रीवा: अप्रैल माह में ही गर्मी अपने तीखे तेवर दिखाने लगी है. भीषण गर्मी से परेशान लोगों के सामने गहराते जल संकट के रूप में एक और चुनौती आ गई है. जल संकट की स्थिति वैसे तो प्रदेश के कई जिलों में देखी जा रही है. मगर बात की जाए विंध्य के रीवा और मऊगंज जिले की तो गर्मी की शुरुआत के साथ यहां जल संकट बढ़ता जा रहा है. दोनों जिलों के कई हिस्सों में जल स्रोतों से पानी गायब हो रहा है. तेजी से घटता जल स्तर लोगों के लिए परेशानियां खड़ा कर रहा है.
रीवा और मऊगंज सर्वाधिक हैंडपंप वाले जिले
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा हैंडपंप रीवा संभाग के मऊगंज और रीवा में हैं. रीवा में सबसे ज्यादा 21 हजार हैंडपंप है तो वहीं, मऊगंज में 13 हजार हैंडपंप हैं. दोनों जिलों को मिलाकर 3 हजार हैंडपंपों का जलस्तर काफी नीचे चला गया है, जिससे इन नलों से पानी आना बंद हो गया है. दोनों जिलों की करीब 1200 से 1500 हैंडपंपों को प्रशासन द्वारा ड्राई घोषित कर दिया गया है. बढ़ती गर्मी के साथ ड्राई नलों की संख्या भी बढ़ती जाती है. जिससे यहां वृहद स्तर पर लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है.
जलस्तर घटने से ग्रामीण हुए परेशान
ग्रामीण अंचलों की बात करें तो यहां पर कई इलाकों की स्थिति काफी दयनीय है. तेजी से घट रहे जल स्तर के चलते हालात यह है कि पानी के चक्कर में लोगों को रोजी-रोटी की भी दिक्कत होने लगी है. क्योंकि परिवार दिन भर पानी की ही जुगत में लगा रहता है. जिस वजह से वह कहीं कोई काम नहीं कर पाता. इन इलाकों में रहने वाले लोग पानी के लिए लम्बी दूरी तय करते हैं. जिसके चलते ग्रामीणों के अन्य सारे काम प्रभावित होते हैं. कई घरों में तो बड़ों के न होने पर बच्चे ही पानी की जुगत में लगे रहते हैं, जिससे वो स्कूल नहीं जा पाते.

80 से 170 फीट तक नीचे गिरा जल स्तर
बताया जा रहा है की ग्रामीण अंचल का जलस्तर 80 से 170 फीट तक नीचे गिर चुका है. रीवा और मऊगंज में यह हाल मार्च महीने के समाप्ति के साथ ही शुरू हो गया था, जो अप्रैल में और गहराता चला जा रहा है. रीवा के सिरमौर, सेमरिया, जवा, रायपुर कर्चुलियान, त्योंथर और लालगांव की स्थिति काफी दयनीय हो गई है. पानी की किल्लत को देखते हुए लोग राइजर पाइप की मांग करने लगे हैं जो कि उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.

पिछले साल औसत से भी कम हुई थी बारिश
पिछले साल यहां करीब 650 मिलीमीटर ही बारिश हुई थी. जबकि औसत वर्षा 1000 मिलीमीटर के करीब मानी जाती है. कम बारिश होने की वजह से जलस्तर शुरुआती गर्मी से ही गिरना शुरू हो चुका है, जिसका असर सबसे पहले पहाड़ी क्षेत्र के गांवों में देखने को मिल रहा है. इन गांवों में हैंडपंप और मोटर पंप दोनों ही बंद होने लगे हैं. तकनीकी विशेषज्ञ का कहना है कि, हैंडपंप 100 फीट की गहराई तक ही पानी उठा पाते हैं. इसके बाद 20 फीट तक राइजर पाइप बढ़ा देने से पानी तो उठाते हैं, लेकिन हैंडपंप चलाने में ज्यादा मेहनत लगने लगती है.

'हर साल 1500 से 2000 हैंडपंप होते हैं प्रभावित'
पीएचई विभाग के कार्यपालन यंत्री संजय पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि "15 फरवरी से 15 मार्च के बीच में जब रीवा जिले में गेहूं का आखिरी पानी और प्याज भराई प्रारम्भ होती है, तब हमारे यहां 1500 से 2000 हैंडपम प्रतिवर्ष प्रभावित होते हैं. इस बार अल्प वर्षा हुई जिसके चलते तकरीबन 3000 हैंडपम्प प्रभावित हुए हैं. पिछले महीने जहां 100 से लेकर 125 फीट तक का जलस्तर मिला, वो हैंडपंप फिर से चालू हो गए. अभी भी लगभग 1400 हैंडपम्प ऐसे हैं जिनका जल स्तर 130 लेकर 140 फीट नीचे है. जिस वजह से वो बंद हैं."
सिंचाई की वजह से प्रभावित होता है जलस्तर
कार्यपालन यंत्री ने बताया कि "जिन ग्राम पंचायतों में किसी गांव में एक भी हैंडपंप नहीं चल रहा है, हमारी टीम वहां किसी एक हैंडपंप जिसका पंचायत प्रस्ताव देती है उसमें सिंगल फेस मोटर लगाने का काम कर रही है." उन्होंने बताया कि "यहां पर पिछले 30 वर्षों में सबसे ज्यादा जलस्तर कम हुआ है जोकि एक रिकॉर्ड है. यहां वाटर लेवल डाउन होने का प्रमुख कारण सिंचाई है. एक-एक गांव में किसानों की 30 से 40 मोटर चलती है. जिससे जल स्तर प्रभावित होता है."
31 मार्च से 15 अप्रैल के बीच वापस आता है जलस्तर
कार्यपालन यंत्री संजय पांडे ने बताया कि "जिन हैंडपंप का जल स्तर घटा है उनमें 31 मार्च से 15 अप्रैल के बीच में जल स्तर वापस आता है. आज की रिपोर्ट की अगर बात की जाए तो 200 हैंडपम्प ऐसे हैं, जिनका जलस्तर वापस आ चुका है. हमारी तरफ से प्रयास किया जा रहा है की किसी भी मोहल्ले में न्यूनतम एक हैंडपंप को चालू रखना है. ऐसा कोई भी बसाहट क्षेत्र नहीं है जहां पर सारे स्त्रोत पूर्णता बंद हो गए हो. 125 ग्राम पंचायतें ऐसी है जहां पर हमने जल जीवन मिशन के तहत प्रथम चरण का कार्य पूरा कर लिया था. जो छूटी हैं उन्हें भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा."
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जीपीएस लगी गाड़ियों से टीम कर रही सर्वे
बताया गया की विभाग की टीम लगातार दोनों जिलों में काम कर रही है. हैंडपंप संधारण की जो एजेंसियां हैं उनके वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाया गया है, जिससे जिले और ब्लॉक से उनकी ट्रेकिंग की जा रही है. जिसका रूट चार्ट सब इंजीनियर और एई (Assistant Engineer) के द्वारा दिया जाता है. सुबह वह टीम उसी जगह पर जाकर हैंडपंप सुधारती और उसमें कितना समय लगेगा इसकी जानकारी समय पर उपलब्ध कराती है.