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सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों के अधिकारों को तय किया, असर छत्तीसगढ़ में भी: दीपक बैज - RESERVATION BILL IN CHHATTISGARH

पीसीसी चीफ ने कहा कि राज्यपाल जल्द आरक्षण बिल पारित करें. बैज ने कहा कांग्रेस लंबित विधेयकों को पारित करने के लिए दबाव बनाएगी.

RESERVATION BILL IN CHHATTISGARH
लंबित विधेयकों पर राज्यपाल से मांग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : April 11, 2025 at 8:17 AM IST

3 Min Read

रायपुर: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के अधिकारों को तय किया है, उसका असर अब छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिल रहा है. ये कहना है कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का. कांग्रेस अधिवेशन में शामिल होकर लौटे बैज ने कहा कि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में राज्यपाल के पास लंबित विधेयकों को तत्काल पारित करने की मांग की है. खासकर कांग्रेस सरकार के समय पास किए गए आरक्षण विधेयक को लेकर. जो राज्य बनने के बाद से अब तक राष्ट्रपति या फिर राज्यपाल के पास लंबित है. बैज ने कहा कि कुल 9 ऐसे विधेयक हैं जो लंबित हैं.

लंबित विधेयकों पर राज्यपाल से मांग: बैज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु के मामले में एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि राज्यपाल के पास वीटो पावर नहीं, वह किसी विधेयकों को रोक नहीं सकता है, राज्यपाल ने जो 10 बिल रोके थे उसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर किए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी लंबित बिल पारित किए जाने चाहिए. बैज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ राज्य के लंबित विधायकों को पारित कराने के लिए कांग्रेस दबाव बनाएगी.

लंबित विधेयकों पर राज्यपाल से मांग (ETV Bharat)

सुप्रीम कोर्ट: छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने सुप्रीम कोर्ट को इसके लिए धन्यवाद दिया.। बैज ने कहा कि तमिलनाडु के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा निर्णय दिया है , राज्यपाल को ज्यादा वक्त तक किसी भी बिल को रोकने का अधिकार नहीं है. इसी मामले में छत्तीसगढ़ का एसटी एससी ओबीसी का बिल है जो लगभग 2 साल से पेंडिंग है. बैज ने कहा कि प्रदेश में अभी डबल इंजन की सरकार है. राज्य सरकार को इस पर तत्काल अमल करना चाहिए. राजपाल से बात करनी चाहिए और उस बिल को तुरंत कानून का रूप दे देना चाहिए.

क्या हैं आंकड़े: बता दें कि जब छत्तीसगढ़ राज्य बना तब प्रदेश में अनुसूचित जनजाति को 20%, अनुसूचित जाति को 16 % और पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण दिया गया था। इस तरह से कुंल आरक्षण 50% था, और संविधान में भी 50% आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है. बाद में रमन सरकार ने 2012 में 58 फीसदी आरक्षण को लेकर अधिसूचना जारी की. इसमें प्रदेश की आबादी के हिसाब से सरकार ने आरक्षण का रोस्टर जारी किया था. इसके तहत अनुसूचित जनजाति को 20 की जगह 32 फीसदी, अनुसूचित जाति को 16 की जगह 12 फीसदी और ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया. इससे आरक्षण का दायरा संविधान द्वारा निर्धारित 50 फीसदी से ज्यादा हो गया.

कांग्रेस की सरकार में क्या हुआ: पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के द्वारा लाये नए आरक्षण बिल में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 13 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. इस तरह से कुल मिलाकर 76% आरक्षण हो गया जो कि आज भी राजभवन में राज्यपाल का हस्ताक्षर के लंबित है.

जातिभूपेश सरकार में आरक्षण का प्रतिशतरमन सरकार में आरक्षण का प्रतिशतपहले क्या था आरश्रण का प्रतिशत
अनुसूचित जनजाति32%32%20%
अनुसूचित जाति13%12% 16%
पिछड़ा वर्ग27%14%14%
ईडब्ल्यूएस04%----
कुल76% 58% 50%
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लंबित विधेयकों पर राज्यपाल से मांग: बैज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु के मामले में एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि राज्यपाल के पास वीटो पावर नहीं, वह किसी विधेयकों को रोक नहीं सकता है, राज्यपाल ने जो 10 बिल रोके थे उसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर किए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी लंबित बिल पारित किए जाने चाहिए. बैज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ राज्य के लंबित विधायकों को पारित कराने के लिए कांग्रेस दबाव बनाएगी.

लंबित विधेयकों पर राज्यपाल से मांग (ETV Bharat)

सुप्रीम कोर्ट: छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने सुप्रीम कोर्ट को इसके लिए धन्यवाद दिया.। बैज ने कहा कि तमिलनाडु के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा निर्णय दिया है , राज्यपाल को ज्यादा वक्त तक किसी भी बिल को रोकने का अधिकार नहीं है. इसी मामले में छत्तीसगढ़ का एसटी एससी ओबीसी का बिल है जो लगभग 2 साल से पेंडिंग है. बैज ने कहा कि प्रदेश में अभी डबल इंजन की सरकार है. राज्य सरकार को इस पर तत्काल अमल करना चाहिए. राजपाल से बात करनी चाहिए और उस बिल को तुरंत कानून का रूप दे देना चाहिए.

क्या हैं आंकड़े: बता दें कि जब छत्तीसगढ़ राज्य बना तब प्रदेश में अनुसूचित जनजाति को 20%, अनुसूचित जाति को 16 % और पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण दिया गया था। इस तरह से कुंल आरक्षण 50% था, और संविधान में भी 50% आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है. बाद में रमन सरकार ने 2012 में 58 फीसदी आरक्षण को लेकर अधिसूचना जारी की. इसमें प्रदेश की आबादी के हिसाब से सरकार ने आरक्षण का रोस्टर जारी किया था. इसके तहत अनुसूचित जनजाति को 20 की जगह 32 फीसदी, अनुसूचित जाति को 16 की जगह 12 फीसदी और ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया. इससे आरक्षण का दायरा संविधान द्वारा निर्धारित 50 फीसदी से ज्यादा हो गया.

कांग्रेस की सरकार में क्या हुआ: पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के द्वारा लाये नए आरक्षण बिल में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 13 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. इस तरह से कुल मिलाकर 76% आरक्षण हो गया जो कि आज भी राजभवन में राज्यपाल का हस्ताक्षर के लंबित है.

जातिभूपेश सरकार में आरक्षण का प्रतिशतरमन सरकार में आरक्षण का प्रतिशतपहले क्या था आरश्रण का प्रतिशत
अनुसूचित जनजाति32%32%20%
अनुसूचित जाति13%12% 16%
पिछड़ा वर्ग27%14%14%
ईडब्ल्यूएस04%----
कुल76% 58% 50%
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