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किसानों का देसी सैटेलाइट है यह पक्षी, उसके अंडे बताते हैं कब और कितनी होगी बारिश - TRADITIONAL WAY PREDICTING MONSOON

मालावा के किसान इन पारंपरिक तरीकों से लगाते हैं मौसम का पूर्वानुमान, मानसून की एंट्री कब होगी, बारिश कितनी होगी पता करने का प्राचीन तरीका.

TRADITIONAL WAY PREDICTING MONSOON
टिटहरी का अंडा बताता है मौसम का पूर्वानुमान (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : June 2, 2025 at 8:32 PM IST

4 Min Read

रतलाम: मानसून आने के पूर्व और खरीफ फसलों की बुवाई के पहले किसानों को इस बात की चिंता रहती है कि इस वर्ष मानसून कब आयेगा? बारिश कितनी होगी और बुआई कब होगी. जिसके लिए भारत के मौसम विभाग के ब्रॉडकास्ट के अलावा निजी मौसम के पूर्वानुमान भी उपलब्ध हैं. जिसमें सेटेलाइट तस्वीर और आधुनिक तकनीक के आधार पर मौसम का अनुमान बड़ी ही सटीकता के साथ लगाया जाता है. लेकिन आधुनिकता इस दौर में मालवा के किसानों को आज भी पुराने और पारंपरिक प्राकृतिक संकेतों पर ही भरोसा है. आईए जानते हैं क्या है यह पारंपरिक तरीके और किस तरह लगाया जाता है मौसम का पूर्वानुमान.

कब होगी मानसून की एंट्री?

आमतौर पर किसानों के मन में सबसे पहला सवाल होता है कि मानसून की शुरुआत कब होगी. इसका जवाब ढूंढने के लिए किसान कई प्राकृतिक संकेत का निरीक्षण करते हैं. इन तौर तरीकों की जानकारी रखने वाले प्रहलाद धबाई बताते हैं कि "टिटहरी के अंडे देने और उसमें से बच्चे निकलने के समय से मानसून के आने का संकेत मिल जाता है.

किसानों का मौसम का पूर्वानुमान लगाने के पारंपरिक तरीके (ETV Bharat)

यदि खेत में टिटहरी के अंडे दिखाई दें, तो इसका मतलब प्री मानसून की एक्टिविटी शुरू हो चुकी है. यदि अंडे फूटने के बाद उसमें से बच्चे निकल आए हैं तो मानसून की एंट्री क्षेत्र में होने ही वाली है. इसके साथ ही नीम के पेड़ पर लगने वाली निंबोड़ी यदि पक कर नीचे गिरने लग जाए और पेड़ पर बहुत कम मात्रा में निबोड़ी बच जाए, तो यह मानसून के क्षेत्र में प्रवेश करने का संकेत है."

खरीफ की बुआई का क्या है सही समय

किसानों का दूसरा सबसे बड़ा सवाल होता है कि बरसात होने लगी है, लेकिन खरीफ फसल की बुवाई कब करें. नेगड़दा गांव के अनुभवी किसान कृष्ण पाटीदार के अनुसार, "इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हमें बेर के पेड़ पर पत्तों की पर्याप्त फूटन का इंतजार करना चाहिए, जब बेर का पेड़ पतझड़ के बाद फिर से हरा भरा होता है तब खरीफ की फसलों की बुवाई का उचित समय होता है."

Farmers methods rain PREDICTION
खेत की मिट्टी के लड्डू बनाकर पता किया जाता है बुआई का सही समय (ETV Bharat)

कृष्ण पाटीदार बताते हैं कि "आमतौर पर पतझड़ के बाद दूसरे पेड़ों में पत्ते जल्दी आ जाते हैं, लेकिन बेर के पेड़ पर पर्याप्त बारिश हो जाने के बाद ही हरियाली आती है. इसके अलावा खेत में 4 इंच खुदाई के बाद ली गई मिट्टी को मुट्ठी में लेकर लड्डू बनाने के बाद देखा जाता है कि वह वह बिखर तो नहीं रही है. यदि मिट्टी का लड्डू नहीं बिखर रहा है, तो तय हो जाता है कि फसल बुवाई का समय आ चुका है."

sandpiper EGGS PREDICTION RAIN
टिटहरी के अंडों से पता करते हैं कितने महीने रहेगा मानसून (ETV Bharat)

कितने महीने होगी बारिश?

इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए भी किसान बड़ा ही रोचक तरीका और प्राकृतिक संकेत को अपनाते हैं. नामली के किसान बालकृष्ण साबरिया ने बताया कि "हमारे पूर्वजों के बताए तरीके के अनुसार मादा टिटहरी पक्षी खेतों में अंडे देती हैं. आमतौर पर यह पक्षी 4 अंडे देती हैं. जितने अंडे के नुकीले हिस्से अंदर की तरफ यानी घोंसले के केंद्र की तरफ होते हैं. माना जाता है कि उतने महीने बरसात रहेगी. जैसे कि 3 अंडों का मुंह केंद्र की तरफ है तो 3 महीने बारिश होगी. यदि चौथा अंडा आधा घुमा हुआ है, तो साढ़े तीन महीने बारिश होगी."

Traditional method sowing Kharif right time
बेर के पत्तों से किसान पता करते हैं खरीफ की बुआई का समय (ETV Bharat)

वैज्ञानिक तरीकों पर बनाए गए हैं अधिकांश तरीके

इसके साथ ही रोहिणी नक्षत्र में यदि बारिश नहीं होती है तो अच्छे मानसून का संकेत माना जाता है. इसके साथ ही यदि रोहिणी नक्षत्र में बारिश होकर पानी बह कर निकल जाए तो खंड वर्षा और बीच में बारिश की खेच लगने की संभावना होती है. कृषि विभाग के अधिकारी इन देशी तौर तरीकों से इत्तेफाक नहीं रखते, लेकिन उनका भी मानना है कि प्रकृति के संकेत से मौसम का पूर्वानुमान लगाना हमारी प्राचीन विरासत है. इनमें से अधिकांश तरीके वैज्ञानिक आधार पर ही हमारे पूर्वजों द्वारा बनाए गए हैं.

रतलाम: मानसून आने के पूर्व और खरीफ फसलों की बुवाई के पहले किसानों को इस बात की चिंता रहती है कि इस वर्ष मानसून कब आयेगा? बारिश कितनी होगी और बुआई कब होगी. जिसके लिए भारत के मौसम विभाग के ब्रॉडकास्ट के अलावा निजी मौसम के पूर्वानुमान भी उपलब्ध हैं. जिसमें सेटेलाइट तस्वीर और आधुनिक तकनीक के आधार पर मौसम का अनुमान बड़ी ही सटीकता के साथ लगाया जाता है. लेकिन आधुनिकता इस दौर में मालवा के किसानों को आज भी पुराने और पारंपरिक प्राकृतिक संकेतों पर ही भरोसा है. आईए जानते हैं क्या है यह पारंपरिक तरीके और किस तरह लगाया जाता है मौसम का पूर्वानुमान.

कब होगी मानसून की एंट्री?

आमतौर पर किसानों के मन में सबसे पहला सवाल होता है कि मानसून की शुरुआत कब होगी. इसका जवाब ढूंढने के लिए किसान कई प्राकृतिक संकेत का निरीक्षण करते हैं. इन तौर तरीकों की जानकारी रखने वाले प्रहलाद धबाई बताते हैं कि "टिटहरी के अंडे देने और उसमें से बच्चे निकलने के समय से मानसून के आने का संकेत मिल जाता है.

