चंडीगढ़: रोलर हॉकी को देश में पहचान देने के लिए और विदेश की तरह भारत में भी इस खेल को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए रोलर स्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी आरएसएफआई ने अपने प्रयासों को धार देना शुरू कर दिया है. इसी का परिणाम है कि फेडरेशन ने आईपीएल की तर्ज पर रोलर हॉकी प्रीमियर लीग शुरू की है. जिसमें आठ टीमें हिस्सा ले रहीं हैं. ये फेडरेशन का अभी शुरुआती प्रयास है. जिसे भविष्य में और बड़े पैमाने पर करनी की तैयारी है. फेडरेशन के इसी प्रयास को लेकर ईटीवी भारत के हरियाणा ब्यूरो हेड भूपेंद्र कुमार जिष्टू ने आरएसएफआई के अध्यक्ष तुलसी अग्रवाल से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने फेडरेशन की भविष्य की योजनाओं पर भी अपनी बात रखी.
चंडीगढ़ में हॉकी प्रतियोगिता: आरएसएफआई के अध्यक्ष तुलसी अग्रवाल का कहना है कि रोलर हॉकी रोलर स्केटिंग का प्राण है. इसकी शुरुआत भारत में पंजाब के पटियाला में हुई थी. जिसको राजा महाराजा और बड़े लोग खेलते थे. इसका नाम बड़ा करने वालों में महाराजा रणजीत सिंह, महाराजा भूपेंद्र सिंह शामिल हैं. उन्होंने कहा कि शुरुआत में सभी खेलों चाहे क्रिकेट हो राजा महाराजाओं ने ही शुरुआत की थी. बाद में ये सभी खेल आम लोगों के बीच पहुंचे.
पॉपुलर हो रही रोलर हॉकी: उन्होंने कहा कि आज हम देखते हैं कि गरीब घरों के बच्चे भी इन खेलों में नाम ऊंचा कर रहे हैं. खिलाड़ियों को क्रिकेट में मिल रही कामयाब के बारे में हम सब जानते हैं. वे कहते हैं कि हॉकी भारत का दुनिया में सिर का ताज था. हालांकि बाद में इसमें उतर चढ़ाव देखने को मिलते रहे. जहां तक बात रोलर हॉकी की है, तो पूरी दुनिया में और खासतौर पर यूरोप में बहुत ही पॉपुलर है. हमने खुद वहां जाकर इस खेल में लोगों की दिलचस्पी को देखा है. लेटिन अमेरिका के देशों में भी रोलर हॉकी खूब खेली जाती है.
कैसे होगा इस खेल का विस्तार? जब उनसे सवाल किया गया कि रोलर हॉकी प्रीमियर लीग का विचार उनके मन में कैसे आया और इस खेल के भारत में भविष्य को वे कैसे देखते हैं? इस पर उन्होंने कहा कि जब वे आरएसएफआई के अध्यक्ष बने थे और चंडीगढ़ आए थे, उस वक्त आईपीएल भी इतना पॉपुलर नहीं हुआ था, बाकी खेलों में लीग शुरू हो इस प्रकार की उस वक्त कल्पना भी नहीं थी. मेरे विचार में ये था कि अगर इस खेल को पॉपुलर करना है तो इसके लिए हर तरह के प्रयास करने पड़ेंगे.
बैंच स्ट्रेंथ होगी मजबूत: उन्होंने कहा कि इस खेल को खेलने वाले बच्चों की देखरेख, उनकी आर्थिक स्थिति, अच्छी कोचिंग कैसे हो, आईपीएल या लीग के जरिए जैसे इस खेल में हमारी बैंच स्ट्रेंथ बड़ी है और खिलाड़ियों की आर्थिक स्थिति भी अच्छी हुई है. इसके दम पर ही आज भारत चार टीमें क्रिकेट की बनाने में सक्षम हुआ है. आईपीएल की इसी सफलता को देखते हुए हमने भी रोलर हॉकी प्रीमियर लीग शुरू की है. हालांकि अभी यह इंटरनल लेवल पर रखी गई है. आने वाले सालों में उसके स्वरूप को हम बड़ा करेंगे. जिसके लिए हम बड़ा प्लेटफॉर्म तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं.

रोलर हॉकी प्रीमियर लीग में आठ टीमें: इस बार रोलर हॉकी प्रीमियर लीग में आठ टीमें बनाई गई हैं क्या आगे टीमों को संख्या बढ़ सकती है? इस पर उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में भी आठ ही टीमें रहेंगी. अगर बहुत ज्यादा टीमें बनाई जाएंगी तो उससे समय भी बहुत ज्यादा लगेगा और खर्चे भी बढ़ेंगे. वहीं फिर लोगों में इसको लेकर दिलचस्पी भी कम हो जाएगी. ज्यादातर खेलों की लीग में आठ ही टीमें बनी हैं, इसलिए इसमें भी आठ ही टीमें रहेंगी.
