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324 करोड़ के रबर डैम का सूख गया पानी, कर्मकांड के लिए तीर्थयात्रियों को खरीदना पड़ रहा जल - GAYA RUBBER DAM

गया में 324 करोड़ का रबर डैम सूख गया है. इस कारण कर्मकांड के लिए तीर्थयात्रियों को 10 रुपए प्रति गलास जल खरीदना पड़ रहा.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : March 26, 2025 at 7:18 PM IST

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गया: सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल गया रबर डैम की हालत दयनीय है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार गयाजी में फल्गु नदी के पानी से तर्पण करने का बड़ा महत्व है. फल्गु इसमें सालों भर पानी रहे इसके लिए देश का सब से लंबा रबर डैम 324 करोड़ की लागत से बनाया गया था. 2022 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों इसका उद्घाटन धूमधाम से हुआ था तब कहा गया था कि अंतः सलिल फल्गु नदी अब सतह सलिला हो गई है.

सतह पर गंदगी और गाद: कुछ समय तक ऐसा हुआ भी. गयाजी रबर डैम बनने के बाद यहां आने वाले पिंडदानी भी फल्गु के जल का प्रयोग करने लगे. हालांकि अब स्थिति बदल चुकी है. रबर डैम का पानी पूरी तरह से सूख चुका है. नदी में डैम की गंदगी और उसका गाद सतह पर है. ऐसे में तीर्थयात्री पिंडदान करने से भी कतरा रहे हैं. गंदगी के बीच पिंडदान व तर्पण करना पड़ रहा है. उन्हें फल्गु का पवित्र जल खरीदना पड़ रहा है ताकि तर्पण कर सकें.

गया रबर डैम पर एक रिपोर्ट (ETV Bharat)

10 रुपये प्रति गलास पानी: आपको बता दें कि गयाजी में मिनी पितृपक्ष मेला चल रहा है. देश के विभिन्न राज्यों से प्रतिदिन 10 से 15 हजार तीर्थयात्री आ रहे हैं. ऐसे में पानी की कमी के कारण उन्हें भटकना पड़ रहा है. देवघाट से रबर डैम तक लगभग पांच चापाकल लगे हुए हैं लेकिन इसमें कुछ खराब भी हैं. मौके का लाभ उठाने के लिए फल्गु नदी में कुछ स्थानीय लड़के जगह-जगह पर गड्ढे खोदकर कर 10 रुपये प्रति प्लास्टिक ग्लास फल्गु का पवित्र जल बेच रहे हैं.

इन्फेक्शन का खतरा: स्थानीय लोग बताते हैं कि गर्मी शुरू होने के साथ करीब 80 प्रतिशत जलस्तर घट गया है. बचा हुआ पानी प्रदूषित रहने के कारण अनूपयोगी है. स्थानीय वार्ड पार्षद चंदू देवी बताती हैं कि अभी फल्गु में जितना पानी बचा है, उसको अगर उपयोग में लाते हैं तो इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. क्योंकि यह प्रदूषित है. हालांकि बरसात के बाद पितृपक्ष मेले तक बारिश के पानी से इसका जलस्तर ठीक-ठाक था.

Rubber Dam Dried Up In Gaya
गया जी डैम का गंदा पानी (ETV Bharat)

पानी क्यों खरीद रहे?: कर्मकांड के लिए उतर प्रदेश से आए आशीष कुमार और उनके दूसरे साथी नदी से बर्तन में पानी लेकर घाट की तरफ बढ़ रहे थे तभी अचानक उन्होंने नदी में दो लड़कों को गड्ढा खोद कर पानी निकालते देखकर रूक गए. तभी उनमें एक लड़का चमन कुमार कहता है कि पवित्र जल खरीद लीजिए. इतना सुनना था कि आशीष और उनके साथी बर्तन से गंदा और गाद वाला पानी फेंक देते हैं और चमन को लोटा पानी के लिए थमा देते हैं. आशीष इसके बदले चमन को 25 रूपये भी देते हैं.

"पानी बहुत गंदा है. कीचड़ और काला पानी है. इतने गंदे पानी से पिंड बनाएं यह अच्छा नहीं लगेगा. मन नहीं भरता है. यहां पर यह लड़का बालू खोद कर साफ पानी निकाल रहा है. हम उससे पानी खरीद रहे हैं." -आशीष कुमार, तीर्थयात्री

गंदे पानी से स्नान कैसे करेंगे?: आगे आशीष कहते हैं कि जिन्हें स्नान करना होगा वे इतने गंदे पानी से स्नान कैसे करेंगे? जानकर बड़ा कष्ट हुआ कि इतना बड़ा तीर्थ गयाजी में फल्गु नदी का यह हाल है. चारों तरफ गंदगी फैली हुई है. जिला प्रशासन और सरकार आग्रह है कि इसपर ध्यान दें. कहा कि यह तो बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि 300 करोड़ खर्च करने के बाद भी रबर डैम की यह दशा है.

