सागर: मध्य प्रदेश में पराली जलाने के मामले सामने आते रहते हैं. यहां के किसान चाहें तो पराली से मोटी कमाई कर सकते हैं. दरअसल, अहमदाबाद की मटेरियल साइंस कंपनी मध्य प्रदेश के कृषि अपशिष्ट पदार्थों को खरीदकर उद्योग जगत के लिए कच्चे माल के तौर पर जरूरी सामान बनाने की तैयारी कर रही है. कंपनी की संस्थापक और सीईओ शिखा सिंह ने सागर स्थित अलसी अनुसंधान परियोजना के प्रमुख डाॅ. देवेन्द्र प्यासी के साथ बुंदेलखंड में हो रही खेती की जानकारी ली और खेतों का भ्रमण किया.
सीईओ शिखा सिंह कहना है कि " किसान आमतौर पर कृषि अपशिष्ट पदार्थों को जलाकर पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं, लेकिन हमारी कंपनी इसी अपशिष्ट के जरिए ऐसे कई उत्पाद बनाने की तैयारी कर रही है. जिसकी औद्योगिक जगत में बड़े पैमाने पर मांग है. कंपनी यहां के किसानों से जुड़कर एक ऐसी व्यवस्था बनाना चाह रही है, जिसमें वो बड़े पैमाने पर कृषि अपशिष्ट खरीदकर किसानों को फायदा पहुंचाएं और औद्योगिक जगत को जरूरी कच्चा माल मुहैया कराए.
कौन हैं शिखा शाह?
शिखा शाह अहमदाबाद की अल्टमेट कंपनी की संस्थापक और सीईओ हैं. अल्टमेट कंपनी मटेरियल साइंस कंपनी के क्षेत्र में काम करती है. ये कंपनी विशेष रूप से कृषि अपशिष्ट पदार्थों से ऐसे उत्पाद बनाती है, जो औद्योगिक जगत के लिए कच्चे माल के तौर पर काम आती है. शिखा शाह पिछले सात-आठ सालों में दुनिया भर की करीब 23 फसलों पर काम कर चुकी हैं और उनके अपशिष्ट के जरिए ऐसे उत्पाद तैयार कर रही हैं, जो पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने में मददगार है.

अब शिखा शाह का फोकस मध्य प्रदेश की तरफ है और वो यहां के कृषि उत्पादों के अपशिष्ट पदार्थों की एक ऐसी श्रृंखला तैयार करना चाहती हैं, जो बडे़ पैमाने पर किसानों से कृषि अपशिष्ट इकट्ठा करे और उनकी कंपनी यहां के किसानों के अपशिष्ट से ऐसे उत्पाद तैयार करेगी, जिनकी इंडस्ट्री में काफी मांग है. इससे पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगने के साथ-साथ किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी.
बुंदेलखंड का किया दौरा
पिछले दिनों शिखा शाह सागर के दौरे पर थीं. यहां उन्होंने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में अलसी अनुसंधान परियोजना के प्रभारी डाॅ. देवेन्द्र कुमार प्यासी के साथ किसानों से मुलाकात की. किसानों के खेतों पर पहुंचकर फसलों का अवलोकन किया. साथ ही किसानों का बताया कि किसी भी फसल का सिर्फ खाने वाला हिस्सा काम का नहीं होता, बल्कि उसकी पत्तियां, तने और दूसरी चीजें भी काम आ सकती हैं.

कंपनी बड़े पैमाने पर करेगी काम शुरू
उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी मटेरियल साइंस की फील्ड में बड़े पैमाने पर काम करने की तैयारी कर रही है. हमारा फोकस मध्य प्रदेश के कृषि उत्पादों पर है. हम बडे़ पैमाने पर कृषि अपशिष्ट पदार्थ किसानों से लेकर औद्योगिक जगत के लिए जरूरी कच्चा माल बनाने की तैयारी कर रहे है. इससे किसानों की आमदनी बढ़ने के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर भी अंकुश लगेगा.
