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सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे रिपोर्ट; उत्तर प्रदेश में मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी दर्ज - MATERNAL MORTALITY RATE IN UP

कोरोना महामारी के व्यवधान के कारण वर्ष 2019-21 की रिपोर्ट 7 मई 2025 को जारी की जा सकी है.

Sample Registration Survey Report.
Sample Registration Survey Report. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 16, 2025 at 8:41 AM IST

3 Min Read

लखनऊ : यूपी में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे 2019-21 के अनुसार प्रदेश में मातृ मृत्यु दर 151 है जो कि एसआरएस 2018- 20 में 167 थी. साथ ही नवजात मृत्यु दर (एनएनएमआर) में भी दो अंकों की और शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में एक अंक की कमी आई है. महापंजीयक द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे की यह रिपोर्ट प्रत्येक दो साल के अंतराल पर जारी की जाती है. कोरोना महामारी के व्यवधान के कारण वर्ष 2019-21 की रिपोर्ट 7 मई 2025 को जारी की जा सकी है.


उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोनल के अनुसार हमारी पूरी टीम ने स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच, गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किए हैं. आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम और चिकित्सा अधिकारियों ने ज़मीनी स्तर पर सेवाओं की पहुंच को बेहतर बनाने का कार्य किया है. हमारी कोशिश है कि कोई भी मां ज़िंदगी देने के दौरान अपनी जान न गंवाए. एमएमआर, एनएनएमआर और आईएमआर में आई इस कमी में शुरुआती 1000 दिनों तक मां और बच्चे की देखभाल की रणनीति कारगर साबित हुई है. गर्भधारण करते ही गर्भवती का पंजीकरण कराकर कम से कम चार प्रसव पूर्व जांचें (एएनसी) सुनिश्चित करना, उच्च जोखिम गर्भावस्था पहचान और प्रबन्धन करना.

सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे रिपोर्ट 2019-21.
सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे रिपोर्ट 2019-21. (Photo Credit : ETV Bharat)


साथ ही प्रथम सन्दर्भन इकाई (एआरयू) को सुदृढ़ करते हुए चिकित्सकों को आकस्मिक प्रसूति देखभाल के लिए सीएमओसी और ईसीएमओसी का प्रशिक्षण दिया गया है. गर्भावस्था प्रसव और प्रसवोत्तर अवधि के दौरान होने वाली जटिलताओं का प्रबन्धन करने के लिए अस्पतालों में 24 घंटे की प्रसव सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है. विशेषज्ञ डॉक्टर, प्रशिक्षित स्टाफ, ब्लड स्टोरेज यूनिट, और ऑपरेशन थिएटर की सुविधाओं को मजबूत किया गया है.

मातृ मृत्यु दर में आई इस गिरावट के पीछे स्वाथ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की योजनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इसके लिए अस्पतालों की सेवाओं को गुणवत्तापूर्ण और मरीजों के अनुभवों को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक जैसे कार्यक्रमों पर जोर दिया गया. इसके अलावा 102 और 108 एंबुलेंस सेवाओं के रिस्पॉन्स टाइम को कम कर संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया गया है. नवजात एवं बाल स्वास्थ्य की सेवाओं को भी बेहतर किया जा रहा है और आगे भी किया जाएगा. इसके तहत नवजात में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सीएचसी और जिला अस्पतालों में स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट स्थापित की गई हैं.

यह भी पढ़ें : माताओं और नवजात शिशुओं को बचाने के लिए इमरजेंसी मेडिसिन की तत्काल आवश्यकता: एक्स्पर्ट

यह भी पढ़ें : नवजात को सुरक्षित व स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है विशेष देखभाल: नवजात शिशु देखभाल सप्ताह

लखनऊ : यूपी में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे 2019-21 के अनुसार प्रदेश में मातृ मृत्यु दर 151 है जो कि एसआरएस 2018- 20 में 167 थी. साथ ही नवजात मृत्यु दर (एनएनएमआर) में भी दो अंकों की और शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में एक अंक की कमी आई है. महापंजीयक द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे की यह रिपोर्ट प्रत्येक दो साल के अंतराल पर जारी की जाती है. कोरोना महामारी के व्यवधान के कारण वर्ष 2019-21 की रिपोर्ट 7 मई 2025 को जारी की जा सकी है.


उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोनल के अनुसार हमारी पूरी टीम ने स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच, गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किए हैं. आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम और चिकित्सा अधिकारियों ने ज़मीनी स्तर पर सेवाओं की पहुंच को बेहतर बनाने का कार्य किया है. हमारी कोशिश है कि कोई भी मां ज़िंदगी देने के दौरान अपनी जान न गंवाए. एमएमआर, एनएनएमआर और आईएमआर में आई इस कमी में शुरुआती 1000 दिनों तक मां और बच्चे की देखभाल की रणनीति कारगर साबित हुई है. गर्भधारण करते ही गर्भवती का पंजीकरण कराकर कम से कम चार प्रसव पूर्व जांचें (एएनसी) सुनिश्चित करना, उच्च जोखिम गर्भावस्था पहचान और प्रबन्धन करना.

सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे रिपोर्ट 2019-21.
सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे रिपोर्ट 2019-21. (Photo Credit : ETV Bharat)


साथ ही प्रथम सन्दर्भन इकाई (एआरयू) को सुदृढ़ करते हुए चिकित्सकों को आकस्मिक प्रसूति देखभाल के लिए सीएमओसी और ईसीएमओसी का प्रशिक्षण दिया गया है. गर्भावस्था प्रसव और प्रसवोत्तर अवधि के दौरान होने वाली जटिलताओं का प्रबन्धन करने के लिए अस्पतालों में 24 घंटे की प्रसव सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है. विशेषज्ञ डॉक्टर, प्रशिक्षित स्टाफ, ब्लड स्टोरेज यूनिट, और ऑपरेशन थिएटर की सुविधाओं को मजबूत किया गया है.

मातृ मृत्यु दर में आई इस गिरावट के पीछे स्वाथ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की योजनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इसके लिए अस्पतालों की सेवाओं को गुणवत्तापूर्ण और मरीजों के अनुभवों को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक जैसे कार्यक्रमों पर जोर दिया गया. इसके अलावा 102 और 108 एंबुलेंस सेवाओं के रिस्पॉन्स टाइम को कम कर संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया गया है. नवजात एवं बाल स्वास्थ्य की सेवाओं को भी बेहतर किया जा रहा है और आगे भी किया जाएगा. इसके तहत नवजात में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सीएचसी और जिला अस्पतालों में स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट स्थापित की गई हैं.

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