Rubber Dam Dried Up In Gaya
सूखा पड़ा गया जी डैम (ETV Bharat)

'फल्गु नदी आस्था का विषय': मध्य प्रदेश से आए एक तीर्थयात्री मंडेश्वर बताते हैं कि उन्होंने 10 रुपये में एक गिलास साफ जल खरीदा है. वह कहते हैं कि नदी में तो जल है, लेकिन गंदगी बहुत है. जल साफ नहीं है. प्रयागराज उत्तर प्रदेश से आए एक और तीर्थयात्री शैलेंद्र जायसवाल ने कहा कि फल्गु नदी आस्था का विषय है. हम लोग पूजा पाठ करने के लिए यहां पर आते हैं.

"यहां की जो स्थिति है वह बहुत दयनीय है. सफाई बहुत जरूरी है. सरकार को यहां ध्यान देना चाहिए." -शैलेंद्र जायसवाल, तीर्थयात्री

पानी बेचने वाला मालमाल: पानी बेच रहे चमन कुमार ने कहा कि वो गड्ढे खोद कर प्रतिदिन 300 से 500 रुपये कमा लेते हैं. गंदा पानी होने के कारण लोग साफ पानी लेते हैं. गर्मी थोड़ी और बढ़ेगी तो और महंगा पानी बिकेगा. इसी तरह एक और गढ्ढा खोद रहे व्यक्ति पवन कहते हैं कि गंदा पानी होने की वजह से लोग साफ पानी कर्मकांड के लिए खरीदते हैं.

Rubber Dam Dried Up In Gaya
सूखा पड़ा गया जी डैम (ETV Bharat)

"दिनभर में 400 से 500 रुपये कमा लेते हैं. गड्ढा खोदने के दौरान फल्गु नदी से पैसे भी मिल जाते हैं. जो आस्था से नदी में जल रहते हुए पैसे फेंके थे वह अब बालू से निकल रहे हैं. इस तरह से दिन भर में उनकी आमदनी 700 से 800 रुपए हो जाती है." -पवन कुमार, पानी विक्रेता

आपको बता दें कि साल 2019 में रबर डैम के निर्माण कार्य शुरू कराए गए थे. 324 करोड़ रुपए की लागत से इस डैम का निर्माण कार्य तय समय से एक वर्ष पूर्व पूरे होने के बाद 8 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री द्वारा उद्घाटन किया गया था. 411 मीटर लंबा और 3 मीटर ऊंचा रबर डैम के निर्माण में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी रुड़की की तकनीकी सेवा ली गई थी. फल्गु नदी के सतही और उपसतही जल प्रवाह को रोककर जल का संचयन किया गया था.

बोरवेल चलाने से भी कोई फायदा नहीं: जल को साफ सुथरा रखने के लिए समय-समय पर सफाई के उद्देश्य से चार बोरवेल भी बनाए गए थे. हालांकि देवघाट पर मौजूद स्थानीय लोगों का कहना था कि कभी-कभी केवल एक बोरवेल चालू किया जाता है, लेकिन अभी जो नदी की स्थिति है उस करण बोरवेल चलाने से भी कोई फायदा नहीं होगा बल्कि वह पानी भी प्रदूषित होगा.

स्थाई पानी की व्यवस्था नहीं: जब निर्माण हो रहा था तब इसका नाम रबर डैम था. लेकिन उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गयाजी की पौराणिकता को देखते हुए इसका नाम गयाजी डैम रखा था. मुख्यमंत्री ने कहा था कि गयाजी डैम में कभी पानी कम नहीं होगा. जो कमी होगी आगे कुछ दिनों में पूरी कर ली जाएगी. 2 वर्षों से अधिक समय बीत गया पर गयाजी डैम में' बरसात का पानी छोड़कर स्थाई पानी की व्यवस्था नहीं हो सकी है.

निर्देश का अनुपालन नहीं: डैम को लेकर जिला पदाधिकारी डॉ त्याग राजन एसएम द्वारा संबंधित विभागों के साथ बैठक कई बार की गई है. पिछले महीने 25 फरवरी 2025 को भी बैठक आयोजित की गई थी. गयाजी डैम को स्वच्छ व निर्मल के साथ जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से संबंधित विभाग के पदाधिकारी को जरूरी दिशा निर्देश दिए गए थे लेकिन एक महीने गुजर जाने के बाद भी डीएम के निर्देश का अनुपालन नहीं हो सका है.

