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झारखंड में स्वयं सहायता समूहों को बनाया जा रहा है सशक्त, 2019 से अबतक क्रेडिट लिंकेज में हुआ जबरदस्त इजाफा - SELF HELP GROUPS

झारखंड में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा रहा है. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है.

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स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 3, 2025 at 4:05 PM IST

3 Min Read

रांची: झारखंड की ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक मोर्चों पर सशक्त बनाने के लिए क्रेडिट लिंकेज को गति दी जा रही है. राज्य सरकार का दावा है कि राज्य में 2.91 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है. इसमें साल 2019 से अबतक 53,292 नये समूह जुड़े हैं.

पिछले पांच साल और तीन माह की अवधि में क्रेडिट लिंकेज में 14,204 करोड़ रु का इजाफा हुआ है जो दिसंबर 2019 से पहले सिर्फ 545.30 करोड़ रु. था. हेमंत सरकार का दावा है कि स्वयं सहायता समूहों को बैंकों के साथ क्रेडिट लिंकेज सुनिश्चित कराने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है. क्योंकि एसएचजी सदस्यों को सरल शर्तों पर ऋण सुविधाएं मिल रही है.

बोकारो की प्रेमलता देवी के जीवन में आया बदलाव

चंद्रपुरा प्रखंड की प्रेमलता देवी इसका जीता जागता उदाहरण हैं. पति के असमय निधन से अचानक परिवार और बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी उनपर आन पड़ी. ऐसे मुश्किल दौर में इनको जीवन ज्योति आजीविका सखी मंडल का साथ मिला.

प्रेमलता ने पचास हज़ार रु. क्रेडिट लिंकेज के तहत ऋण लेकर सिलाई मशीन खरीद ली. मेहनत और अच्छे काम से प्रेमलता की आमदनी बढ़ने लगी. उन्होंने पुराने ऋण चुकाने के बाद सिलाई केंद्र खोलने के लिए ग्राम संगठन से तीस हजार रुपए ऋण लिया और काम को आगे बढ़ाया. आज सिलाई कार्य से प्रति माह करीब दस हजार की आमदनी हो रही है.

जामताड़ा की किरण झा बनीं सफल उद्यमी

नाला प्रखंड की किरण झा राधा कृष्ण आजीविका सखी मंडल से जुड़ी हैं. उन्होंने समूह के जरिए आचार, पापड़ बनाने का प्रशिक्षण लिया. बाद कैश क्रेडिट लिंकेज के तहत 50,000 रु ऋण से व्यवसाय शुरू किया. आज सालाना 1.2 लाख रु कमाती हैं . अन्य महिलाओं को भी जोड़ चुकी हैं.

आजीविका से जोड़ने का काम जारी

ग्रामीण महिलाओं के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सशक्त हो, इसके लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए राज्य के 32 लाख परिवारों को आजीविका के सशक्त माध्यमों से जोड़ा गया है. कृषि, पशुपालन, वनोपज, अंडा उत्पादन, जैविक खेती आधारित आजीविका से ग्रामीण परिवारों को आच्छादित किया जा रहा है. राज्य संपोषित झारखंड माइक्रोड्रिप इरिगेशन परियोजना के तहत करीब 31,861 किसानों को टपक सिंचाई तकनीक से जोड़ कर उन्नत खेती की जा रही है.

इस सहयोग के जरिए ग्रामीण महिलाएं आधुनिक संचार तकनीक में निपुण हो रहीं हैं. राज्य में बैंकिग कॉरेस्पॉन्डेंट सखी, पशु सखी, कृषि सखी, वनोपज मित्र, आजीविका रेशम मित्र, सीआरपी समेत करीब 85,000 सामुदायिक कैडर को प्रशिक्षित कर परियोजना के क्रियान्वयन और विस्तारण में लगाया गया है.

यह भी पढ़ें:

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रांची: झारखंड की ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक मोर्चों पर सशक्त बनाने के लिए क्रेडिट लिंकेज को गति दी जा रही है. राज्य सरकार का दावा है कि राज्य में 2.91 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है. इसमें साल 2019 से अबतक 53,292 नये समूह जुड़े हैं.

पिछले पांच साल और तीन माह की अवधि में क्रेडिट लिंकेज में 14,204 करोड़ रु का इजाफा हुआ है जो दिसंबर 2019 से पहले सिर्फ 545.30 करोड़ रु. था. हेमंत सरकार का दावा है कि स्वयं सहायता समूहों को बैंकों के साथ क्रेडिट लिंकेज सुनिश्चित कराने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है. क्योंकि एसएचजी सदस्यों को सरल शर्तों पर ऋण सुविधाएं मिल रही है.

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चंद्रपुरा प्रखंड की प्रेमलता देवी इसका जीता जागता उदाहरण हैं. पति के असमय निधन से अचानक परिवार और बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी उनपर आन पड़ी. ऐसे मुश्किल दौर में इनको जीवन ज्योति आजीविका सखी मंडल का साथ मिला.

प्रेमलता ने पचास हज़ार रु. क्रेडिट लिंकेज के तहत ऋण लेकर सिलाई मशीन खरीद ली. मेहनत और अच्छे काम से प्रेमलता की आमदनी बढ़ने लगी. उन्होंने पुराने ऋण चुकाने के बाद सिलाई केंद्र खोलने के लिए ग्राम संगठन से तीस हजार रुपए ऋण लिया और काम को आगे बढ़ाया. आज सिलाई कार्य से प्रति माह करीब दस हजार की आमदनी हो रही है.

जामताड़ा की किरण झा बनीं सफल उद्यमी

नाला प्रखंड की किरण झा राधा कृष्ण आजीविका सखी मंडल से जुड़ी हैं. उन्होंने समूह के जरिए आचार, पापड़ बनाने का प्रशिक्षण लिया. बाद कैश क्रेडिट लिंकेज के तहत 50,000 रु ऋण से व्यवसाय शुरू किया. आज सालाना 1.2 लाख रु कमाती हैं . अन्य महिलाओं को भी जोड़ चुकी हैं.

आजीविका से जोड़ने का काम जारी

ग्रामीण महिलाओं के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सशक्त हो, इसके लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए राज्य के 32 लाख परिवारों को आजीविका के सशक्त माध्यमों से जोड़ा गया है. कृषि, पशुपालन, वनोपज, अंडा उत्पादन, जैविक खेती आधारित आजीविका से ग्रामीण परिवारों को आच्छादित किया जा रहा है. राज्य संपोषित झारखंड माइक्रोड्रिप इरिगेशन परियोजना के तहत करीब 31,861 किसानों को टपक सिंचाई तकनीक से जोड़ कर उन्नत खेती की जा रही है.

इस सहयोग के जरिए ग्रामीण महिलाएं आधुनिक संचार तकनीक में निपुण हो रहीं हैं. राज्य में बैंकिग कॉरेस्पॉन्डेंट सखी, पशु सखी, कृषि सखी, वनोपज मित्र, आजीविका रेशम मित्र, सीआरपी समेत करीब 85,000 सामुदायिक कैडर को प्रशिक्षित कर परियोजना के क्रियान्वयन और विस्तारण में लगाया गया है.

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