भीषण गर्मी में कैसे रखें अपना ख्याल, जानें आयुर्वेद के अनुसार बचाव के आसान उपाय
गर्मी और हीट वेव के कारण बीमारियों में इजाफा हो रहा है. वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ ने बताए घरेलू उपाय और खानपान संबंधी खास सावधानियां.

Published : April 9, 2025 at 7:35 AM IST
अजमेर: प्रदेश में अचानक बढ़ी गर्मी और हीट वेव का असर आमजन के जीवन पर साफ दिखाई दे रहा है. दिन का तापमान तेजी से बढ़ रहा है, जिससे लोग डिहाइड्रेशन, गला दर्द, उल्टी, दस्त, जुकाम, सिर दर्द और बुखार जैसे रोगों का शिकार हो रहे हैं. गर्मी के इस मौसम में खुद को कैसे स्वस्थ रखें, इसके लिए वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ बी एल मिश्रा ने आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से कुछ अहम सुझाव साझा किए हैं.
डॉ मिश्रा बताते हैं कि आयुर्वेद में ग्रीष्म ऋतु को आदानकाल कहा गया है. इस काल में सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर पड़ती हैं, जिससे धरती और वातावरण अत्यधिक गर्म हो जाते हैं. इस गर्मी के कारण शरीर के अंदर की ऊष्मा भी बढ़ने लगती है और शरीर में पानी की मात्रा तेजी से घटती है. यही डिहाइड्रेशन और कई बीमारियों का प्रमुख कारण बनता है.
इसे भी पढ़ें- प्रचंड प्रहार : बाड़मेर में टूटा 27 सालों का रिकॉर्ड, पारा पहुंचा 45.6 डिग्री के पार
उन्होंने बाताय कि आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में पित्त दोष उग्र हो जाता है, जिससे रक्त गाढ़ा होने लगता है, हृदय की धड़कन बढ़ती है और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं पैदा होती हैं. साथ ही पाचन क्रिया पर भी बुरा असर पड़ता है, जिससे भूख कम लगती है और भोजन पचाने में परेशानी होती है.

ग्रीष्म ऋतु में होने वाले रोग: अत्यधिक गर्मी से लोगों को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे उल्टी, दस्त, सिर दर्द, खट्टी डकार, घबराहट, हाई ब्लड प्रेशर, आंखों में लालीपन, त्वचा पर चकते, शरीर का तापमान बढ़ना और अत्यधिक पसीना आना जिससे शरीर में नमक और पानी की कमी हो जाती है. यह स्थिति कभी-कभी जानलेवा भी हो सकती है. डॉ मिश्रा का कहना है कि गर्मी के मौसम में अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से बचें. यदि निकलना आवश्यक हो तो पूरी बांह के हल्के कपड़े पहनें, सिर को टोपी या कपड़े से ढकें और आंखों पर रंगीन चश्मा लगाएं. नाक और कान को भी ढकना जरूरी है ताकि हीट वेव का असर शरीर पर कम हो.

इसे भी पढ़ें- हीटवेव की चपेट में भारत: दिल्ली और गुजरात के लिए अलर्ट, राजस्थान में पारा 45 पार
खानपान में बरतें विशेष सावधानी: इस मौसम में मसालेदार, तली-भुनी और जंक फूड से परहेज करें. शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए बार-बार पानी पीते रहें. बाहर निकलने से पहले पानी जरूर पिएं और भूखे न रहें. जौ की घाट, सत्तू, शिकंजी, ठंडाई, रसदार फल जैसे तरबूज, खरबूजा, आम और पुदीना, प्याज का सेवन लाभकारी है. कच्चे आम (कैरी) का पानी, नारियल पानी, दही में प्याज, काला नमक, शक्कर, सूखा पुदीना, धनिया पत्ती और खीरा मिलाकर सेवन करें. इसके अलावा छाछ, लस्सी, ठंडा दूध, गुलकंद, आंवले का मुरब्बा, सौंफ का पानी आदि भी शरीर को ठंडक पहुंचाते हैं.
कपूर धारा है बेहद असरदार उपाय: डॉ मिश्रा सलाह देते हैं कि घर में कपूर धारा जरूर रखें. आधे गिलास पानी में दो बूंद डालकर पीने या ललाट पर लगाने से हीट वेव के असर में राहत मिलती है. फ्रिज का ठंडा पानी पीने से बचें और मटकी का पानी इस्तेमाल करें, जो पाचन और पेट संबंधी रोगों से बचाता है.

इसे भी पढ़ें- बाड़मेर में प्रचंड गर्मी का प्रहार, प्रदेश में सर्वाधिक 45.6 डिग्री सेल्सियस तापमान
हीट वेव में यह गलती बिल्कुल न करें: डॉ मिश्रा ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को हीट वेव के कारण बेहोशी आ जाए तो उसे तुरंत पानी न पिलाएं. सबसे पहले उसे छायादार और ठंडे स्थान पर लिटाएं. उसके शरीर पर ठंडे पानी की छींटे मारें या गीले कपड़े से शरीर पोछें. इसके बाद डॉक्टर से संपर्क कर ड्रिप द्वारा शरीर में ग्लूकोज की पूर्ति कराएं, क्योंकि ऐसी स्थिति में शरीर में अचानक ग्लूकोज की मात्रा घट जाती है, जो गंभीर खतरे का संकेत हो सकता है.
डॉ बी एल मिश्रा ने बताया कि गर्मी के मौसम में सतर्कता, सही खानपान और आयुर्वेदिक उपायों से हम खुद को सुरक्षित रख सकते हैं. यह मौसम चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन सावधानी बरतकर हम इसकी गंभीरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें- तप रही है थार नगरी, अप्रैल में जून वाली गर्मी से लोग बेहाल, हीटवेव का रेड अलर्ट
इसे भी पढ़ें- राजस्थान में गर्मी का कहर जारी, कई जिलों में हीटवेव का अलर्ट, बाड़मेर में टूटा रिकॉर्ड

