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भरदार पट्टी और रुद्रप्रयाग की रक्षक मानी जाती हैं मां मठियाणा, नवरात्रि में दर्शन के लिए उमड़ता है रेला - CHAITRA NAVRATRI 2025

उत्तराखंड में कई ऐसे मंदिर हैं कि जहां लोगों की अटूट आस्था है. उन्हीं में से एक मां मठियाणा देवी का मंदिर भी है.

Rudraprayag Mathiyana Temple
मां मठियाणा के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 5, 2025 at 9:15 AM IST

3 Min Read

रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय से नजदीक भरदार पट्टी स्थित मठियाणा खाल गांव में मां मठियाणा का मंदिर विराजमान है. यह तीर्थ स्थल हिल स्टेशन के लिए भी प्रसिद्ध है. बुग्यालों के बीच स्थित मां मठियाणा मंदिर के चारों ओर जंगल से घिरा है, वहीं पैदल रास्तों पर बांज-बुरांश के वृक्षों से यह स्थल काफी सुंदर नजर आता है. यह खूबसूरत मंदिर हरे-भरे पहाड़ों से घिरा हुआ है. पूरे साल हजारों की संख्या में तीर्थयात्री यहां पहुंचकर मां की पूजा-अर्चना करते हैं.

भक्तों के कष्टों को हरती है मां: पंडित सतीश सेमवाल ने बताया कि मां मठियाणा का मंदिर सिद्धि के लिए नहीं है. जिस किसी व्यक्ति या साधु-संत इस स्थल पर सिद्धि नहीं कर सकता. मां का सच्चा भक्त जब कष्ट में पुकारता है तो मां मठियाणा अपने भक्त की रक्षा करने के साथ ही उनके भक्त को परेशान करने वाले को भी सबक सिखाती है. मां मठियाणा देवी को कोई साध नहीं सकता है. मां के दर्शन भद्र रूप में होते हैं.

नवरात्रि में मां मठियाणा मंदिर में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़ (Video-ETV Bharat)

स्वयंभू प्रकट हुई मां भगवती: मठियाणा गांव के समीप होने के कारण इस सिद्धपीठ का नाम मां मठियाणा पड़ा, वहीं यहां लाल मिट्टी के बडे़ के बडे़ खंड हैं. मटखाणी होने के कराण भी यहां का नाम मठियाणा पड़ा है. भगवती का यहां आप लिंग है, जो स्वयं प्रकट हुआ है. इसके बारे में एक किवदंती प्रचलित है कि सौंदा गांव की एक गाय यहां आकर लिंग पर स्वयं दूध चढ़ाती थी. इसके बाद लोग यहां भगवान शिव की पूजा करने लगे. यहां भगवती के अनेकों स्वरूप हैं. माना जाता है कि भक्तों के मार्ग से विचलित होने पर भगवती वृद्ध के रूप में आकर रास्ता दिखाती है.

Rudraprayag Mathiyana Temple
मां मठियाणा का मंदिर (Photo-ETV Bharat)

लोक कथाओं में मिलता है वर्णन: यहां भगवती के तीन रूपों की पूजा होती है. मां को बालासुन्दरी, धूमावती व पीताम्बरा के रूप में पूजा जाता है. यहां जो मां का खड्ग है, वही सुरकंडा मंदिर में भी हैं. जो केश यहां विराजमान हैं वे कुंजापुरी में हैं. कालीमठ में जो खप्पर है, वो यहां पर भी है. लोक कथाओं में मां मठियाणा का वर्णन मिलता है. लोक कथाओं में वर्णन है कि मां मठियाणा कोलकाता से यहां आयी.

Rudraprayag Mathiyana Temple
नवरात्रि में मंदिर में लगी रहती है श्रद्धालुओं की भीड़ (Photo-ETV Bharat)

माता सती का गिरा था अंश: मां मठियाणा को लेकर बताया जाता है कि जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर आकाश में भटक रहे थे, तब भगवान विष्णु ने उनके शरीर को कई टुकड़ों में काट दिया. मां का एक शरीर का हिस्सा रुद्रप्रयाग जिले के भरदार पट्टी में गिरा. माता भगवती मां मठियाणा देवी उत्तराखंड की सबसे शक्तिशाली देवियों में से एक है. मां मठियाणा देवी अपनी मातृवत प्रकृति के लिए जानी जाती हैं. उनके दो रूप हैं, एक जो शांति को दर्शाता है वह मठियाणा खाल गांव में है और दूसरा उनका काली रूप कालीमठ में है. मां को भरदार पट्टी और रुद्रप्रयाग की रक्षक माना जाता है.