क्या इस तरह का प्रयास इनलाइन हॉकी को लेकर भी किया जाएगा? उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो रोलर हॉकी को ही एक मुकाम पर लेके जाने की कोशिश है. अगर हम इसको ऊंचाइयों पर ले जाने में सफल होते हैं तो फिर उस पर भी कम किया जा सकता है. क्योंकि पूरी दुनिया में इनलाइन हॉकी दुनिया में पॉपुलर हो रही है. वे कहते हैं कि रोलर हॉकी चार पहियों पर होती है, जबकि इनलाइन हॉकी एक ब्लेड पर होती है. जिसकी वजह से वह बड़ी चुनौती पूर्ण होती है. आगे चलकर हम उस पर भी विचार करेंगे.
वहीं उन्होंने कहा कि रोलर हॉकी को वे अब सालाना इवेंट बनाने की तैयारी कर रहे हैं. अभी इसका वह स्वरूप नहीं हुआ है जो बाकी खेलों की लीग में है. टीमें बेचना, मीडिया राइट देना यह सारी चीजें आगे चलकर हम करेंगे. अभी हमने अपनी इंटरनल लीग शुरू की है. इससे हमें यह पता चलेगा कि इसमें अभी क्या कमियां हैं , हम उनको दूर करके आगे बढ़ेंगे.
फेडरेशन की स्केटिंग को लेकर फ्यूचर प्लानिंग क्या है? इसको लेकर उन्होंने कहा कि एक वक्त था कि देश के अधिकतर शहरों में सीमेंट के फ्लोर पर स्केटिंग होती थी. चंडीगढ़ इसमें एक अपवाद है, यहां रोलर स्केटिंग लोकप्रिय है, पंजाब और जम्मू में भी इस खेल में लोगों की दिलचस्पी है. वे कहते हैं कि उन्हें इस बात का गर्व है कि आज देश में इस खेल के लिए स्टेट ऑफ द आर्ट पच्चास से अधिक का ढांचा देश में तैयार हो चुका है. आगे यह और बनेगा. चंडीगढ़ प्रशासन ने भी इसके लिए दस करोड़ का बजट रखा है. कुछ वजहों से वह अभी जमीन पर नहीं उतर पाया था , यूके भी बहुत जल्द कम शुरू हो जाएगा.

हालांकि यहां अभी भी इंफ्रास्ट्रक्चर है लेकिन आने वाले दिनों में इंटीग्रेटेड यानी एक ही जगह सारी सुविधा इस खेल की उपलब्ध होंगी जैसा कि विशाखापत्तनम, बेंगलुरु, तमिलनाडु में है. उनका कहना है कि इस खेल के मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर में तीस फीसदी योगदान सरकार का है बाकी इस खेल केनौराने खिलाड़ियों और इस खेल के चाहने वालों का योगदान है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण मोहाली के ढेलपुर में तैयार हुआ इन्फ्रास्ट्रक्चर है. वह मैदान एसोसिएशन के साथ मिलकर वहां के एक स्थानीय निवासी ने अपनी जमीन पर बनाया है.
क्या इस खेल का भविष्य क्रिकेट, कबड्डी और बैडमिटन की तरह उज्वल होने वाला है? इस पर उन्होंने कहा कि निश्चितौर पर मैं इसको लेकर आश्वस्त हूं और यह साझा करना चाहूंगा कि जब हम रोलर हॉकी को उस ऊंचाई पर लेकर जाएंगे, जिसमें विदेशी खिलाड़ी भी होंगे. इससे जो भी रास्ते खुलेंगे वह सब रोलर हॉकी में होगा. जब रोलर हॉकी के मीडिया राइट चले जाएंगे, और वह अच्छे किसी चैनल पर लाइव होगा,ब्लॉग उसका भरपूर आनंद लेंगे. जैसे आईपीएल और कबड्डी के दर्शक हैं, वैसे ही रोलर हॉकी के भी उसे कई ज्यादा दर्शक होंगे, यह मुझे उम्मीद है.
रोलर हॉकी प्रीमियर लीग की आठ टीमें: कश्मीर वॉरियर, चेन्नई चैम्पियंस, कुरुक्षेत्र योद्धा, चंडीगढ़ चैंप्स, लखनऊ लीजेंड्स, हैदराबाद हीरोज, बॉम्बे रॉकर्स और पटियाला महाराजा.