वाराणसी : उत्तर प्रदेश सरकार संस्कृत और संस्कृति के विकास की बात करती है. लेकिन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की तस्वीर बेहद दयनीय है. यहां के शिक्षक कर्मचारी वर्तमान समय में दो वक्त की रोटी के लिए भी परेशान हैं.
नियमित कर्मचारी हो या फिर संविदा कर्मचारी हर कोई छ: महीने से जुगाड़ के वेतन पर गुजारा कर रहा था. लेकिन बीते दो माह से वह जुगाड़ का वेतन भी उनके नसीब में नहीं है. कर्मचारियों के सामने दिक्कत इस बात की है कि वह अपना ईएमआई कैसे भरें. बच्चों की फीस कैसे जमा करें. वहीं संविदा कर्मचारी बीते कई महीनों से वेतन की आस में बैठे हुए हैं.
19.68 करोड़ का ही ग्रांट मिला : वर्तमान समय में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की आर्थिक व्यवस्था पूरी तरीके से चरमरा गई है. शासन की ओर से विश्वविद्यालय को 30.76 करोड़ रुपये का बजट आवंटित था, जिसकी तुलना में विश्वविद्यालय को महज 19.68 करोड़ ही ग्रांट मिला. जिस वजह से अन्य मदों से लगभग तीन करोड़ रुपये वेतन मद में ट्रांसफर कर जैसे तैसे जुगाड़ से वेतन देना पड़ा.
वर्तमान समय में विश्वविद्यालय का सभी खाता लगभग शून्य हो गया है, जिस वजह से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पाया है. मार्च माह में तो आधा वेतन जुगाड़ के करण दे दिया गया था. लेकिन अप्रैल इन लोगों के लिए बिल्कुल निराशाजनक है.
जुगाड़ पर चल रहा विश्वविद्यालय का वेतन : कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुशील कुमार तिवारी ने बताया कि वेतन की दिक्कत को लेकर कुलपति को पत्र दिया है, वेतन नहीं मिलने के कारण हमारे सामने सबसे बड़ी दिक्कत बच्चों की पढ़ाई व लोन की आ रही है. हर घर में कोई ना कोई वस्तु लोन पर लिया गया है. वेतन सही से न मिलने पर हमारी ईएमआई और सिविल स्कोर खराब हो रही है. ऊपर से मार्च त्योहार का महीना था. अप्रैल में बच्चों का एडमिशन कराना है. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
दूध के लिए भी होना पड़ रहा परेशान : विश्वविद्यालय से जुड़े अन्य कर्मचारी संघ के नेता का कहना है कि मार्च में हम सभी परमानेंट कर्मचारियों के वेतन से आयकर की कटौती होती है. अप्रैल में किताब, ड्रेस, शुल्क इत्यादि की व्यवस्था करनी होती है. लोन की किस्त नहीं जमा करने के कारण हमारे ऊपर पेनल्टी लग रहा है. दूध वाला तकादा करता है. राशन नहीं खरीद पा रहे हैं. बीते 6 महीने से जुगाड़ के वेतन पर चल रहे हैं. अगर यही हाल रहा तो हमें मजबूरी में बड़े आंदोलन करना होगा.
300 से ज्यादा है टीचिंग स्टाफ : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में टीचिंग, नॉन टीचिंग स्टाफ में कुल 300 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. वहीं संविदा पर भी 100 से ज्यादा कर्मचारी हैं. कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा का कहना है कि कर्मचारियों की ओर से पत्र मिला है कि उन्हें वेतन मिलने में दिक्कतें हो रही हैं. सरकार की ओर से कुछ ग्रांट आया था, कर्मचारियों को वेतन दिया गया. उम्मीद है कि एक-दो दिनों में बचा हुआ ग्रांट आ जाएगा.
2.5 करोड़ बकाया है बिजली का बिल : बता दें, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय देश के संस्कृत विश्वविद्यालयों में एक ऐतिहासिक धरोहर है, जिसने न केवल संस्कृत को नया आयाम दिया, बल्कि संस्कृत को आगे लेकर के चल रहा है. ऐसे में विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की यह स्थिति बेहद गंभीर विषय है. बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय में लगभग 2.5 करोड रुपये बिजली का बिल भी बकाया है, जिसे अब तक विश्वविद्यालय चुका नहीं सका है.
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