पटना: राष्ट्रीय जनता दल के सांगठनिक चुनाव का पहला चरण पूरा हो गया है. प्राथमिक ईकाई और पंचायत ईकाई के चुनाव खत्म होने के बाद दूसरे चरण में प्रखंड कमिटियों और तीसरे चरण में जिला कमिटी का चुनाव होना है. उम्मीद जताई जा रही है कि इसी महीने आरजेडी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा.
प्रखंड कमिटी की प्रक्रिया शुरू: पंचायत कमिटी के बनाए जाने के बाद आरजेडी में 31 मई से प्रखंड स्तर की कमिटी के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई है. दूसरे चरण में प्रखंड कमिटी का चुनाव होगा. 31 मई से 4 जून तक बिहार के सभी प्रखंडों में पार्ची की प्रखंड कमिटी का गठन हो जाएगा. वहीं तीसरा चरण 5 जून से शुरू होगा. इस फेज में जिला कमिटियों का चुनाव होगा. 5 जून से 13 जून तक जिला अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.

14 जून से प्रदेश अध्यक्ष की प्रक्रिया: बिहार के सभी जिलों में जिला अध्यक्षों के चुनाव संपन्न होने के बाद 14 जून से आरजेडी प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. नए कार्यकाल के लिए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 23 जून से पहले संपन्न हो जाएगी. पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा.
5 जुलाई को राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव: राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 24 जून को राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों की सूची के अंतिम प्रकाशन के बाद शुरू होगी. 5 जुलाई को राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा. उम्मीद की जा रही है कि अगले कार्यकाल के लिए भी लालू यादव को सर्वसम्मति से फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा.

प्रथम चरण का चुनाव संपन्न: ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में आरजेडी के राष्ट्रीय सहायक निर्वाचन पदाधिकारी चित्तरंजन गगन ने बताया कि बिहार और झारखंड सहित अन्य सभी राज्यों में पार्टी के प्राथमिक (बूथ) और पंचायत ईकाइयों का चुनाव सम्पन्न हो चुका है. राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी डॉ. रामचंद्र पूर्वे के अनुमोदन के बाद सभी राज्यों में प्रखंड डेलीगेटों की अंतिम सूची का प्रकाशन कर दिया गया है.

28 साल में बने 6 प्रदेश अध्यक्ष: 1997 में राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना के बाद कमल पासवान पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे. उसी साल यानी 1997 में उदय नारायण चौधरी को ये जिम्मेदारी मिली, वह 1998 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे. 1998 से 2003 तक पीतांबर पासवान, 2003 से 2010 तक अब्दुल बारी सिद्दीकी, 2010 से 2019 तक रामचंद्र पूर्वे और 2019 से अबतक जगदानंद सिंह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं.

कौन बनेगा प्रदेश अध्यक्ष?: इस रेस में वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के अलावे जेडीयू से आरजेडी में शामिल हुए अति पिछड़ा समाज के वरिष्ठ नेता मंगलीलाल मंडल और पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता भी शामिल हैं. इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्ची इस बार अति पिछड़ा समाज को साधने का प्रयास कर रही है. यही कारण है कि जेडीयू के वरिष्ठ नेता रह चुके मंगनीलाल मंडल को आरजेडी में शामिल करवाया गया.

जगदानंद सिंह की चर्चा क्यों?: वरिष्ठ पत्रकार इंद्रभूषण का मानना है कि जगदानंद सिंह के नाम को लेकर चर्चा इसीलिए शुरू हुई है कि वे अनुशासन को लेकर बहुत ही सख्त हैं. उनके प्रदेश अध्यक्ष के काल में प्रदेश कार्यालय में अनुशासन को प्राथमिकता दी गई. ऐसे में मुमकिन है कि विधानसभा चुनाव तक जगदानंद सिंह को ही फिर से प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी जाए.

काफी समय से नाराज हैं जगदा बाबू: बिहार विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन की करारी हार हुई है. जिन चार सीटों पर उपचुनाव हुए थे, उनमें तीन सीटों पर महागठबंधन का कब्जा था. उपचुनाव में आरजेडी ने रामगढ़, इमामगंज और बेलागंज सीट पर अपने उम्मीदवारे उतारे थे लेकिन सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. रामगढ़ से जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह ही पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे. परंपरागत सीट होने के बावजूद अजीत न केवल चुनाव हारे, बल्कि तीसरे स्थान पर रहे. 23 नवंबर को चुनाव परिणाम के बाद 25 नवंबर से जगदा बाबू ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय आना बंद कर दिया है.

