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तपती धूप में 86 वर्षीय रामलाल की 'तपस्या', कई सालों से जारी है पुण्य का काम - RAMLAL SOCIAL WORK

बुजुर्ग की निःस्वार्थ सेवा. तपती धूप में यात्रियों को ठंडा पानी पिलाकर रामलाल कर रहे हैं पुण्य का काम. यहां जानिए...

Ramlal of Barmer
कई सालों से लोगों की प्यास बुझा रहे रामलाल (ETV Bharat Barmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 24, 2025 at 6:20 PM IST

5 Min Read

बाड़मेर: राजस्थान के रेगिस्तान में इन दिनों गर्मी का प्रकोप चरम पर है. सूरज की तेज किरणें लोगों के पसीने छुड़ा रही हैं और भरी दोपहरी में लोग घरों में रहने को मजबूर हैं. लेकिन इस भीषण गर्मी के बीच, बाड़मेर के 86 वर्षीय एक बुजुर्ग लोगों की प्यास बुझाने के लिए नि:स्वार्थ भाव से खड़े हैं.

बुजुर्ग का जज्बा और सेवाभाव इस तपिश पर भारी : उम्र के इस पड़ाव पर रामलाल का जज्बा और सेवाभाव देखकर हर कोई दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाता है. भरी दोपहर में जब सूरज अपनी तेज धूप से सबको झुलसा रहा होता है, तब जिले के हुडो की ढाणी निवासी बुजुर्ग रामलाल बस स्टैंड पर खड़े होते हैं, ठंडे पानी की बोतलों के साथ. बस के आते ही वे यात्रियों को पानी पिलाते हैं. उनकी प्यास बुझाते हैं.

कैसे और क्यों ये काम करते हैं रामलाल, सुनिए... (ETV Bharat GFX)

यात्रियों की मुस्कान से दूर होती है बुजुर्ग की थकान : यात्रियों के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है, जब वे बुजुर्ग के हाथों से ठंडा पानी पीते हैं. यह मुस्कान ही 86 वर्षीय रामलाल की थकान मिटाती है. वे पिछले कई सालों से इसी तरह गर्मी के दिनों में लोगों की सेवा कर रहे हैं. उम्र का यह पड़ाव भी उनके जज्बे को कमजोर नहीं कर पाया है.

लोगों की प्यास बुझाना भगवान की पूजा के बराबर : रामलाल बताते हैं कि जनता की सेवा के लिए गांव के बस स्टैंड पर आने वाली सभी बसों के यात्रियों को पानी की बोतल देकर उनकी प्यास मिटाता हूं. वे बताते हैं कि इस उम्र में इससे अच्छा कुछ काम नहीं हो सकता. उनका मानना है कि यह काम एक तरह से भगवान की माला फेरने जैसा है. अक्सर बुजुर्ग इस अवस्था मे भगवान को याद करते हुए हाथों में माला के मोती फेरते (घूमते) हैं. उन्होंने बताया कि एक बस जाती है तो उसके कुछ देर बाद दूसरी बस आती है. इस तरह से दिनभर सिलसिला चलता रहता है.

Ramlal Service
तपती धूप में 86 वर्षीय रामलाल की 'तपस्या' (ETV Bharat GFX)

पढ़ें : जैसलमेर में गर्मी में जलसंकट से निपटने का प्लान तैयार, ग्रामीण व पशुधन की प्यास बुझाने के किए इंतजाम - WATER CRISIS IN JAISALMER

बाहर जाने पर मजदूर लगाते हैं : बुजुर्ग रामलाल बताते हैं कि वह करीब 15-20 सालों से यही काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि वैसे तो कभी वे गांव से दूर नहीं जाते हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से कभी कभार बाहर जाना भी पड़ता है तो अपनी जगह एक मजदूर को पैसे देकर काम करने के लिए लगाकर जाते हैं, ताकि बस में आने वाले यात्रियों को नियमित रूप से पानी मिलता रहे. उनकी जगह खड़े रहकर पानी पिलाने वाले मजदूर को वह अपनी जेब से पैसे देते हैं.

नशा शरीर का कर रहा है कबाड़ा : रामलाल बताते हैं कि वे कोई नशा नहीं करते हैं, क्योंकि नशे से करने से शरीर खराब हो जाता है. ऐसे में पहले लोग घरों में शुद्ध घी खाते और दूध-दही पीते थे. खेत की फसलों से पकी देशी बाजरे की रोटी और शुद्ध देशी भोजन करते थे. जिसके चलते पुराने समय में लोग मजबूत और उनकी आयु ज्यादा होती थी, लेकिन आज ऐसा नहीं है. नशे की लत की वजह से धीरे-धीरे लोगों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है और उन्होंने उठने-बैठने और कामकाज करने में दिक्क होती है.

