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वन भूमि पर जीवन यापन करने वालों को मिलेगा मालिकाना हक, जानें क्या होंगे नियम और शर्तें? - HIMACHAL FOREST LAND OWNERSHIP

सोलन दौरे पर पहुंचे राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा वन भूमि पर जीवन यापन करने वालों लोगों को अब मालिकाना हक मिलेगा.

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : April 5, 2025 at 10:44 PM IST

3 Min Read

सोलन: नौणी विश्वविद्यालय सोलन में वन अधिकार अधिनियम विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे. इस दौरान मंत्री ने वन भूमि पर निर्वहन करने वाले लोगों को मालिकाना हक मिलेगा.

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा, "लंबे समय से वन भूमि पर जीवन यापन करने वाले नागरिकों को भूमि का मालिकाना हक देना है. प्रदेश सरकार वन अधिकार अधिनियम को पूरे प्रदेश में लागू करने जा रही है. कार्यशालाओं के माध्यम से इस अधिनियम के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है ताकि पात्र लोगों को इसका लाभ मिल सके".

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इसके प्रति जागरूकता ला रही है. ताकि भविष्य में इसे प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके. इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य 2006 में आये वन भूमि पर अधिकार के बारे में अधिकारियों और चुने हुए प्रतिनिधियों को जागरूक करना रहा है. ताकि इसको हिमाचल प्रदेश में प्रभावी रूप से लागू किया जा सके. शिमला मंडल की इस कार्यशाला में शिमला, किन्नौर, सिरमौर और सोलन के अधिकारियों एवं विधायकों ने भाग लिया.

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि वन भूमि के प्रति लोगों के क्या अधिकार है, उसके बारे जागरूकता लाने के लिए शिमला मंडल की कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें सभी उपायुक्तों सहित वन विभाग के अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों को जागरूक किया गया.

जगत सिंह नेगी ने कहा कि सभी पंचायतों में वन अधिकार समितियां गठित करना अनिवार्य है. उन्होंने अधिकारियों और समितियों को इस अधिनियम की जानकारी प्रदान करने के लिए विशेष प्रचार अभियान चलाने व कार्यशालाओं का आयोजन करने के निर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के तहत आने वाले मामलों को ग्राम सभा सत्यापन के लिए उपमंडल स्तरीय समिति को भेजेगी, उपमंडल स्तरीय समिति उन मामलों को सत्यापन कर जिला स्तरीय समिति को प्रस्तुत करेगी. उसके बाद उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति मामलों का निपटारा और दस्तावेजीकरण कर स्वीकृति देगी. इसके बाद दावेदार को वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान किया जाएगा.

जगत सिंह नेगी ने राजस्व अधिकारियों को 31 मई तक वन अधिकार अधिनियम से संबंधित बैठकों का आयोजन करने के निर्देश दिए. राजस्व मंत्री ने इस अवसर पर अधिकारियों तथा पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए.

वन अधिकार कानून के तहत मिलेगा भूमि का मालिकाना हक

जगत सिंह नेगी ने कहा वन अधिकार कानून के अंतर्गत वन भूमि पर कानूनी अधिकार प्राप्त करने के लिए पात्र नागरिक निर्धारित फार्म पर दावा प्रस्तुत कर सकता है. दावेदार भूमि पर 13 दिसंबर, 2005 से पूर्व लगातार तीन पुश्तों से खेती कर रहा हो, निवास कर रह रहा हो, उस भूमि से घास ले रहा हो या भेड़ बकरी का पालन कर रहा हो तो वह मालिकाना हक के लिए आवेदन कर सकता है.

ये भी पढ़ें: दो वर्ष का अनुबंध पूरा करने वाले कर्मचारी होंगे रेगुलर, सुखविंदर कैबिनेट मीटिंग में लिया गया अहम फैसला

सोलन: नौणी विश्वविद्यालय सोलन में वन अधिकार अधिनियम विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे. इस दौरान मंत्री ने वन भूमि पर निर्वहन करने वाले लोगों को मालिकाना हक मिलेगा.

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा, "लंबे समय से वन भूमि पर जीवन यापन करने वाले नागरिकों को भूमि का मालिकाना हक देना है. प्रदेश सरकार वन अधिकार अधिनियम को पूरे प्रदेश में लागू करने जा रही है. कार्यशालाओं के माध्यम से इस अधिनियम के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है ताकि पात्र लोगों को इसका लाभ मिल सके".

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इसके प्रति जागरूकता ला रही है. ताकि भविष्य में इसे प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके. इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य 2006 में आये वन भूमि पर अधिकार के बारे में अधिकारियों और चुने हुए प्रतिनिधियों को जागरूक करना रहा है. ताकि इसको हिमाचल प्रदेश में प्रभावी रूप से लागू किया जा सके. शिमला मंडल की इस कार्यशाला में शिमला, किन्नौर, सिरमौर और सोलन के अधिकारियों एवं विधायकों ने भाग लिया.

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि वन भूमि के प्रति लोगों के क्या अधिकार है, उसके बारे जागरूकता लाने के लिए शिमला मंडल की कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें सभी उपायुक्तों सहित वन विभाग के अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों को जागरूक किया गया.

जगत सिंह नेगी ने कहा कि सभी पंचायतों में वन अधिकार समितियां गठित करना अनिवार्य है. उन्होंने अधिकारियों और समितियों को इस अधिनियम की जानकारी प्रदान करने के लिए विशेष प्रचार अभियान चलाने व कार्यशालाओं का आयोजन करने के निर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के तहत आने वाले मामलों को ग्राम सभा सत्यापन के लिए उपमंडल स्तरीय समिति को भेजेगी, उपमंडल स्तरीय समिति उन मामलों को सत्यापन कर जिला स्तरीय समिति को प्रस्तुत करेगी. उसके बाद उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति मामलों का निपटारा और दस्तावेजीकरण कर स्वीकृति देगी. इसके बाद दावेदार को वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान किया जाएगा.

जगत सिंह नेगी ने राजस्व अधिकारियों को 31 मई तक वन अधिकार अधिनियम से संबंधित बैठकों का आयोजन करने के निर्देश दिए. राजस्व मंत्री ने इस अवसर पर अधिकारियों तथा पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए.

वन अधिकार कानून के तहत मिलेगा भूमि का मालिकाना हक

जगत सिंह नेगी ने कहा वन अधिकार कानून के अंतर्गत वन भूमि पर कानूनी अधिकार प्राप्त करने के लिए पात्र नागरिक निर्धारित फार्म पर दावा प्रस्तुत कर सकता है. दावेदार भूमि पर 13 दिसंबर, 2005 से पूर्व लगातार तीन पुश्तों से खेती कर रहा हो, निवास कर रह रहा हो, उस भूमि से घास ले रहा हो या भेड़ बकरी का पालन कर रहा हो तो वह मालिकाना हक के लिए आवेदन कर सकता है.

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