शहडोल: शहडोल संभाग आदिवासी बाहुल्य है. मार्च के आखिरी और अप्रैल के महीने में यहां ऐसा भी समय आता है, जब महुआ के फूलों को बंटोरने के लिए गांव के गांव खाली हो जाते हैं. आधिकांश आदिवासी परिवार इस पेड़ के नीचे ही नजर आते हैं. रात-दिन इन पेड़ों की रखवाली करते हैं. महुआ बटोरकर आदिवासी अगले 3 से 4 महीने की खर्च की व्यवस्था कर लेते हैं. इसके लिए ये परिवार सालभर इंतजार करते हैं.
मार्च-अप्रैल में आदिवासी महुआ बीनने में व्यस्त
मार्च-अप्रैल के महीने में महुआ के पेड़ फूलों से सुसज्जित रहते हैं. इन्हें बंटोरने के लिए आदिवासी वर्ग के लोगों में गजब की दीवानगी देखने को मिलती है. कुछ समय के लिए ही गिरने वाले महुआ के इस फूल को बटोरने के लिए लोग दिन-रात एक कर देते हैं. किसी महुआ के पेड़ से रात से ही फूल गिरने लगते हैं तो किसी पेड़ में दिन में फूल गिरते हैं. किसी महुआ के पेड़ में दोपहर बाद फूल गिरते हैं. इन फूलों को बंटोरने के लिए लोग पूरी रात पेड़ के नीचे डेरा डालते हैं.

दिन-रात महुआ के फूल बंटोरने का काम
महुआ के फूल बंटोरने वाले दद्दन बैगा बताते हैं "महुआ के फूल का सीजन आने वाला है. कुछ फूल गिरने भी लगे हैं. बहुत जल्द ये पूरा महुआ के पेड़ के नीचे का एरिया फूलों से भर जाएगा. इसलिए पत्तों की साफ सफाई कर रहे हैं. इससे जब महुआ के फूल गिरने शुरू हों तो पेड़ के नीचे कोई भी कचरा ना रहे, जिससे इसे बंटोरने में आसानी हो." वहीं, किसान सुजीत श्रीवास्तव बताते हैं "महुआ के फूल बहुमूल्य होते हैं. इसके लिए आदिवासी वर्ग में एक अलग क्रेज होता है. इस एक डेढ़ महीने में तो यह हालात होते हैं कि अगर आपको कोई काम खेत का करना है तो मजदूर नहीं मिलेगा, क्योंकि वे महुआ के फूल के पीछे लगे रहते हैं."



- महुए के कुकीज ने मचाया धमाल, चार महिलाओं के हाथ के स्वाद का जादू, देशभर के लोग दीवाने
- बुंदेलखंड के देसी व्यंजनों के आगे पिज्जा, बर्गर और चाउमीन फेल, स्वाद लेने बनी 'बुंदेली बखरी'
बहुत कीमती है महुआ का फूल
व्यापारी निखिल गुप्ता बताते हैं "महुआ का फूल बहुत कीमती होता है. सीजन में भी यह कम रेट में नहीं बिकता. इसके अच्छे दाम मिल जाते हैं. अगर सुखाकर 4 महीने तक रख लिया तो इनके दाम वर्तमान की तुलना 3 गुना ज्यादा मिलते हैं. महुआ का पेड़ औषधीय महत्व का भी है. जब महुआ के पेड़ फल आते हैं जिसे डोरी के नाम से आदिवासी बहुल इलाकों में जाना जाता है, इसकी भी बहुत ज्यादा डिमांड होती है और यह भी अच्छे दाम देकर जाता है और सबसे अच्छी बात महुआ के पेड़ के लिए कोई देखरेख की जरूरत नहीं होती."