Ramlal Selfless Service
86 वर्षीय बुजुर्ग की निःस्वार्थ सेवा (ETV Bharat Barmer)

टैंक के पानी से बोतलें भर यात्रियों की बुझाते हैं प्यास : रामलाल ने बताया कि बस स्टैंड से कुछ दूरी पर स्थित टैंकों से पानी लाते हैं और फिर बोतलें पानी से भरने के बाद उन्हें दो बाल्टियों में भरकर बस तक ले जाते हैं. यहां वे हर यात्री से पानी के लिए पूछते हैं और फिर जो मांगता है उसे पानी की बोतल पकड़ा देते हैं. उन्होंने बताया कि यह क्रम सुबह से शाम तक चलता है. इसके अलावा पानी की मटकी भी भरकर रखी है, ताकि राहगीर भी अपनी प्यास बुझा सकें. उनका कहना है कि यात्रियों को बस में पानी की बोतल पकड़ाते हैं, क्योंकि हर कोई बस से नीचे नहीं उतर सकता है. उनके पास सामान और बच्चे होते हैं. इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है.

यहां से मिली प्रेरणा : रामलाल बताते हैं कि कुछ साल पहले जब वे ट्रेन से हरिद्वार गए थे, तो एक रेलवे स्टेशन पर उन्होंने लोगों को इस तरह पानी पिलाते हुए देखा था. उस दिन से उन्होंने गांव में आने वाली हर बस के यात्रियों को पानी पिलाने का संकल्प लिया. साथ ही, वह गौसेवा का भी कार्य करते हैं.

Ramlal of Barmer
यात्रियों को पिलाते हैं ठंडा पानी (ETV Bharat Barmer)

बढ़ती उम्र कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत बनाती है : उनका कहना है कि हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि छोटी से छोटी मदद भी किसी के लिए बहुत बड़ी हो सकती है. उम्र के इस पड़ाव में भी बुजुर्ग रामलाल का जज्बा और सेवाभाव यही साबित करता है कि हमारी उम्र हमें कमजोर नहीं बनाती, बल्कि हमें और भी मजबूत बनाती है. स्थानीय लोगों की मानें तो बुजुर्ग रामलाल पिछले कई सालों से यह सेवा कर रहे हैं. न तो गर्मी की तपिश और न ही उम्र की कमजोरी उनकी इच्छाशक्ति को डिगा पाई.

बाड़मेर: राजस्थान के रेगिस्तान में इन दिनों गर्मी का प्रकोप चरम पर है. सूरज की तेज किरणें लोगों के पसीने छुड़ा रही हैं और भरी दोपहरी में लोग घरों में रहने को मजबूर हैं. लेकिन इस भीषण गर्मी के बीच, बाड़मेर के 86 वर्षीय एक बुजुर्ग लोगों की प्यास बुझाने के लिए नि:स्वार्थ भाव से खड़े हैं.

बुजुर्ग का जज्बा और सेवाभाव इस तपिश पर भारी : उम्र के इस पड़ाव पर रामलाल का जज्बा और सेवाभाव देखकर हर कोई दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाता है. भरी दोपहर में जब सूरज अपनी तेज धूप से सबको झुलसा रहा होता है, तब जिले के हुडो की ढाणी निवासी बुजुर्ग रामलाल बस स्टैंड पर खड़े होते हैं, ठंडे पानी की बोतलों के साथ. बस के आते ही वे यात्रियों को पानी पिलाते हैं. उनकी प्यास बुझाते हैं.

कैसे और क्यों ये काम करते हैं रामलाल, सुनिए... (ETV Bharat GFX)

यात्रियों की मुस्कान से दूर होती है बुजुर्ग की थकान : यात्रियों के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है, जब वे बुजुर्ग के हाथों से ठंडा पानी पीते हैं. यह मुस्कान ही 86 वर्षीय रामलाल की थकान मिटाती है. वे पिछले कई सालों से इसी तरह गर्मी के दिनों में लोगों की सेवा कर रहे हैं. उम्र का यह पड़ाव भी उनके जज्बे को कमजोर नहीं कर पाया है.

