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नौरादेही में नल और नील भरोसे बाघों की दुनिया, हाथी बिन टाइगर हुए मस्त - NAURADEHI ELEPHANT MONITORING TIGER

नौरादेही टाइगर रिजर्व में बाघों की निगरानी कर रहे नल और नील, रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बाघों की मॉनिटनिंग में हो रही समस्या.

NAURADEHI ELEPHANT MONITORING TIGER
बिना चौकीदार मदमस्त घूम रहे बाघ (Getty Image)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : April 28, 2025 at 8:52 PM IST

Updated : April 29, 2025 at 1:37 PM IST

4 Min Read

सागर: बाघों के संरक्षण के लिए जंगल में कई ऐसे जानवरों की जरूरत होती है, जो बाघों के जीवन की सुरक्षा के साथ उनके भोजन के इंतजाम में अहम भूमिका निभाते हैं. ऐसे में हाथी एक ऐसा प्राणी होता है, जो किसी भी टाइगर रिजर्व के मैनेजमेंट के लिए जरूरी होता है. अगर किसी टाइगर रिजर्व में हाथी नहीं है या जरूरत के हिसाब से उनकी संख्या कम है तो बाघों के संरक्षण में काफी मुश्किल आती है. क्योंकि बाघों की निगरानी के लिए जंगल में पेट्रोलिंग, बाघों के रेस्क्यू के लिए हाथी हर टाइगर रिजर्व का अहम सदस्य होता है.

बाघों की निगरानी में होती है दिक्कत

मध्य प्रदेश के सबसे विशाल टाइगर रिजर्व में हाथियों की कमी के चलते बाघों की निगरानी में काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. वहीं वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व की जहां बाघों की संख्या फिलहाल कम है, लेकिन विशाल क्षेत्रफल के कारण बाघों के मूवमेंट के चलते उनकी निगरानी काफी मुश्किल हो रही है. क्योंकि यहां पर सिर्फ 2 ही हाथी हैं और टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल 23 हजार वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है.

हाथियों के इंतजार में है नौरादेही टाइगर रिजर्व (ETV Bharat)

नल और नील के भरोसे बाघों की निगरानी

नौरादेही टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 19 है, लेकिन टाइगर रिजर्व में महज 19 बाघों की निगरानी में भी टाइगर रिजर्व प्रबंधन को पसीना आ रहा है. क्योंकि बाघ अपनी सहूलियत के हिसाब से मूवमेंट करते रहते हैं और अपनी टेरिटरी बनाते रहते हैं. पानी के इंतजाम के साथ-साथ अपनी सुरक्षा को देखकर बाघ टैरेटरी बनाते हैं. कई बार आपसी संघर्ष या अपने से ज्यादा ताकतवर बाघ के कारण दूसरे बाघों को ठिकाना बदलना पड़ता है. ऐसे में बाघों की निगरानी करने में टाइगर रिजर्व प्रबंधन को काफी मुश्किल होती है.

Nauradehi Tiger Reserve
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में आराम करता बाघ (ETV Bharat)

टाइगर रिजर्व के प्रबंधन में हाथी बहुत जरूरी

बाघों की निगरानी के वैसे तो कई तरीके होते हैं, लेकिन इस काम के लिए हाथी काफी अहम प्राणी होता है. मध्य प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में सिर्फ दो हाथियों के भरोसे बाघों की निगरानी हो रही है. तीन जिलों सागर, दमोह और नरसिंहपुर में फैले टाइगर रिजर्व में बाघों की निगरानी सिर्फ नल और नील के भरोसे हो रही है. दोनों हाथी एक समय में ज्यादा से ज्यादा दो इलाकों में पेट्रोलिंग कर पाते हैं.

नौरादेही में है 10 हाथियों की जरूरत

नौरादेही टाइगर रिजर्व में बाघों की निगरानी के लिए 10 हाथियों की जरूरत है. टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने 8 हाथियों की डिमांड प्रशासन को भेजी थी, लेकिन करीब 2 साल का वक्त बीत चुका हैं और अभी तक व्यवस्था नहीं कराई गई है. बताया जा रहा है कि कर्नाटक से प्रशिक्षित हाथी आना है, लेकिन अभी तक औपचारिकताएं पूरी नहीं हो सकी हैं.

Nauradehi elephant monitoring tiger
बाघों की निगरनी करता हाथी (ETV Bharat)

टाइगर मैनेजमेंट के लिए क्यों जरूरी है बाघ

डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी ने बताया, "हम हाथी से उन इलाकों में गश्ती करते हैं, जहां पैदल और वाहन से नहीं जा पाते हैं. अगर किसी टाइगर का रेस्क्यू करना होता है, तो हाथी सबसे ज्यादा उपयुक्त होता है. इसके अलावा बहुत दिनों तक जब टाइगर नहीं दिखाई देते हैं, तो हम हाथी के जरिए उसकी तलाश करते हैं. इन सब चीजों की हम हाथी से निगरानी करते हैं, इसलिए टाइगर मैनेजमेंट में हाथी बहुत जरूरी है."

Nauradehi 10 elephant Required
नौरादेही टाइगर रिजर्व में सैर पर निकला बाघ (ETV Bharat)

हाथियों के बनेंगे अलग-अलग कैंप

नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ. एए अंसारी ने बताया, "हमारे पास सिर्फ 2 हाथी है, जिनसे निगरानी कर रहे हैं. आवश्यकता अनुसार उनको मूव कराया जाता है. हम और हाथी कैंप बनाने की व्यवस्था कर रहे हैं. हमने 8 हाथियों की डिमांड भेजी है. जैसे-जैसे हमें हाथी उपलब्ध होंगे, हम हाथी कैंप की संख्या बढ़ाएंगे."

