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खत्म हो जाएगा पहाड़ों पर बुरांश! मार्च-अप्रैल की जगह जनवरी में ही खिल रहे इसके फूल - BURANSH FLOWERING

इस बार बुरांश के फूल समय से पहले ही खिल गए हैं. इससे पहाड़ों पर ग्लोबल वार्मिंग का असर नजर आ रहा है.

पेड़ों पर खिले बुरांश के फूल
पेड़ों पर खिले बुरांश के फूल (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : March 3, 2025 at 5:29 PM IST

Updated : March 3, 2025 at 7:43 PM IST

7 Min Read

शिमला: हिमालय की पहाड़ियों पर देवदार के वृक्षों के बीच लाल रंग का बुरांश अनुपम छटा बिखेरता है. मार्च और अप्रैल महीने में पहाड़ इस फूल की लाली और खुशबू से महक उठते हैं. बुरांश के खिलने से पतझड़ से ऊबा जंगल भी खिल उठता है. मार्च और अप्रैल के महीनों में पहाड़ इसके फूलों के रंग से सराबोर हो जाते हैं. बुरांश को हिमाचल में 'बराह' के नाम से भी जाना जाता है.

शिमला, कांगड़ा, सोलन, धर्मशाला और किन्नौर में इस फूल का प्रयोग अचार, मुरब्बा, जूस के रूप में किया जाता है. ये पौधा प्राकृतिक रूप से उगता है. धर्मशाला में चिन्मय संत तपोवन में इस फूल की नर्सरी है और भारत के अनेक भागों में इसकी सप्लाई की जाती है. बुरांश एक सदाबहार पेड़ है जो समुद्र तल से 1500-3600 मीटर की ऊंचाई पर उगता है. पहाड़ी इलाकों में अप्रैल से मई के महीनों में खिलने वाला बुरांश का फूल इस बार जनवरी के आखिरी महीने में ही खिल गया. ये कोई बुरांश और प्राकृति के लिए शुभ समाचार नहीं है, बल्कि चिंता का विषय है.

आपने देखा होगा कि अप्रैल और मई के महीने में पहाड़ बुरांश के फूलों के रंग से लाल हो जाते हैं, लेकिन इस बार की तस्वीरें कुछ और ही है. इस बार समय से पहले ही बुरांश के फूल खिल गए, जो कहीं न कहीं चिंता का कारण है. बुरांश के पेड़ को रोडोडेंड्रॉन के नाम से भी जाना जाता है. आमतौर पर पहाड़ के जंगलों में बुरांश का फूल 15 मार्च के बाद ही खिलता है. मगर अब प्रकृति अपना अलग रंग दिखा रही है.

बुराश के फूल
बुरांश के फूल (ETV BHARAT)

कहां पाया जाता है बुरांश

ये पूरे हिमालयी इलाकों में फैला हुआ है. बुरांश का फूल पहाड़ी क्षेत्रों खासकर उत्तराखंड, हिमाचल में पाया जाता है. इसके अलावा बुरांश भूटान,चीन,नेपाल, पाकिस्तान और थाईलैंड में भी पाया जाता है, बुरांश के फूल तय समय से पहले ही खिलने से पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ गई है. स्वास्थ्य लाभों के लिए जाने जाने वाले ये फूल आमतौर पर अप्रैल से मई के महीनों के दौरान दिखाई देते हैं लेकिन इस बार फरवरी के महीने में ही दिखाई देने लगे हैं.

समय से पहले क्यों खिल रहे बुरांश?

फॉरेस्ट्री के प्रोफेसर डॉ. डीआर भारद्वाज ने बताया कि, 'अप्रैल और मई महीने में खिलने वाला फूल अब जनवरी में ही खिलने लगा है.इसका मुख्य कारण ये है कि जो तापमान बुरांश को अप्रैल में चाहिए वो उसे जनवरी और फरवरी महीने में ही मिलने लगा है. बारिश व बर्फबारी नहीं होने से इन प्रजातियों को समय से पहले ही अनुकूल तापमान मिल रहा है. समय से पहले पेड़-पौधों का फूलना-फलना सीधे-सीधे जलवायु परिवर्तन का असर है. कुछ सालों से मौसम में काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है. समय से बारिश नहीं हो रही है, तो उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी भी कम ही देखने को मिल रही है. ऐसे में प्रकृति पर इसका गहरा प्रभाव पड़ने लगा है. बुरांश का समय से पहले खिलना ग्लोबल वॉर्मिंग का सीधा असर है. ग्लोबल वॉर्मिंग का असर प्रकृति के विभिन्न रूपों में साफ तौर पर देखा जा सकता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण बुरांश का समय से पहले खिलना है. जनवरी में बुरांश का खिलना और काफल का पकना चिंतनीय स्थिति पेश करता है.'