लोगों की प्यास बुझाना भगवान की पूजा के बराबर : रामलाल बताते हैं कि जनता की सेवा के लिए गांव के बस स्टैंड पर आने वाली सभी बसों के यात्रियों को पानी की बोतल देकर उनकी प्यास मिटाता हूं. वे बताते हैं कि इस उम्र में इससे अच्छा कुछ काम नहीं हो सकता. उनका मानना है कि यह काम एक तरह से भगवान की माला फेरने जैसा है. अक्सर बुजुर्ग इस अवस्था मे भगवान को याद करते हुए हाथों में माला के मोती फेरते (घूमते) हैं. उन्होंने बताया कि एक बस जाती है तो उसके कुछ देर बाद दूसरी बस आती है. इस तरह से दिनभर सिलसिला चलता रहता है.

Ramlal Service
तपती धूप में 86 वर्षीय रामलाल की 'तपस्या' (ETV Bharat GFX)

पढ़ें : जैसलमेर में गर्मी में जलसंकट से निपटने का प्लान तैयार, ग्रामीण व पशुधन की प्यास बुझाने के किए इंतजाम - WATER CRISIS IN JAISALMER

बाहर जाने पर मजदूर लगाते हैं : बुजुर्ग रामलाल बताते हैं कि वह करीब 15-20 सालों से यही काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि वैसे तो कभी वे गांव से दूर नहीं जाते हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से कभी कभार बाहर जाना भी पड़ता है तो अपनी जगह एक मजदूर को पैसे देकर काम करने के लिए लगाकर जाते हैं, ताकि बस में आने वाले यात्रियों को नियमित रूप से पानी मिलता रहे. उनकी जगह खड़े रहकर पानी पिलाने वाले मजदूर को वह अपनी जेब से पैसे देते हैं.

नशा शरीर का कर रहा है कबाड़ा : रामलाल बताते हैं कि वे कोई नशा नहीं करते हैं, क्योंकि नशे से करने से शरीर खराब हो जाता है. ऐसे में पहले लोग घरों में शुद्ध घी खाते और दूध-दही पीते थे. खेत की फसलों से पकी देशी बाजरे की रोटी और शुद्ध देशी भोजन करते थे. जिसके चलते पुराने समय में लोग मजबूत और उनकी आयु ज्यादा होती थी, लेकिन आज ऐसा नहीं है. नशे की लत की वजह से धीरे-धीरे लोगों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है और उन्होंने उठने-बैठने और कामकाज करने में दिक्क होती है.

Ramlal Selfless Service
86 वर्षीय बुजुर्ग की निःस्वार्थ सेवा (ETV Bharat Barmer)

टैंक के पानी से बोतलें भर यात्रियों की बुझाते हैं प्यास : रामलाल ने बताया कि बस स्टैंड से कुछ दूरी पर स्थित टैंकों से पानी लाते हैं और फिर बोतलें पानी से भरने के बाद उन्हें दो बाल्टियों में भरकर बस तक ले जाते हैं. यहां वे हर यात्री से पानी के लिए पूछते हैं और फिर जो मांगता है उसे पानी की बोतल पकड़ा देते हैं. उन्होंने बताया कि यह क्रम सुबह से शाम तक चलता है. इसके अलावा पानी की मटकी भी भरकर रखी है, ताकि राहगीर भी अपनी प्यास बुझा सकें. उनका कहना है कि यात्रियों को बस में पानी की बोतल पकड़ाते हैं, क्योंकि हर कोई बस से नीचे नहीं उतर सकता है. उनके पास सामान और बच्चे होते हैं. इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है.

यहां से मिली प्रेरणा : रामलाल बताते हैं कि कुछ साल पहले जब वे ट्रेन से हरिद्वार गए थे, तो एक रेलवे स्टेशन पर उन्होंने लोगों को इस तरह पानी पिलाते हुए देखा था. उस दिन से उन्होंने गांव में आने वाली हर बस के यात्रियों को पानी पिलाने का संकल्प लिया. साथ ही, वह गौसेवा का भी कार्य करते हैं.

Ramlal of Barmer
यात्रियों को पिलाते हैं ठंडा पानी (ETV Bharat Barmer)

बढ़ती उम्र कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत बनाती है : उनका कहना है कि हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि छोटी से छोटी मदद भी किसी के लिए बहुत बड़ी हो सकती है. उम्र के इस पड़ाव में भी बुजुर्ग रामलाल का जज्बा और सेवाभाव यही साबित करता है कि हमारी उम्र हमें कमजोर नहीं बनाती, बल्कि हमें और भी मजबूत बनाती है. स्थानीय लोगों की मानें तो बुजुर्ग रामलाल पिछले कई सालों से यह सेवा कर रहे हैं. न तो गर्मी की तपिश और न ही उम्र की कमजोरी उनकी इच्छाशक्ति को डिगा पाई.

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