जयपुर : राजधानी जयपुर में राष्ट्रीय पक्षी मोर की सुरक्षा राम भरोसे चल रही है. आमेर तहसील के लबाना गांव में करीब 10 मोरों की मौत होने का मामला सामने आया है. गुरुवार सुबह एक नींबू के खेत में 10 मोर मृत अवस्था में पड़े मिले हैं. ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और घटनास्थल का मौका मुआयना करके मृत मोरों को अपने कब्जे में ले लिया. मृत मोरों का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया जाएगा. स्थानीय लोगों ने शक जताया है कि जहरीला दाना डालने से मोरों की मौत हुई है. पिछले साल भी गांव में दो दर्जन से अधिक मोरों की मौत हुई थी. लबाना गांव में करीब 400 से अधिक मोरों की संख्या है.
फॉरेस्टर योगेश शर्मा ने बताया कि मोरों की मौत की सूचना प्राप्त होते ही वन विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंच गई. घटनास्थल का मौका मुआयना किया गया है. मौके पर करीब 10 मोर मृत अवस्था में पड़े मिले हैं. मेडिकल बोर्ड का गठन करके मृत मोरों का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा. पहले भी मोर के मरने के मामले सामने आए थे, जिसमें बीमारी समेत कई कारणों से मोरों की मौत होना सामने आया था. आज मृत मिले मोरों के मामले की गहनता से जांच पड़ताल की जाएगी.
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पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं : पक्षी प्रेमी अरविंद यादव ने बताया कि आमेर तहसील के लबाना गांव में करीब 10 मोरों की मौत हुई है. इस तरह की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं. कभी 8, कभी 10 और कभी 20 मोर पहले भी मर चुके हैं. हर बार वन विभाग को सूचना की जाती है वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचती है, लेकिन मोर किस कारण मर रहे हैं, इसका खुलासा नहीं हो पा रहा है. मोरों की मौत पर लगाम नहीं लग पाई है. ग्रामीणों को शक है कि जहरीला दाना खाने से मोर की मौत हो रही है. खेत में फसलों के नुकसान के डर से लोगों की ओर से जहरीला दाना या जहरीला पानी रख दिया जाता है. लगातार हर साल मोर मारे जा रहे हैं.
वन विभाग पर लापरवाही का आरोप : पक्षी प्रेमी अरविंद यादव ने बताया कि करीब 25 साल से मोर की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं. लबाना गांव में करीब 400 मोर रहते हैं. नियमित रूप से मोर और अन्य पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था की जाती है. ग्रामीणों के सहयोग से मोरों की रक्षा कर रहे हैं. मोर के मरने की लगातार हो रही घटनाएं बहुत दुख देती हैं. मोर की सुरक्षा को लेकर वन विभाग की ओर से कोई सख्ती दिखाई नहीं दे रही है. वन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि राष्ट्रीय पक्षी मोर को बचाया जा सके. मोर की संख्या घटने की बजाय बढ़नी चाहिए. अगर लगातार इसी तरह मोर की मौत होती रही, तो इनकी जनसंख्या घटती जाएगी और मोर विलुप्त होने की कगार पर आ जाएंगे.
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पक्षी प्रेमी अरविंद यादव ने बताया कि गुरुवार सुबह लबाना गांव के नीबूंओं के खेत में करीब 10 मोरों की मौत होने की जानकारी मिली थी. मामले की सूचना वन विभाग को दी गई. लबाना गांव में पिछले साल भी एक दर्जन से अधिक मोरों की मौत हुई थी. उन्होंने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है. ग्रामीणों का आरोप है कि राष्ट्रीय पक्षी मोर को जहरीला दाना डालकर मौत के घाट उतारा जा रहा है. वन विभाग आंखें मूंदे बैठा है.