Rubber Dam Dried Up In Gaya
चापाकल से पानी लेते तीर्थयात्री (ETV Bharat)

"रबर डैम के पानी और उस से जुड़े दूसरे मामले को वाटर रिसोर्सेज डिपार्टमेंट देखता है लेकिन जहां तक घाट, विष्णु पद और दूसरे क्षेत्रों का सवाल है तो सफाई कर्मचारियों की टिम लगी हुई है. नियमित रूप से प्रतिदिन सफाई हो रही है. घाट पर गंदगी नहीं हो इसका हर मुमकिन प्रयास होता है. कचरे के लिए जगह-जगह पर डस्टबिन भी रखे हुए हैं. चापकल की भी टीम लगी हुई है. इसको लेकर एक ऐप भी बना हुआ है. अगर उस पर भी कोई शिकायत आती है तो टीम जाकर उस को सही करती है." -कुमार अनुराग, नगर आयुक्त

हर दिन नहीं आते कर्मचारी: स्थानीय वार्ड 40 की पार्षद चंदू देवी ने कहा कि श्मशान घाट से गायजी घाट और गजाधर मंदिर, विष्णुपद प्रांगण तक कुल 21 सफाई कर्मचारी हैं. 16 महिला और बाकी पुरुष हैं. लेकिन सफाई की स्थिति नग्न है. बताया कि पूरे कर्मचारी हर दिन नहीं आते हैं. लाइट भी खराब है. पानी खराब होने की वजह से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ा हुआ है.

"कई बार जिला प्रशासन और नगर निगम से इस संबंध में शिकायत की गई है. साफ-सफाई के लिए भी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया है." -चंदू देवी, पार्षद

रबर डैम क्या है? असल में रबर डैम बैलून की तरह होता है. इसमें खास परिस्थिति में हवा निकाले जाने का प्रबंध होता है. डैम के ऊपर पुल भी बनाया गया था ताकि नदी के दोनों तरफ लोग आ जा सकें. पुल को 6 स्पेन में तैयार किया गया था. एक पुल से दूसरे पुल के बीच में कंक्रीट या लोहे के फाटक नहीं बनाया गया बल्कि उसकी जगह पर रबर का इस्तेमाल किया किया गया है. इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के अनुसार यह पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुकूल होता है.

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गया: सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल गया रबर डैम की हालत दयनीय है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार गयाजी में फल्गु नदी के पानी से तर्पण करने का बड़ा महत्व है. फल्गु इसमें सालों भर पानी रहे इसके लिए देश का सब से लंबा रबर डैम 324 करोड़ की लागत से बनाया गया था. 2022 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों इसका उद्घाटन धूमधाम से हुआ था तब कहा गया था कि अंतः सलिल फल्गु नदी अब सतह सलिला हो गई है.

सतह पर गंदगी और गाद: कुछ समय तक ऐसा हुआ भी. गयाजी रबर डैम बनने के बाद यहां आने वाले पिंडदानी भी फल्गु के जल का प्रयोग करने लगे. हालांकि अब स्थिति बदल चुकी है. रबर डैम का पानी पूरी तरह से सूख चुका है. नदी में डैम की गंदगी और उसका गाद सतह पर है. ऐसे में तीर्थयात्री पिंडदान करने से भी कतरा रहे हैं. गंदगी के बीच पिंडदान व तर्पण करना पड़ रहा है. उन्हें फल्गु का पवित्र जल खरीदना पड़ रहा है ताकि तर्पण कर सकें.

गया रबर डैम पर एक रिपोर्ट (ETV Bharat)

10 रुपये प्रति गलास पानी: आपको बता दें कि गयाजी में मिनी पितृपक्ष मेला चल रहा है. देश के विभिन्न राज्यों से प्रतिदिन 10 से 15 हजार तीर्थयात्री आ रहे हैं. ऐसे में पानी की कमी के कारण उन्हें भटकना पड़ रहा है. देवघाट से रबर डैम तक लगभग पांच चापाकल लगे हुए हैं लेकिन इसमें कुछ खराब भी हैं. मौके का लाभ उठाने के लिए फल्गु नदी में कुछ स्थानीय लड़के जगह-जगह पर गड्ढे खोदकर कर 10 रुपये प्रति प्लास्टिक ग्लास फल्गु का पवित्र जल बेच रहे हैं.