क्या ईबीसी कार्ड खेल सकता है आरजेडी?: इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार इंद्रभूषण का कहना है कि इस वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय जनता दल ईबीसी कार्ड भी खेल सकता है. वे कहते हैं कि अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने के लिए ही मंगनीलाल मंडल को जेडीयू से लाया गया है. ऐसे में उनकी दावेदारी सबसे मजबूत है. हालांकि लालू परिवार के करीबी पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता भी इस दौर में शामिल हैं.

"इसी साल विधानसभा का चुनाव है, ऐसे में आरजेडी कई समीकरणों को साधने की कोशिश कर रहा है. मंगनी लाल मंडल और आलोक मेहता के नाम की भी चर्चा है लेकिन तेजप्रताप और अनुष्का यादव प्रकरण के बाद इस बात को लेकर फिर से चर्चा शुरू हो गई है कि जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी जाए. वहीं लालू यादव ही अगले कार्यकाल के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे, ये भी तय है."- इंद्रभूषण, वरिष्ठ पत्रकार
मंगनी लाल मंडल की मजबूत दावेदारी: आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में सबसे ज्यादा यदि किसी एक नाम की चर्चा हो रही है तो वह मंगनीलाल मंडल हैं. वह मधुबनी के रहने वाले हैं. नीतीश कुमार और लालू यादव दोनों के ही वह करीबी रह चुके हैं. आति पिछड़ा (धानुक) समाज से आते हैं. वह लालू-राबड़ी सरकार में 2 बार मंत्री रह चुके हैं. राज्यसभा और बिहार विधान परिषद के सदस्य भी रहे हैं. 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान आरजेडी छोड़कर नीतीश कुमार के साथ गए थे लेकिन अब 5 साल बाद आरजेडी में उनकी घर वापसी हुई है.

प्रदेश अध्यक्ष की दावेदारी पर क्या बोले?: मंगनी लाल मंडल ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपनी दावेदारी के सवाल पर कहा कि इसकी जानकारी वह खुद नहीं दे सकते, क्योंकि यह उनसे जुड़ा हुआ मामला है. उन्होंने कहा कि उनके नाम की चर्चा हो रही है, यह तो पत्रकारों के माध्यम से ही पता चला है. प्रदेश अध्यक्ष के चयन के सवाल पर निर्णय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी प्रसाद यादव लेंगे.
"पिछले 20 वर्षों से अति पिछड़ा को झूठा वादा करके नीतीश कुमार वोट लेते आए हैं. किसी को भी आगे नहीं बढ़ने दिया गया. ओबीसी समुदाय से आने वाले नीतीश कुमार ने सिर्फ अति पिछड़ा के नाम पर राजनीति की और उसका वोट लिए लेकिन इस बार विधानसभा के चुनाव में अतिपिछड़ा समाज आरजेडी का साथ देगा और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी."- मंगनी लाल मंडल, नेता, राष्ट्रीय जनता दल

तेजस्वी होंगे आरजेडी का चेहरा: वरिष्ठ पत्रकार इंद्रभूषण का मानना है कि आरजेडी में भले ही नए प्रदेश अध्यक्ष और सुप्रीमो के पद पर लालू प्रसाद यादव की नियुक्ति हो जाए लेकिन पार्टी की बागडोर तेजस्वी यादव के हाथों में होगी. 2024 लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव पार्टी के पोस्टर से गायब हो गए थे और तेजस्वी यादव ने पूरे चुनाव कैंपेनिंग को अपने हाथ में लिया था.
"लालू यादव ही आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे. जब तक वह स्वस्थ हैं, तब तक पार्टी की कमान उनके ही हाथों में ही रहेगी. इसके पीछे एक कारण यह भी है कि लालू यादव का परिवार बड़ा है और पार्टी को एकजुट रखने के लिए लालू प्रसाद राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे. हालांकि पार्टी की कमान तेजस्वी यादव के हाथों में है. ये बात राजद के बिहार के सभी नेता और कार्यकर्ता जान रहे हैं."- इंद्र भूषण, वरिष्ठ पत्रकार
बिहार में 36 फीसदी ईबीसी: बिहार सरकार ने साल 2023 में जाति-आधारित सर्वेक्षण करवाया था. बिहार सरकार के आंकड़े के अनुसार बिहार की कुल आबादी की 36 प्रतिशत जनसंख्या ईबीसी यानी अति पिछड़ा समाज की है. राज्य में कुल 112 जातियों को अति पिछड़ी कैटेगरी में रखा गया है. इनमें से 100 जातियां ऐसी हैं, जिनकी आबादी राज्य में 1 फीसदी से कम है.
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