जयपुर: गुलाबीनगर और छोटी काशी की पहचान इन दिनों अध्यात्म और शांति के लिहाज से विदेशी सैलानियों को रास आ रही है. हाल में रशिया से आए एक दल ने जयपुर में विश्व शांति की कामना को लेकर हवन-पूजा की और जलाभिषेक किया. रूस और यूक्रेन के बीच तनाव के बीच इस तरह का आयोजन रूस के स्थानीय लोगों की सोच को इंगित कर रहा है.
पर्यटन विशेषज्ञ संजय कौशिक ने बताया कि उनके पास रशिया के इस दल की तरफ से मांग की गई थी कि धार्मिक नगरी जयपुर में वे विश्व शांति के इरादे से एक अनुष्ठान करना चाहते हैं. कौशिक ने बताया कि चार लोगों के इस ग्रुप ने विश्व शांति के साथ-साथ घर-परिवार की खुशहाली की कामना को लेकर हवन करवाया और आहुतियां दी. इस आयोजन को ऐतिहासिक जलमहल इलाके में प्राचीन संकट मोचन हनुमान मंदिर में पूरा किया गया. यहां रशिया से आए पर्यटकों ने शिवलिंग पर जलाभिषेक किया. इसके बाद हवन में उन्होंने आहुतियां भी दी.
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मंत्रों का महत्व भी समझाया: उन्होंने बताया कि पूजा अनुष्ठान को पंडित युगराज शर्मा और पांच अन्य विद्वान पंडितों ने संपन्न कराया था. खास बात यह रही कि हर एक मंत्रोच्चारण के साथ पर्यटकों को उसका अर्थ, भाव और आध्यात्मिक महत्व भी समझाया गया, जिससे वे भारतीय संस्कृति से गहराई से जुड़ सकें. कौशिक बताते हैं कि जब पुजारी मंदिर में अनुष्ठान सम्पन्न करवा रहे थे, इस दौरान सैलानियों की आंख नम हो गई. वे सभी मंदिर के दिव्य वातावरण और मंत्रोच्चार को सुनकर भावुक हो गए थे. उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए यह भी बताया कि अपनी पूजा में उन्होंने विश्व में शांति और भाईचारा कायम रखने के लिए प्रार्थना की थी.

सैलानियों का अध्यात्म की ओर रुझान: संजय ने बताया कि गुलाबी नगरी जयपुर की पहचान इसके भव्य किले, शानदार महल और राजसी आतिथ्य तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इस तरह के आयोजन के बाद ऐसा लग रहा है कि यह शहर एक नए रूप में उभर रहा है.अब इसकी पहचान भारतीय आध्यात्मिक चेतना के केंद्र के रूप में हो रही है. ये सभी पर्यटक गुलाबी नगरी की संस्कृति और रहन-सहन से भी खासा प्रभावित नजर आए. विदेशी पर्यटकों के बीच राजस्थान की वास्तुकला, खानपान और सांस्कृतिक विरासत के अलावा अध्यात्म की गहराइयों में उतरने की भी इच्छा नजर आती है.