पेड़ों पर खिले बुरांश के फूल
पेड़ों पर खिले बुरांश के फूल (ETV BHARAT)
ढाई महीने पहले ही खिला बुरांशअब ठंडे पहाड़ गर्म होने लगे हैं और यहां की आबोहवा धीरे-धीरे बदल रही है. स्थिति ये है कि इस साल सर्दियों में फरवरी माह के अंत से पहले मात्र एक या दो बार ही बर्फबारी हुई है,जिससे पहाड़ जैव विविधता बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है. बारिश समय से नहीं हो रही है. फूल पहले ही खिलने शुरू हो गए हैं. डीआर भारद्वाज ने बताया कि ये फूल अविकसित तरीके से खिल रहे हैं. फूल तो खिलेगा लेकिन इसमें रस नहीं रहेगा, जिस कारण मधुमक्खियों को शहद बनाने में दिक्कतें होंगी. मौसम बदलने से वनस्पतियों पर बुरा असर पड़ रहा है. हालांकि बुरांश जंगली फूल है और बेमौसम खिलने का असर इसके तत्वों पर भी पड़ सकता है. ऐसे में बुरांश के फूल तो खिल रहे हैं, लेकिन इन फूलों के अंदर बनने वाले रसायन ठीक तरह से बन नहीं पाते हैं.

उगना ही बंद हो जाएंगे बुरांश के फूल

बीते 6 माह से न तो ठीक से बारिश हुई है और न ही बर्फबारी देखने को मिल रही है, जिससे तापमान बढ़ रहा है और पौधों के लिए एक उचित तापमान बेहद आवश्यक है.अगर उन्हें समय से पहले ही पर्याप्त तापमान मिल जाता है, तो फ्लावरिंग होनी शुरू हो जाती है. डॉ डी.आर भारद्वाज ने कहा कि, 'अगर हालात ऐसे ही रहे तो एक समय आएगा बुरांश के फूल उगना बंद हो जाएंगे. जनवरी और फरवरी के महीने में जब बर्फबारी होती थी तो इन फूलों को नमी मिलती था, लेकिन अब कुछ सालों से जनवरी और फरवरी में ये फूल उग जाता है, और समय से पहले ही झड़ जाते हैं. आने वाले सालों में बुरांश की पैदावर होना ही खत्म हो जाएगी. नए पौधे ही नहीं बन पाएंगे. पौधे उगने के बाद सर्वाइव ही नहीं कर पाएंगे. पौधों को समय से पहले पर्याप्त तापमान मिल जाता है, तो फ्लावरिंग होनी शुरू हो जाती है, लेकिन ये चिंता का विषय है,क्योंकि बेमौसम बुरांश खिलने का असर इसके तत्वों पर पड़ सकता है. बुरांश के फूल तो खिल रहे हैं, ऐसे में इसके औषधीय गुणों पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है.'

जलवायु परिवर्तन का असर

वहीं, मौसम वैज्ञानिक सुरेंद्र पॉल ने कहा कि, 'ये पहाड़ों में जलवायु परिवर्तन का असर है, जो कि हिमालयी क्षेत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है. इस पेड़ पर जनवरी के अंतिम सप्ताह से फूल खिलने शुरू होते हैं और मार्च-अप्रैल में यह लाल सुर्ख रंग के फूलों से लकदक हो जाता है. इस बार कुदरत ने बुरांश की स्वाभाविक प्रक्रिया को गड़बड़ा दिया है।.नतीजतन, बुरांश के वृक्ष में जनवरी में ही फूल खिलने शुरू हो गए हैं.'

बेहद उपयोगी है बुरांश

बुरांश फूल स्वास्थ्य तत्वों से भरपूर होते है. कई सारे पोषक तत्वों से भरे बुरांश के फूलों का पहाड़ों पर जूस बनाया जाता है, जो स्वादिष्ट होने के साथ ही पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है. यहां तक की लोग बुरांश के फूल की चटनी भी बनाते है.बुरांश के फूलों तथा इसकी पंखुड़ियों के रस का उपयोग सेहतमंद बने रहने के लिए किया जाता है. इसका स्क्वैश, जैम और शरबत बनाने में भी इसका उपयोग होता है.

बुरांश में पाए जाते हैं एंटी ऑक्सीडेंट

डॉ. मनीष गुप्ता कैंसर स्पेशलिस्ट बताते हैं कि, 'बुरांश के पौधे में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट तत्व हृदय के लिए लाभदायी है और इसका सेवन हृदय रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. साथ ही इस फूल की पंखुड़ियां जुकाम, सिर दर्द, बुखार और मांसपेशियों के दर्द को आराम देने में काम भी करती हैं. बुरांश डाईयूरेटिक औषधि मानी जाती है. पहाड़ों पर रहने वाले लोग इस फूल का इस्तेमाल सदियों से विभिन्न बीमारियों के इलाज में करते रहे हैं. कई रिसर्च में भी बुरांश के फूलों के औषधीय गुणों पर मुहर लग चुकी है.'

