नई दिल्ली: दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद राज्य सरकार ने कार्यशैली में बदलाव को लेकर बड़ा फैसला लिया है. चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार द्वारा आवंटित फंड से जिन परियोजनाओं पर काम होगा, उस पर फैसला लेने व निगरानी के लिए एक 10 सदस्यीय समिति के गठन का निर्णय दिल्ली सरकार ने लिया है. दिल्ली सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में केंद्र से मिलने वाली राशि और उससे प्रस्तावित योजनाओं और परियोजनाओं की जांच और अनुमोदन के लिए एक राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त तकनीकी समिति का गठन किया है.
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के आदेश पर मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार की अध्यक्षता वाली 10 सदस्यीय समिति सभी परियोजना का विश्लेषण, समस्या का समाधान करेगी. साथ ही परियोजना पर लागत व उसके लाभ का विश्लेषण करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि संबंधित विभाग, योजना को केंद्र सरकार के पास अवलोकन के लिए भेजे जाने से पहले सभी आवश्यक निर्देश राज्य सरकार से मंजूरी प्राप्त कर ले. दिल्ली सरकार के योजना विभाग के माध्यम से परियोजनाओं को पैनल के समक्ष लाया जाएगा, जो केंद्रीय वित्त पोषण के लिए नोडल निकाय के रूप में काम करेगा. समिति में शामिल अन्य अधिकारियों में योजना, वित्त, लोक निर्माण, शहरी विकास, उद्योग, परिवहन और स्वास्थ्य विभागों के प्रभारी सचिव शामिल हैं. जबकि योजना विभाग के निदेशक इसके सदस्य सचिव हैं, प्रशासनिक विभाग के प्रभारी सचिव भी इस समिति का हिस्सा होंगे.

मुख्यमंत्री के निर्देश पर समिति का गठन: पिछले महीने चालू वित्त वर्ष के लिए अपनी सरकार का पहला बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा था कि दिल्ली सरकार केंद्रीय निधि से छह हजार करोड़ रुपये की पूंजीगत परियोजनाओं को क्रियान्वित करेगी. यह सभी परियोजना अलग-अलग विभागों से संबंधित हैं. मसलन आयुष्मान भारत योजना, आयुष्मान आरोग्य मंदिर योजना जो स्वास्थ्य विभाग से जुड़ीं हैं तो वहीं बुनियादी ढांचों का विस्तार, यमुना की सफाई आदि योजनाएं अलग-अलग विभागों से संबंधित हैं. दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव के मुताबिक मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के निर्देश पर समिति का गठन किया गया है. अगर जरूरत पड़ी तो समिति प्रस्ताव का मूल्यांकन करने में मदद के लिए क्षेत्र के विशेषज्ञों को भी आमंत्रित कर सकती है. सार्वजनिक निर्माण कार्यों, दिल्ली जल बोर्ड और सार्वजनिक परिवहन के लिए केंद्र सरकार द्वारा आवंटित फंड में से कटौती और बढ़ोतरी का फैसला भी यह समिति करेगी.

समिति परियोजना का करेगी मूल्यांकन: यह समिति दिल्ली सरकार की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए योजनाओं और परियोजनाओं की प्राथमिकता पर विचार करेगी. किसी परियोजना से अधिक से अधिक अंतिम वर्ग को किस तरह लाभ मिलेगा, उनका मूल्यांकन करेगी, उनके कार्यान्वयन के लिए मौजूदा व्यवस्थाओं और अंतर विश्लेषण पर विचार करेगी. समिति केंद्र को प्रस्तुत करने के लिए विस्तृत परियोजना की अनुशंसा रिपोर्ट को प्रशासनिक मंजूरी देगी. यह समिति समय-समय पर योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा भी करेगा. बता दें कि चालू वित्त वर्ष के लिए रेखा सरकार ने एक लाख करोड़ का बजट विधानसभा में पेश किया था. जो अब तक का एक रिकॉर्ड है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि यह राशि जुटाने में कहीं कोई अड़चन नहीं है. काम के तौर-तरीके में पारदर्शिता लाकर फिजूलखर्ची रोककर जनता के लिए काम किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें: