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धनबाद पुलिस लाइन में सरहुल महोत्सव, मांदर की थाप पर झूमीं डीसी - SARHUL 2025

धनबाद में सरहुल पर्व की धूम है. पुलिस लाइन में आयोजित सरहुल महोत्सव में जिले के कई वरीय अधिकारी शामिल हुए.

Sarhul Festival In Dhanbad
धनबाद में सरहुल महोत्सव में मांदर की थाप पर थिरकतीं डीसी. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 1, 2025 at 5:53 PM IST

2 Min Read

धनबादः जिले में प्रकृति पर्व सरहुल धूमधाम से मनाई जा रही है. धनबाद पुलिस लाइन में प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी केंद्रीय सरना समिति की ओर से सरहुल महोत्सव का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डीसी माधवी मिश्रा और विशिष्ट अतिथि के रूप में सिटी एसपी अजीत कुमार के आलावे ट्रैफिक डीएसपी समेत कई पुलिस पदाधिकारी और पुलिस जवान मौजूद रहे. इस मौके पर डीसी का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया. पारंपरिक परिधान में महिला-पुरुष मांदर, ढोल और नगाड़े की थाप पर नाचते-गाते सरना स्थल पहुंचे. कार्यक्रम स्थल पर डीसी और सभी मंचासीन पदाधिकारियों का स्वागत गमछा व पौधा देकर किया गया.

धनबाद में सरहुल महोत्सव में शामिल डीसी और सिटी एसपी का बयान. (वीडियो-ईटीवी भारत)

मांदर की थाप पर थिरकीं डीसी
इस दौरान प्रकृति की पूजा में भी सभी अतिथि शामिल हुए. पारंपरिक तरीके से पेड़ की पूजा-अर्चना की गई और सरना झंडा लगाया गया. इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें मांदर की थाप पर डीसी, सिटी एसपी समेत अन्य अतिथियों ने मनमोहक नृत्य भी किया. इस अवसर पर डीसी ने सभी को सरहुल पर्व की शुभकामनाएं दी. केंद्रीय सरना समिति प्रतिवर्ष सरहुल महोत्सव का आयोजन करती है. सरहुल पर्व का आदिवासी पूरे साल इंतजार करते हैं. सरहुल पर्व का मतलब है जल, जंगल और जमीन की रक्षा.

आदिवासी नववर्ष की शुरुआत
बता दें कि सरहुल पर्व आदिवासी नववर्ष की शुरुआत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इस पर्व में प्रकृति की पूजा की जाती है. जो धरती माता को समर्पित है. आदिवासी समाज के द्वारा पेड़ की पूजा की जाती है, क्योंकि पेड़ हमें आश्रय देता है और मौसम की मार से बचाता है. मनुष्य के जीवन को सरलता से जीने की प्रेरणा देता है. पर्व के माध्यम से आदिवासी समुदाय के लोग बारिश का भी अंदाजा लगाते हैं.

आदिवासी समाज इस पर्व के माध्यम से जल, जंगल और जमीन को सुरक्षित और संरक्षित रखने का संकल्प लेते हैं, ताकि प्रकृति की संरचना में जीवन खुशहाली से फलता-फूलता रहे. सरहुल के इस पर्व को भूमिज हादी बोंगा और संथाल बाहा बोंगा, बा: परब और खाद्दी परब के नाम से भी जाना जाता है.

धनबादः जिले में प्रकृति पर्व सरहुल धूमधाम से मनाई जा रही है. धनबाद पुलिस लाइन में प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी केंद्रीय सरना समिति की ओर से सरहुल महोत्सव का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डीसी माधवी मिश्रा और विशिष्ट अतिथि के रूप में सिटी एसपी अजीत कुमार के आलावे ट्रैफिक डीएसपी समेत कई पुलिस पदाधिकारी और पुलिस जवान मौजूद रहे. इस मौके पर डीसी का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया. पारंपरिक परिधान में महिला-पुरुष मांदर, ढोल और नगाड़े की थाप पर नाचते-गाते सरना स्थल पहुंचे. कार्यक्रम स्थल पर डीसी और सभी मंचासीन पदाधिकारियों का स्वागत गमछा व पौधा देकर किया गया.

धनबाद में सरहुल महोत्सव में शामिल डीसी और सिटी एसपी का बयान. (वीडियो-ईटीवी भारत)

मांदर की थाप पर थिरकीं डीसी
इस दौरान प्रकृति की पूजा में भी सभी अतिथि शामिल हुए. पारंपरिक तरीके से पेड़ की पूजा-अर्चना की गई और सरना झंडा लगाया गया. इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें मांदर की थाप पर डीसी, सिटी एसपी समेत अन्य अतिथियों ने मनमोहक नृत्य भी किया. इस अवसर पर डीसी ने सभी को सरहुल पर्व की शुभकामनाएं दी. केंद्रीय सरना समिति प्रतिवर्ष सरहुल महोत्सव का आयोजन करती है. सरहुल पर्व का आदिवासी पूरे साल इंतजार करते हैं. सरहुल पर्व का मतलब है जल, जंगल और जमीन की रक्षा.

आदिवासी नववर्ष की शुरुआत
बता दें कि सरहुल पर्व आदिवासी नववर्ष की शुरुआत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इस पर्व में प्रकृति की पूजा की जाती है. जो धरती माता को समर्पित है. आदिवासी समाज के द्वारा पेड़ की पूजा की जाती है, क्योंकि पेड़ हमें आश्रय देता है और मौसम की मार से बचाता है. मनुष्य के जीवन को सरलता से जीने की प्रेरणा देता है. पर्व के माध्यम से आदिवासी समुदाय के लोग बारिश का भी अंदाजा लगाते हैं.

आदिवासी समाज इस पर्व के माध्यम से जल, जंगल और जमीन को सुरक्षित और संरक्षित रखने का संकल्प लेते हैं, ताकि प्रकृति की संरचना में जीवन खुशहाली से फलता-फूलता रहे. सरहुल के इस पर्व को भूमिज हादी बोंगा और संथाल बाहा बोंगा, बा: परब और खाद्दी परब के नाम से भी जाना जाता है.

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