एग्रीकल्चर बेस्ट से तैयार किए प्रोडक्ट
अल्टमेट की संस्थापक और सीईओ शिखा शाह ने कहा कि दुनिया के बहुत सारे मटैरियल खासकर एग्रीकल्चर वेस्ट (कृषि अपशिष्ट) ऐसे हैं, जो बडे़ पैमाने पर प्रदूषण करते हैं. इस अपशिष्ट से कैसे नए मटैरियल बनाएं कि हवा, पानी या कार्बन का प्रदूषण कम हो. पिछले 7-8 सालों में हमने एग्रीकल्चर बेस्ट पर काफी फोकस किया. दुनिया भर की 23 से ज्यादा फसलों पर काम किया. ये फसलें उगाई तो खाने के लिए जाती हैं, लेकिन इनका बाॅयोमास चाहे पत्तियां हों या तना, इनसे नए मटैरियल बना सकते हैं, जो दूसरी इंडस्ट्री में कच्चे माल के तौर पर काम आते हैं. हमने देखा कि इनकी सप्लाई की कोई व्यवस्था नहीं है.
किसानों को होगा डबल फायदा
अहमदाबाद में हम बडे़ पैमाने पर टैक्सटाइल फाइबर, पेपर और दूसरे पदार्थ बनाते हैं. एग्रीकल्चर बेस्ट हमारे देश में बहुत ज्यादा है. इसलिए हम कोशिश कर रहे हैं कि कैसे तकनीक के जरिए किसानों की आमदनी बढ़ सके. हमारे लिए जिन फसलों की जरूरत है, वो बडे़ पैमाने पर मध्य प्रदेश में उगायी जाती है. हमने अलसी अनुसंधान परियोजना के प्रभारी डाॅ. देवेन्द्र प्यासी के साथ काम शुरू किया है. यहां आकर किसानों से बात की, तो पता चला कि काफी लोग कृषि अपशिष्ट जला देते हैं. हम किसानों से मिलकर तय कर रहे हैं कि कैसे हम इसे इकट्टा करें और ऐसी व्यवस्था बनाएं कि औद्योगिक स्तर पर ये मटैरियल बना सकें.
अलसी के तने से होंगे प्रोडक्ट
उन्होंने ने कहा कि इस साल से बडे़ पैमाने पर काम करने की योजना बना रहे हैं और किसानों को साथ जोड़ रहे हैं. हमने अलसी की फसल को देखा, किसान अलसी की फसल के बीज निकालकर तने का हिस्सा जला देते हैं. इसे जलाने की जगह कई तरह के मटेरियल बनाए जा सकते हैं, इसका फायदा किसानों को होगा. अलसी के तने से टैक्सटाइल रेशा,पेपर और बहुत सारी चींजे बन सकती हैं."
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक -
सागर क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र की अलसी अनुसंधान परियोजना के प्रभारी डाॅ. देवेन्द्र कुमार प्यासी बताते हैं कि " बीज उत्पादन क्षेत्र में हमने मुकुल बिजौलिया के खेत में अलसी का उत्पादन किया था. अलसी मूल्य संवर्धन और औद्योगिक महत्व के लिहाज से महत्वपूर्ण पहचान रखती है. यहां अलसी की प्रजाति JL-66 है. हमारे साथ अहमदाबाद की कंपनी की सीईओ और फाउंडर शिखा शाह हैं, जो अलसी उत्पादक किसानों से मुलाकात कर रही हैं. उनके खेतों का भ्रमण कर रही है.
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उन्होंने किसानों को बताया कि अलसी की फसल को हार्वेस्ट करने के बाद जो बचा हुआ हिस्सा है. इसके रेशे को कैसे निकाला जा सकता है और उससे अतिरिक्त आमदनी की जा सकती है. जिससे किसान की लागत के बराबर किसानों को आमदनी मिल जाए, फिर जो बीज के रूप में किसानों को मिलेगा, तो वो फसल किसानों का सीधा फायदा है."