पढे़ं- शक्तिपीठों में खास है हरिद्वार का शीतला देवी मंदिर, नवरात्र पर कीजिये दर्शन, जानिये इसका इतिहास

पढे़ं- चैत्र और शारदीय नवरात्र में क्या अंतर है? एक क्लिक में दूर करें कन्फ्यूजन

पढ़ें- उत्तराखंड में चैत्र नवरात्र की धूम, मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भारी भीड़, भक्तिमय हुआ माहौल

रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय से नजदीक भरदार पट्टी स्थित मठियाणा खाल गांव में मां मठियाणा का मंदिर विराजमान है. यह तीर्थ स्थल हिल स्टेशन के लिए भी प्रसिद्ध है. बुग्यालों के बीच स्थित मां मठियाणा मंदिर के चारों ओर जंगल से घिरा है, वहीं पैदल रास्तों पर बांज-बुरांश के वृक्षों से यह स्थल काफी सुंदर नजर आता है. यह खूबसूरत मंदिर हरे-भरे पहाड़ों से घिरा हुआ है. पूरे साल हजारों की संख्या में तीर्थयात्री यहां पहुंचकर मां की पूजा-अर्चना करते हैं.

भक्तों के कष्टों को हरती है मां: पंडित सतीश सेमवाल ने बताया कि मां मठियाणा का मंदिर सिद्धि के लिए नहीं है. जिस किसी व्यक्ति या साधु-संत इस स्थल पर सिद्धि नहीं कर सकता. मां का सच्चा भक्त जब कष्ट में पुकारता है तो मां मठियाणा अपने भक्त की रक्षा करने के साथ ही उनके भक्त को परेशान करने वाले को भी सबक सिखाती है. मां मठियाणा देवी को कोई साध नहीं सकता है. मां के दर्शन भद्र रूप में होते हैं.

नवरात्रि में मां मठियाणा मंदिर में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़ (Video-ETV Bharat)

स्वयंभू प्रकट हुई मां भगवती: मठियाणा गांव के समीप होने के कारण इस सिद्धपीठ का नाम मां मठियाणा पड़ा, वहीं यहां लाल मिट्टी के बडे़ के बडे़ खंड हैं. मटखाणी होने के कराण भी यहां का नाम मठियाणा पड़ा है. भगवती का यहां आप लिंग है, जो स्वयं प्रकट हुआ है. इसके बारे में एक किवदंती प्रचलित है कि सौंदा गांव की एक गाय यहां आकर लिंग पर स्वयं दूध चढ़ाती थी. इसके बाद लोग यहां भगवान शिव की पूजा करने लगे. यहां भगवती के अनेकों स्वरूप हैं. माना जाता है कि भक्तों के मार्ग से विचलित होने पर भगवती वृद्ध के रूप में आकर रास्ता दिखाती है.

Rudraprayag Mathiyana Temple
मां मठियाणा का मंदिर (Photo-ETV Bharat)

लोक कथाओं में मिलता है वर्णन: यहां भगवती के तीन रूपों की पूजा होती है. मां को बालासुन्दरी, धूमावती व पीताम्बरा के रूप में पूजा जाता है. यहां जो मां का खड्ग है, वही सुरकंडा मंदिर में भी हैं. जो केश यहां विराजमान हैं वे कुंजापुरी में हैं. कालीमठ में जो खप्पर है, वो यहां पर भी है. लोक कथाओं में मां मठियाणा का वर्णन मिलता है. लोक कथाओं में वर्णन है कि मां मठियाणा कोलकाता से यहां आयी.

Rudraprayag Mathiyana Temple
नवरात्रि में मंदिर में लगी रहती है श्रद्धालुओं की भीड़ (Photo-ETV Bharat)

माता सती का गिरा था अंश: मां मठियाणा को लेकर बताया जाता है कि जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर आकाश में भटक रहे थे, तब भगवान विष्णु ने उनके शरीर को कई टुकड़ों में काट दिया. मां का एक शरीर का हिस्सा रुद्रप्रयाग जिले के भरदार पट्टी में गिरा. माता भगवती मां मठियाणा देवी उत्तराखंड की सबसे शक्तिशाली देवियों में से एक है. मां मठियाणा देवी अपनी मातृवत प्रकृति के लिए जानी जाती हैं. उनके दो रूप हैं, एक जो शांति को दर्शाता है वह मठियाणा खाल गांव में है और दूसरा उनका काली रूप कालीमठ में है. मां को भरदार पट्टी और रुद्रप्रयाग की रक्षक माना जाता है.

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