शिमला: हिमालय की पहाड़ियों पर देवदार के वृक्षों के बीच लाल रंग का बुरांश अनुपम छटा बिखेरता है. मार्च और अप्रैल महीने में पहाड़ इस फूल की लाली और खुशबू से महक उठते हैं. बुरांश के खिलने से पतझड़ से ऊबा जंगल भी खिल उठता है. मार्च और अप्रैल के महीनों में पहाड़ इसके फूलों के रंग से सराबोर हो जाते हैं. बुरांश को हिमाचल में 'बराह' के नाम से भी जाना जाता है.

शिमला, कांगड़ा, सोलन, धर्मशाला और किन्नौर में इस फूल का प्रयोग अचार, मुरब्बा, जूस के रूप में किया जाता है. ये पौधा प्राकृतिक रूप से उगता है. धर्मशाला में चिन्मय संत तपोवन में इस फूल की नर्सरी है और भारत के अनेक भागों में इसकी सप्लाई की जाती है. बुरांश एक सदाबहार पेड़ है जो समुद्र तल से 1500-3600 मीटर की ऊंचाई पर उगता है. पहाड़ी इलाकों में अप्रैल से मई के महीनों में खिलने वाला बुरांश का फूल इस बार जनवरी के आखिरी महीने में ही खिल गया. ये कोई बुरांश और प्राकृति के लिए शुभ समाचार नहीं है, बल्कि चिंता का विषय है.

आपने देखा होगा कि अप्रैल और मई के महीने में पहाड़ बुरांश के फूलों के रंग से लाल हो जाते हैं, लेकिन इस बार की तस्वीरें कुछ और ही है. इस बार समय से पहले ही बुरांश के फूल खिल गए, जो कहीं न कहीं चिंता का कारण है. बुरांश के पेड़ को रोडोडेंड्रॉन के नाम से भी जाना जाता है. आमतौर पर पहाड़ के जंगलों में बुरांश का फूल 15 मार्च के बाद ही खिलता है. मगर अब प्रकृति अपना अलग रंग दिखा रही है.

बुराश के फूल
बुरांश के फूल (ETV BHARAT)

कहां पाया जाता है बुरांश

ये पूरे हिमालयी इलाकों में फैला हुआ है. बुरांश का फूल पहाड़ी क्षेत्रों खासकर उत्तराखंड, हिमाचल में पाया जाता है. इसके अलावा बुरांश भूटान,चीन,नेपाल, पाकिस्तान और थाईलैंड में भी पाया जाता है, बुरांश के फूल तय समय से पहले ही खिलने से पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ गई है. स्वास्थ्य लाभों के लिए जाने जाने वाले ये फूल आमतौर पर अप्रैल से मई के महीनों के दौरान दिखाई देते हैं लेकिन इस बार फरवरी के महीने में ही दिखाई देने लगे हैं.

समय से पहले क्यों खिल रहे बुरांश?

फॉरेस्ट्री के प्रोफेसर डॉ. डीआर भारद्वाज ने बताया कि, 'अप्रैल और मई महीने में खिलने वाला फूल अब जनवरी में ही खिलने लगा है.इसका मुख्य कारण ये है कि जो तापमान बुरांश को अप्रैल में चाहिए वो उसे जनवरी और फरवरी महीने में ही मिलने लगा है. बारिश व बर्फबारी नहीं होने से इन प्रजातियों को समय से पहले ही अनुकूल तापमान मिल रहा है. समय से पहले पेड़-पौधों का फूलना-फलना सीधे-सीधे जलवायु परिवर्तन का असर है. कुछ सालों से मौसम में काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है. समय से बारिश नहीं हो रही है, तो उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी भी कम ही देखने को मिल रही है. ऐसे में प्रकृति पर इसका गहरा प्रभाव पड़ने लगा है. बुरांश का समय से पहले खिलना ग्लोबल वॉर्मिंग का सीधा असर है. ग्लोबल वॉर्मिंग का असर प्रकृति के विभिन्न रूपों में साफ तौर पर देखा जा सकता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण बुरांश का समय से पहले खिलना है. जनवरी में बुरांश का खिलना और काफल का पकना चिंतनीय स्थिति पेश करता है.'