इन्फेक्शन का खतरा: स्थानीय लोग बताते हैं कि गर्मी शुरू होने के साथ करीब 80 प्रतिशत जलस्तर घट गया है. बचा हुआ पानी प्रदूषित रहने के कारण अनूपयोगी है. स्थानीय वार्ड पार्षद चंदू देवी बताती हैं कि अभी फल्गु में जितना पानी बचा है, उसको अगर उपयोग में लाते हैं तो इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. क्योंकि यह प्रदूषित है. हालांकि बरसात के बाद पितृपक्ष मेले तक बारिश के पानी से इसका जलस्तर ठीक-ठाक था.

Rubber Dam Dried Up In Gaya
गया जी डैम का गंदा पानी (ETV Bharat)

पानी क्यों खरीद रहे?: कर्मकांड के लिए उतर प्रदेश से आए आशीष कुमार और उनके दूसरे साथी नदी से बर्तन में पानी लेकर घाट की तरफ बढ़ रहे थे तभी अचानक उन्होंने नदी में दो लड़कों को गड्ढा खोद कर पानी निकालते देखकर रूक गए. तभी उनमें एक लड़का चमन कुमार कहता है कि पवित्र जल खरीद लीजिए. इतना सुनना था कि आशीष और उनके साथी बर्तन से गंदा और गाद वाला पानी फेंक देते हैं और चमन को लोटा पानी के लिए थमा देते हैं. आशीष इसके बदले चमन को 25 रूपये भी देते हैं.

"पानी बहुत गंदा है. कीचड़ और काला पानी है. इतने गंदे पानी से पिंड बनाएं यह अच्छा नहीं लगेगा. मन नहीं भरता है. यहां पर यह लड़का बालू खोद कर साफ पानी निकाल रहा है. हम उससे पानी खरीद रहे हैं." -आशीष कुमार, तीर्थयात्री

गंदे पानी से स्नान कैसे करेंगे?: आगे आशीष कहते हैं कि जिन्हें स्नान करना होगा वे इतने गंदे पानी से स्नान कैसे करेंगे? जानकर बड़ा कष्ट हुआ कि इतना बड़ा तीर्थ गयाजी में फल्गु नदी का यह हाल है. चारों तरफ गंदगी फैली हुई है. जिला प्रशासन और सरकार आग्रह है कि इसपर ध्यान दें. कहा कि यह तो बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि 300 करोड़ खर्च करने के बाद भी रबर डैम की यह दशा है.

Rubber Dam Dried Up In Gaya
सूखा पड़ा गया जी डैम (ETV Bharat)

'फल्गु नदी आस्था का विषय': मध्य प्रदेश से आए एक तीर्थयात्री मंडेश्वर बताते हैं कि उन्होंने 10 रुपये में एक गिलास साफ जल खरीदा है. वह कहते हैं कि नदी में तो जल है, लेकिन गंदगी बहुत है. जल साफ नहीं है. प्रयागराज उत्तर प्रदेश से आए एक और तीर्थयात्री शैलेंद्र जायसवाल ने कहा कि फल्गु नदी आस्था का विषय है. हम लोग पूजा पाठ करने के लिए यहां पर आते हैं.

"यहां की जो स्थिति है वह बहुत दयनीय है. सफाई बहुत जरूरी है. सरकार को यहां ध्यान देना चाहिए." -शैलेंद्र जायसवाल, तीर्थयात्री

पानी बेचने वाला मालमाल: पानी बेच रहे चमन कुमार ने कहा कि वो गड्ढे खोद कर प्रतिदिन 300 से 500 रुपये कमा लेते हैं. गंदा पानी होने के कारण लोग साफ पानी लेते हैं. गर्मी थोड़ी और बढ़ेगी तो और महंगा पानी बिकेगा. इसी तरह एक और गढ्ढा खोद रहे व्यक्ति पवन कहते हैं कि गंदा पानी होने की वजह से लोग साफ पानी कर्मकांड के लिए खरीदते हैं.

Rubber Dam Dried Up In Gaya
सूखा पड़ा गया जी डैम (ETV Bharat)

"दिनभर में 400 से 500 रुपये कमा लेते हैं. गड्ढा खोदने के दौरान फल्गु नदी से पैसे भी मिल जाते हैं. जो आस्था से नदी में जल रहते हुए पैसे फेंके थे वह अब बालू से निकल रहे हैं. इस तरह से दिन भर में उनकी आमदनी 700 से 800 रुपए हो जाती है." -पवन कुमार, पानी विक्रेता

आपको बता दें कि साल 2019 में रबर डैम के निर्माण कार्य शुरू कराए गए थे. 324 करोड़ रुपए की लागत से इस डैम का निर्माण कार्य तय समय से एक वर्ष पूर्व पूरे होने के बाद 8 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री द्वारा उद्घाटन किया गया था. 411 मीटर लंबा और 3 मीटर ऊंचा रबर डैम के निर्माण में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी रुड़की की तकनीकी सेवा ली गई थी. फल्गु नदी के सतही और उपसतही जल प्रवाह को रोककर जल का संचयन किया गया था.

