मसौढ़ी: बिहार में लोक आस्था का महापर्व चार दिवसीय चैती छठ नहाय-खाय से शुरू हो गया है. सभी छठ व्रती सुबह से ही नदी या तालाब में स्नान कर कद्दू, चावल और चने की दाल का प्रसाद बनाने में जुट गई. उन्होंने इसे बनाकर ग्रहण करते हुए भगवान सूर्य की आराधना में की. पटना से सटे मसौढ़ी में शहर से लेकर गांव तक पूरा इलाका छठमय में हो चुका है. ऐसे में मसौढी में मणीचक सूर्य मंदिर तालाब घाट समेत विभिन्न 60 छठ घाट पर छठ पूजा को लेकर प्रशासनिक तैयारी चल रही है.
कद्दू, चावल और चने की दाल की परंपरा: इन दिनों घाटों पर सुरक्षा, साफ सफाई और रंग रोगन की तैयारी चल रही है. भगवानगंज के अनौली गांव के चांदनी कुमारी ने कहा कि आज नहाय-खाय के दिन चावल, कद्दू की सब्जी और चने की दाल बनाने की परंपरा रही है. पारंपरिक गीतों के साथ उन सभी ने प्रसाद ग्रहण किया है और कल से खरना की तैयारी में जुट गई हैं.
"हम सभी लोग भगवानगंज के अनौली गांव से छठ व्रत करने के लिए मसौढ़ी के मणीचक धाम पर आए हुए हैं. आज नहाए खाए है और कद्दू चावल का प्रसाद बना रहे हैं. कल खरना का प्रसाद बनेगा. उसके बाद डूबते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगे और अगली सुबह उदियमान सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व संपन्न होगा." -चांदनी कुमारी, छठ व्रती
सूर्य देव की बहन की होती है पूजा: भगवान सूर्य देव की बहन छठी मईया की पूजा छठ में की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि छठी मईया की पूजा करने से वो हर छठवर्ति की मनोकामना पूरी करती हैं. छठ व्रती ने कहा कि संतान सुख की प्राप्ति और पूरे परिवार की सुख, समृद्धि और शांति के लिए छठ पूजा की जाती है. यह पर्व हिंदुओं के लिए नियम निष्ठा का पर्व है क्योंकि खरना के दिन प्रसाद ग्रहण कर निर्जला 36 घंटे का व्रत रखा जाता है.

"परिवार की सुख, शांति और संतान खुख की कामना को लेकर छठ व्रत किया जाता रहा है. हम सभी परिवार के लोग यहां मणीचक धाम पर छठ व्रत कर रहे हैं."-पूजा कुमारी, छठ व्रती
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