पेड़ों पर खिले बुरांश के फूल
पेड़ों पर खिले बुरांश के फूल (ETV BHARAT)
ढाई महीने पहले ही खिला बुरांशअब ठंडे पहाड़ गर्म होने लगे हैं और यहां की आबोहवा धीरे-धीरे बदल रही है. स्थिति ये है कि इस साल सर्दियों में फरवरी माह के अंत से पहले मात्र एक या दो बार ही बर्फबारी हुई है,जिससे पहाड़ जैव विविधता बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है. बारिश समय से नहीं हो रही है. फूल पहले ही खिलने शुरू हो गए हैं. डीआर भारद्वाज ने बताया कि ये फूल अविकसित तरीके से खिल रहे हैं. फूल तो खिलेगा लेकिन इसमें रस नहीं रहेगा, जिस कारण मधुमक्खियों को शहद बनाने में दिक्कतें होंगी. मौसम बदलने से वनस्पतियों पर बुरा असर पड़ रहा है. हालांकि बुरांश जंगली फूल है और बेमौसम खिलने का असर इसके तत्वों पर भी पड़ सकता है. ऐसे में बुरांश के फूल तो खिल रहे हैं, लेकिन इन फूलों के अंदर बनने वाले रसायन ठीक तरह से बन नहीं पाते हैं.

उगना ही बंद हो जाएंगे बुरांश के फूल

बीते 6 माह से न तो ठीक से बारिश हुई है और न ही बर्फबारी देखने को मिल रही है, जिससे तापमान बढ़ रहा है और पौधों के लिए एक उचित तापमान बेहद आवश्यक है.अगर उन्हें समय से पहले ही पर्याप्त तापमान मिल जाता है, तो फ्लावरिंग होनी शुरू हो जाती है. डॉ डी.आर भारद्वाज ने कहा कि, 'अगर हालात ऐसे ही रहे तो एक समय आएगा बुरांश के फूल उगना बंद हो जाएंगे. जनवरी और फरवरी के महीने में जब बर्फबारी होती थी तो इन फूलों को नमी मिलती था, लेकिन अब कुछ सालों से जनवरी और फरवरी में ये फूल उग जाता है, और समय से पहले ही झड़ जाते हैं. आने वाले सालों में बुरांश की पैदावर होना ही खत्म हो जाएगी. नए पौधे ही नहीं बन पाएंगे. पौधे उगने के बाद सर्वाइव ही नहीं कर पाएंगे. पौधों को समय से पहले पर्याप्त तापमान मिल जाता है, तो फ्लावरिंग होनी शुरू हो जाती है, लेकिन ये चिंता का विषय है,क्योंकि बेमौसम बुरांश खिलने का असर इसके तत्वों पर पड़ सकता है. बुरांश के फूल तो खिल रहे हैं, ऐसे में इसके औषधीय गुणों पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है.'

जलवायु परिवर्तन का असर

वहीं, मौसम वैज्ञानिक सुरेंद्र पॉल ने कहा कि, 'ये पहाड़ों में जलवायु परिवर्तन का असर है, जो कि हिमालयी क्षेत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है. इस पेड़ पर जनवरी के अंतिम सप्ताह से फूल खिलने शुरू होते हैं और मार्च-अप्रैल में यह लाल सुर्ख रंग के फूलों से लकदक हो जाता है. इस बार कुदरत ने बुरांश की स्वाभाविक प्रक्रिया को गड़बड़ा दिया है।.नतीजतन, बुरांश के वृक्ष में जनवरी में ही फूल खिलने शुरू हो गए हैं.'

बेहद उपयोगी है बुरांश

बुरांश फूल स्वास्थ्य तत्वों से भरपूर होते है. कई सारे पोषक तत्वों से भरे बुरांश के फूलों का पहाड़ों पर जूस बनाया जाता है, जो स्वादिष्ट होने के साथ ही पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है. यहां तक की लोग बुरांश के फूल की चटनी भी बनाते है.बुरांश के फूलों तथा इसकी पंखुड़ियों के रस का उपयोग सेहतमंद बने रहने के लिए किया जाता है. इसका स्क्वैश, जैम और शरबत बनाने में भी इसका उपयोग होता है.

बुरांश में पाए जाते हैं एंटी ऑक्सीडेंट

डॉ. मनीष गुप्ता कैंसर स्पेशलिस्ट बताते हैं कि, 'बुरांश के पौधे में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट तत्व हृदय के लिए लाभदायी है और इसका सेवन हृदय रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. साथ ही इस फूल की पंखुड़ियां जुकाम, सिर दर्द, बुखार और मांसपेशियों के दर्द को आराम देने में काम भी करती हैं. बुरांश डाईयूरेटिक औषधि मानी जाती है. पहाड़ों पर रहने वाले लोग इस फूल का इस्तेमाल सदियों से विभिन्न बीमारियों के इलाज में करते रहे हैं. कई रिसर्च में भी बुरांश के फूलों के औषधीय गुणों पर मुहर लग चुकी है.'

Last Updated : March 3, 2025 at 7:43 PM IST
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