संभल : अपने जिले के डीएम का नाम पता है?, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का नाम क्या है?, अपने जिले के पुलिस अफसर का नाम मालूम है?, पुलिस अधीक्षक का नाम क्या है?. जिला विद्यालय निरीक्षक श्यामा कुमार ने एक निजी स्कूल में पहुंचकर कक्षा 11 और 12वीं के बच्चों से ये सवाल पूछे तो वे कोई जवाब नहीं दे पाए.
DIOS के साथ एसडीएम डॉ. वंदना मिश्रा भी थीं. डीआईओएस ने क्लास में मौजूद सभी बच्चों से कहा कि 'फिर फायदा क्या निकल रहा पढ़ने से. मास्को जानते होगे कहां है, ये भी मालूम होगा कि यूएसए का कैपिटल कहां है, लेकिन अपने पड़ोस का नहीं पता है. अपने जिले, अपने घर, अपने पड़ोस और शहर इसके बारे में भी जानकारी होनी चाहिए'.
राइट टू एजुकेशन के तहत किसी बच्चे को दाखिला नहीं : बुधवार को शिकायत मिलने के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक श्यामा कुमार और एसडीएम डॉ. वंदना मिश्रा सेंट मैरी सीनियर सेकेंड्री स्कूल में जांच के लिए पहुंचे. इस दौरान कई कमियां मिलीं. स्कूल का भवन बिना नक्शा पास कराए बना मिला. इसके अलावा राइट टू एजुकेशन के तहत किसी भी बच्चे को स्कूल में दाखिला नहीं दिया गया था. इस पर दोनों अधिकारियों ने नाराजगी जताई.
बच्चों को भेजा प्राइवेट पब्लिकेशन की बुक लेने का मैसेज : जांच में पता चला कि छात्र-छात्राओं के वाट्सएप ग्रुप पर निजी प्रकाशकों से किताबें खरीदने का मैसेज भी मिला. मंडी रोड स्थित इस निजी स्कूल में अफसरों के पहुंचने पर खलबली मच गई. मामले में संभल SDM डॉ. वंदना मिश्रा ने बताया कि अभी अप्रैल में सत्र शुरू हुआ है. अभिभावकों की शिकायत मिल रही थी कि स्कूल ने फीस बढ़ा दी है. प्राइवेट पब्लिकेशन की बुक किसी एक बुक सेलर से लेने की शिकायत मिली.
एसडीएम ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत बच्चों के एडमिशन की भी जांच की गई है. स्कूल के आवासीय स्थल के मैप भी स्वीकृत नहीं हैं. इसके पेपर मांगे गए हैं. इन्हें अपनी बात रखने के लिए एक दिन का समय दिया गया है. इसके बाद मामले में कार्रवाई की जाएगी.
उत्तराखंड की भी किताबें मिलीं : DIOS श्यामा कुमार ने बताया कि स्कूल में बिना जनपदीय परीक्षा समिति के अनुमोदन के शुल्क वृद्धि का मामला सामने आया है. विद्यालय से डॉक्यूमेंट से पता चला है कि निजी प्रकाशकों की पुस्तकें मंगवाई गईं. उत्तराखंड की भी कुछ किताबें मिलीं. प्रधानाचार्य से जानकारी मिली है कि राइट टू एजुकेशन में इस वर्ष कोई प्रवेश नहीं हुआ है. पिछले साल भी कोई प्रवेश नहीं हुआ था. ऐसा नहीं हो सकता कि इसके लिए कोई अभिभावक स्कूल न पहुंचा हो.
जिला विद्यालय निरीक्षक ने बताया कि हम अपनी रिपोर्ट जनपद की परीक्षा शुल्क नियामक समिति के समक्ष रखेंगे. उसके बाद ही मामले में आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा.
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