किसानों का मौसम का पूर्वानुमान लगाने के पारंपरिक तरीके (ETV Bharat)

यदि खेत में टिटहरी के अंडे दिखाई दें, तो इसका मतलब प्री मानसून की एक्टिविटी शुरू हो चुकी है. यदि अंडे फूटने के बाद उसमें से बच्चे निकल आए हैं तो मानसून की एंट्री क्षेत्र में होने ही वाली है. इसके साथ ही नीम के पेड़ पर लगने वाली निंबोड़ी यदि पक कर नीचे गिरने लग जाए और पेड़ पर बहुत कम मात्रा में निबोड़ी बच जाए, तो यह मानसून के क्षेत्र में प्रवेश करने का संकेत है."

खरीफ की बुआई का क्या है सही समय

किसानों का दूसरा सबसे बड़ा सवाल होता है कि बरसात होने लगी है, लेकिन खरीफ फसल की बुवाई कब करें. नेगड़दा गांव के अनुभवी किसान कृष्ण पाटीदार के अनुसार, "इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हमें बेर के पेड़ पर पत्तों की पर्याप्त फूटन का इंतजार करना चाहिए, जब बेर का पेड़ पतझड़ के बाद फिर से हरा भरा होता है तब खरीफ की फसलों की बुवाई का उचित समय होता है."

Farmers methods rain PREDICTION
खेत की मिट्टी के लड्डू बनाकर पता किया जाता है बुआई का सही समय (ETV Bharat)

कृष्ण पाटीदार बताते हैं कि "आमतौर पर पतझड़ के बाद दूसरे पेड़ों में पत्ते जल्दी आ जाते हैं, लेकिन बेर के पेड़ पर पर्याप्त बारिश हो जाने के बाद ही हरियाली आती है. इसके अलावा खेत में 4 इंच खुदाई के बाद ली गई मिट्टी को मुट्ठी में लेकर लड्डू बनाने के बाद देखा जाता है कि वह वह बिखर तो नहीं रही है. यदि मिट्टी का लड्डू नहीं बिखर रहा है, तो तय हो जाता है कि फसल बुवाई का समय आ चुका है."

sandpiper EGGS PREDICTION RAIN
टिटहरी के अंडों से पता करते हैं कितने महीने रहेगा मानसून (ETV Bharat)

कितने महीने होगी बारिश?

इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए भी किसान बड़ा ही रोचक तरीका और प्राकृतिक संकेत को अपनाते हैं. नामली के किसान बालकृष्ण साबरिया ने बताया कि "हमारे पूर्वजों के बताए तरीके के अनुसार मादा टिटहरी पक्षी खेतों में अंडे देती हैं. आमतौर पर यह पक्षी 4 अंडे देती हैं. जितने अंडे के नुकीले हिस्से अंदर की तरफ यानी घोंसले के केंद्र की तरफ होते हैं. माना जाता है कि उतने महीने बरसात रहेगी. जैसे कि 3 अंडों का मुंह केंद्र की तरफ है तो 3 महीने बारिश होगी. यदि चौथा अंडा आधा घुमा हुआ है, तो साढ़े तीन महीने बारिश होगी."

Traditional method sowing Kharif right time
बेर के पत्तों से किसान पता करते हैं खरीफ की बुआई का समय (ETV Bharat)

वैज्ञानिक तरीकों पर बनाए गए हैं अधिकांश तरीके

इसके साथ ही रोहिणी नक्षत्र में यदि बारिश नहीं होती है तो अच्छे मानसून का संकेत माना जाता है. इसके साथ ही यदि रोहिणी नक्षत्र में बारिश होकर पानी बह कर निकल जाए तो खंड वर्षा और बीच में बारिश की खेच लगने की संभावना होती है. कृषि विभाग के अधिकारी इन देशी तौर तरीकों से इत्तेफाक नहीं रखते, लेकिन उनका भी मानना है कि प्रकृति के संकेत से मौसम का पूर्वानुमान लगाना हमारी प्राचीन विरासत है. इनमें से अधिकांश तरीके वैज्ञानिक आधार पर ही हमारे पूर्वजों द्वारा बनाए गए हैं.

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