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सन्नू की आस्था: लोहे की कील का बिस्तर और कांटियों का झूला! - CHAITRA NAVRATRI 2025

गिरिडीह में एक किशोरी की आस्था चर्चा का विषय बन गई है. लोग किशोरी की अटूट आस्था की कथा कह रहे हैं.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 5, 2025 at 6:12 PM IST

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गिरिडीहः आस्था में इतनी शक्ति है कि लोग कष्ट को भूल जाते हैं. कुछ ऐसी ही आस्था जिले के भंडारो में देखने को मिल रही है. यहां 14 साल की किशोरी सन्नू कुमारी मां दुर्गे की भक्ति में पूरी तरह लीन हो चुकी है.

माता का आशीर्वाद पाने के लिए वह लोहे की कील (कांटी) बिछे बिस्तर पर लेटकर, सीने पर कलश लेकर दिन रात आराधना कर रही हैं. जमुआ प्रखंड के हीरोडीह थाना क्षेत्र के भंडारो की इस किशोरी की भक्ति को देखने और मन्नत मांगने के लिए लोग दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं. सब कोई आश्चर्यचकित है कि आखिर एक लड़की ऐसी कठिन तपस्या कैसे कर सकती है.

गिरिडीह की किशोरी की अनोखी आस्था (ETV Bharat)

फर्स्ट डिवीजन के साथ किया मैट्रिक पास

भंडारो निवासी राजेंद्र विश्वकर्मा और गीता देवी की पुत्री सन्नू कुमारी पढ़ने में तेज है. मैट्रिक में फर्स्ट डिवीजन ला चुकी सन्नू इंटर में अपना नामांकन करवा चुकी है. दूसरी तरफ वह पूजा-पाठ में भी जुटी रहती है. इस बार सन्नू ने चैत्र नवरात्र का व्रत शुरू किया. घर के अंदर ही कलश स्थापित किया गया. फिर लोहे की कील (कंटियों) का बेड बनाया और सीने पर कलश को रखकर माता की भक्ति में जुट गई. नवरात्र आरम्भ होने के बाद से सन्नू ने अन्न-जल तक ग्रहण नहीं किया है.

क्या कहते हैं माता-पिता

सन्नू की मां बताती हैं कि सरस्वती पूजा के समय से ही वो कुछ अधिक धार्मिक हो गई. इस बार जब चैत्र नवरात्र आया तो उसने कलश स्थापित किया. पिता ने बताया कि उसने कांटी लगा हुआ चौकी और झूला मंगाया. इसके बाद सन्नू ने आराधना शुरू की. इस कठिन आराधना करने से सन्नू को मना किया गया लेकिन वह तैयार नहीं हुई. सन्नू पूरे नवरात्र इसी चौकी पर सोयेगी फिर नवरात्र खत्म होने पर कांटी के झूले में झूलकर व्रत तोड़ेगी. सन्नू के पिता बताते हैं कि सन्नू पर माता भी सवार हो जाती है. यही कारण है कि दूर-दूर से लोग यहां पहुंच रहे हैं.

इसे भी पढे़ं- चैत्र नवरात्र पर फूलों से सजा मां छिन्नमस्तिका का दरबार, रजरप्पा मंदिर की सजावट देख मंत्रमुग्ध हो रहे भक्त

इसे भी पढ़ें- यहां अंग्रेजी शासन काल से होती आ रही है चैती दुर्गा पूजाः जानिए, किसने और कैसे की थी इसकी शुरुआत - Chaiti Durga Puja 2024

गिरिडीहः आस्था में इतनी शक्ति है कि लोग कष्ट को भूल जाते हैं. कुछ ऐसी ही आस्था जिले के भंडारो में देखने को मिल रही है. यहां 14 साल की किशोरी सन्नू कुमारी मां दुर्गे की भक्ति में पूरी तरह लीन हो चुकी है.

माता का आशीर्वाद पाने के लिए वह लोहे की कील (कांटी) बिछे बिस्तर पर लेटकर, सीने पर कलश लेकर दिन रात आराधना कर रही हैं. जमुआ प्रखंड के हीरोडीह थाना क्षेत्र के भंडारो की इस किशोरी की भक्ति को देखने और मन्नत मांगने के लिए लोग दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं. सब कोई आश्चर्यचकित है कि आखिर एक लड़की ऐसी कठिन तपस्या कैसे कर सकती है.

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फर्स्ट डिवीजन के साथ किया मैट्रिक पास

भंडारो निवासी राजेंद्र विश्वकर्मा और गीता देवी की पुत्री सन्नू कुमारी पढ़ने में तेज है. मैट्रिक में फर्स्ट डिवीजन ला चुकी सन्नू इंटर में अपना नामांकन करवा चुकी है. दूसरी तरफ वह पूजा-पाठ में भी जुटी रहती है. इस बार सन्नू ने चैत्र नवरात्र का व्रत शुरू किया. घर के अंदर ही कलश स्थापित किया गया. फिर लोहे की कील (कंटियों) का बेड बनाया और सीने पर कलश को रखकर माता की भक्ति में जुट गई. नवरात्र आरम्भ होने के बाद से सन्नू ने अन्न-जल तक ग्रहण नहीं किया है.

क्या कहते हैं माता-पिता

सन्नू की मां बताती हैं कि सरस्वती पूजा के समय से ही वो कुछ अधिक धार्मिक हो गई. इस बार जब चैत्र नवरात्र आया तो उसने कलश स्थापित किया. पिता ने बताया कि उसने कांटी लगा हुआ चौकी और झूला मंगाया. इसके बाद सन्नू ने आराधना शुरू की. इस कठिन आराधना करने से सन्नू को मना किया गया लेकिन वह तैयार नहीं हुई. सन्नू पूरे नवरात्र इसी चौकी पर सोयेगी फिर नवरात्र खत्म होने पर कांटी के झूले में झूलकर व्रत तोड़ेगी. सन्नू के पिता बताते हैं कि सन्नू पर माता भी सवार हो जाती है. यही कारण है कि दूर-दूर से लोग यहां पहुंच रहे हैं.

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