बोरवेल चलाने से भी कोई फायदा नहीं: जल को साफ सुथरा रखने के लिए समय-समय पर सफाई के उद्देश्य से चार बोरवेल भी बनाए गए थे. हालांकि देवघाट पर मौजूद स्थानीय लोगों का कहना था कि कभी-कभी केवल एक बोरवेल चालू किया जाता है, लेकिन अभी जो नदी की स्थिति है उस करण बोरवेल चलाने से भी कोई फायदा नहीं होगा बल्कि वह पानी भी प्रदूषित होगा.

स्थाई पानी की व्यवस्था नहीं: जब निर्माण हो रहा था तब इसका नाम रबर डैम था. लेकिन उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गयाजी की पौराणिकता को देखते हुए इसका नाम गयाजी डैम रखा था. मुख्यमंत्री ने कहा था कि गयाजी डैम में कभी पानी कम नहीं होगा. जो कमी होगी आगे कुछ दिनों में पूरी कर ली जाएगी. 2 वर्षों से अधिक समय बीत गया पर गयाजी डैम में' बरसात का पानी छोड़कर स्थाई पानी की व्यवस्था नहीं हो सकी है.

निर्देश का अनुपालन नहीं: डैम को लेकर जिला पदाधिकारी डॉ त्याग राजन एसएम द्वारा संबंधित विभागों के साथ बैठक कई बार की गई है. पिछले महीने 25 फरवरी 2025 को भी बैठक आयोजित की गई थी. गयाजी डैम को स्वच्छ व निर्मल के साथ जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से संबंधित विभाग के पदाधिकारी को जरूरी दिशा निर्देश दिए गए थे लेकिन एक महीने गुजर जाने के बाद भी डीएम के निर्देश का अनुपालन नहीं हो सका है.

Rubber Dam Dried Up In Gaya
चापाकल से पानी लेते तीर्थयात्री (ETV Bharat)

"रबर डैम के पानी और उस से जुड़े दूसरे मामले को वाटर रिसोर्सेज डिपार्टमेंट देखता है लेकिन जहां तक घाट, विष्णु पद और दूसरे क्षेत्रों का सवाल है तो सफाई कर्मचारियों की टिम लगी हुई है. नियमित रूप से प्रतिदिन सफाई हो रही है. घाट पर गंदगी नहीं हो इसका हर मुमकिन प्रयास होता है. कचरे के लिए जगह-जगह पर डस्टबिन भी रखे हुए हैं. चापकल की भी टीम लगी हुई है. इसको लेकर एक ऐप भी बना हुआ है. अगर उस पर भी कोई शिकायत आती है तो टीम जाकर उस को सही करती है." -कुमार अनुराग, नगर आयुक्त

हर दिन नहीं आते कर्मचारी: स्थानीय वार्ड 40 की पार्षद चंदू देवी ने कहा कि श्मशान घाट से गायजी घाट और गजाधर मंदिर, विष्णुपद प्रांगण तक कुल 21 सफाई कर्मचारी हैं. 16 महिला और बाकी पुरुष हैं. लेकिन सफाई की स्थिति नग्न है. बताया कि पूरे कर्मचारी हर दिन नहीं आते हैं. लाइट भी खराब है. पानी खराब होने की वजह से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ा हुआ है.

"कई बार जिला प्रशासन और नगर निगम से इस संबंध में शिकायत की गई है. साफ-सफाई के लिए भी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया है." -चंदू देवी, पार्षद

रबर डैम क्या है? असल में रबर डैम बैलून की तरह होता है. इसमें खास परिस्थिति में हवा निकाले जाने का प्रबंध होता है. डैम के ऊपर पुल भी बनाया गया था ताकि नदी के दोनों तरफ लोग आ जा सकें. पुल को 6 स्पेन में तैयार किया गया था. एक पुल से दूसरे पुल के बीच में कंक्रीट या लोहे के फाटक नहीं बनाया गया बल्कि उसकी जगह पर रबर का इस्तेमाल किया किया गया है. इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के अनुसार यह पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुकूल होता है.

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