला में रहते थे. एक दिन पूर्व शासक बख्तावर सिंह के पेट में अचानक असहनीय दर्द हुआ.

करणी माता मंदिर में भरा लक्खी मेला (वीडियो ईटीवी भारत अलवर)

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वैद्यों की ओर से पूर्व शासक का इलाज करने के बाद भी उन्हें राहत नहीं मिली, तो पूर्व रियासत के रक्षक बारैठ ने बख्तावर सिंह को मां करणी का मन में ध्यान करने का सुझाव दिया. रक्षक का सुझाव मानकर बख्तावर सिंह ने मां करणी का ध्यान किया. इसके बाद बख्तावर सिंह का पेट दर्द ठीक हो गया. इसी उपलक्ष्य में पूर्व शासक ने बाला किला परिसर में करणी माता की स्थापना की. सन 1982 में मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क बनने के बाद वहां नवरात्र में मेला भरने लगा.

अरावली की वादियों में स्थित करणी माता मंदिर : करणी माता मंदिर सरिस्का टाइगर रिजर्व के अलवर बफर रेंज में बना है. यह स्थान अलवर शहर के समीप अरावली की वादियों के बीच स्थित है. अरावली की पहाड़ियों की हरियाली इस स्थल को और भी मनमोहक बनाती है. सरिस्का टाइगर रिजर्व का हिस्सा होने के कारण यहां बाघ, पैंथर एवं अन्य वन्यजीव विचरण करते रहते हैं. करणी माता मंदिर के रास्ते में कई बार दर्शनार्थियों को बाघ के भी दर्शन हो चुके हैं. अभी अलवर बफर रेंज में सात बाघ हैं.

सुबह 5 से शाम 6 बजे जा सकेंगे दर्शनार्थी : प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार करणी माता मेले में सुबह 5 से शाम 6 बजे तक दर्शनार्थियों को प्रवेश दिया जाएगा. मेले को देखते हुए प्रशासन ने यहां तैयारियां पूरी कर ली हैं. लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. पहाड़ी क्षेत्र में मेले के दौरान कोई हादसा नहीं हो, इसके लिए प्रशासन ने प्रतापबंध से करणी माता मंदिर तक रोड एवं सुरक्षा दीवार की मरम्मत कराई है. वहीं, सरिस्का प्रशासन की ओर से लोगों की सुरक्षा के लिए वनकर्मियों की तैनाती की गई है.

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