सागर: बाघों के संरक्षण के लिए जंगल में कई ऐसे जानवरों की जरूरत होती है, जो बाघों के जीवन की सुरक्षा के साथ उनके भोजन के इंतजाम में अहम भूमिका निभाते हैं. ऐसे में हाथी एक ऐसा प्राणी होता है, जो किसी भी टाइगर रिजर्व के मैनेजमेंट के लिए जरूरी होता है. अगर किसी टाइगर रिजर्व में हाथी नहीं है या जरूरत के हिसाब से उनकी संख्या कम है तो बाघों के संरक्षण में काफी मुश्किल आती है. क्योंकि बाघों की निगरानी के लिए जंगल में पेट्रोलिंग, बाघों के रेस्क्यू के लिए हाथी हर टाइगर रिजर्व का अहम सदस्य होता है.

बाघों की निगरानी में होती है दिक्कत

मध्य प्रदेश के सबसे विशाल टाइगर रिजर्व में हाथियों की कमी के चलते बाघों की निगरानी में काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. वहीं वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व की जहां बाघों की संख्या फिलहाल कम है, लेकिन विशाल क्षेत्रफल के कारण बाघों के मूवमेंट के चलते उनकी निगरानी काफी मुश्किल हो रही है. क्योंकि यहां पर सिर्फ 2 ही हाथी हैं और टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल 23 हजार वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है.

हाथियों के इंतजार में है नौरादेही टाइगर रिजर्व (ETV Bharat)

नल और नील के भरोसे बाघों की निगरानी

नौरादेही टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 19 है, लेकिन टाइगर रिजर्व में महज 19 बाघों की निगरानी में भी टाइगर रिजर्व प्रबंधन को पसीना आ रहा है. क्योंकि बाघ अपनी सहूलियत के हिसाब से मूवमेंट करते रहते हैं और अपनी टेरिटरी बनाते रहते हैं. पानी के इंतजाम के साथ-साथ अपनी सुरक्षा को देखकर बाघ टैरेटरी बनाते हैं. कई बार आपसी संघर्ष या अपने से ज्यादा ताकतवर बाघ के कारण दूसरे बाघों को ठिकाना बदलना पड़ता है. ऐसे में बाघों की निगरानी करने में टाइगर रिजर्व प्रबंधन को काफी मुश्किल होती है.

Nauradehi Tiger Reserve
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में आराम करता बाघ (ETV Bharat)

टाइगर रिजर्व के प्रबंधन में हाथी बहुत जरूरी

बाघों की निगरानी के वैसे तो कई तरीके होते हैं, लेकिन इस काम के लिए हाथी काफी अहम प्राणी होता है. मध्य प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में सिर्फ दो हाथियों के भरोसे बाघों की निगरानी हो रही है. तीन जिलों सागर, दमोह और नरसिंहपुर में फैले टाइगर रिजर्व में बाघों की निगरानी सिर्फ नल और नील के भरोसे हो रही है. दोनों हाथी एक समय में ज्यादा से ज्यादा दो इलाकों में पेट्रोलिंग कर पाते हैं.

नौरादेही में है 10 हाथियों की जरूरत

नौरादेही टाइगर रिजर्व में बाघों की निगरानी के लिए 10 हाथियों की जरूरत है. टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने 8 हाथियों की डिमांड प्रशासन को भेजी थी, लेकिन करीब 2 साल का वक्त बीत चुका हैं और अभी तक व्यवस्था नहीं कराई गई है. बताया जा रहा है कि कर्नाटक से प्रशिक्षित हाथी आना है, लेकिन अभी तक औपचारिकताएं पूरी नहीं हो सकी हैं.

Nauradehi elephant monitoring tiger
बाघों की निगरनी करता हाथी (ETV Bharat)

टाइगर मैनेजमेंट के लिए क्यों जरूरी है बाघ

डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी ने बताया, "हम हाथी से उन इलाकों में गश्ती करते हैं, जहां पैदल और वाहन से नहीं जा पाते हैं. अगर किसी टाइगर का रेस्क्यू करना होता है, तो हाथी सबसे ज्यादा उपयुक्त होता है. इसके अलावा बहुत दिनों तक जब टाइगर नहीं दिखाई देते हैं, तो हम हाथी के जरिए उसकी तलाश करते हैं. इन सब चीजों की हम हाथी से निगरानी करते हैं, इसलिए टाइगर मैनेजमेंट में हाथी बहुत जरूरी है."

Nauradehi 10 elephant Required
नौरादेही टाइगर रिजर्व में सैर पर निकला बाघ (ETV Bharat)

हाथियों के बनेंगे अलग-अलग कैंप

नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ. एए अंसारी ने बताया, "हमारे पास सिर्फ 2 हाथी है, जिनसे निगरानी कर रहे हैं. आवश्यकता अनुसार उनको मूव कराया जाता है. हम और हाथी कैंप बनाने की व्यवस्था कर रहे हैं. हमने 8 हाथियों की डिमांड भेजी है. जैसे-जैसे हमें हाथी उपलब्ध होंगे, हम हाथी कैंप की संख्या बढ़ाएंगे."

Last Updated : April 29, 2025 at 1:37 PM IST
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